July 1, 2025

निगम मण्डल की नियुक्तियां बनी चुनौती, कार्यकर्ताओं में अब बैचैनी

पायनियर संवाददाता रायपुर

17 दिसम्बर को राज्य सरकार दो साल पूरे कर तीसरे साल में प्रवेश कर चुकी है लेकिन संगठन का संतुलन अब कांग्र्रेस तथा सरकार के लिए बडी चुनौती बन गई है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान में राजनीतिक हलचल को देखते ही विधायकों को खुस करने के लिए संसदीय सचिवों तथा प्रमुख निगम मण्डलों में आनन-फ ानन में नियुक्तियां तो कर दी । लेकिन इसके बाद भी अब तक सैकडों की संख्या में बाकी नियुक्तियां सरकार नहीं कर सकी है जिसके वजह से संगठन तथा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में निराशा एवं बेचैनी झलकने लगी है। मरवाही चुनाव के बाद से कांग्रेस का संगठन खामोश सा हो गया है।

विगत दिनों पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया का छत्तीसगढ आगमन हुआ तो नियुक्तियां की आस दिखने लगी, गाहे-बजाहे समाचार पत्रों में यह भी खबर रही की प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के नेतृत्व में सभी निगम मण्डल में नियुक्त किए जाने वाले विधायकों तथा कार्यकताओं के नाम तय कर लिये गये है। कई नियुक्तियों को लेकर संमजस नहीं बनने के कारण पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की नराजगी की बात भी मीडिया की सुर्खियां बनी रहीं।

सैकडों पदों पर होने वाली नियुक्तियों में सरकार को अपने वरिष्ठ विधायकों को भी संतुष्ठ करना है तो वहीं सत्ता संघर्श के दिनों में पार्टी की आवाज बुलंद करने वाले कार्यकर्ताओं को भी मौका देना है। निश्चित ही सरकार तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए बडी चुनौती है। भूपेश सरकार मार्च माह में अपने कार्यकाल का तीसरा बजट प्रस्तुत करेगी। ऐसे में यदि सरकार अभी निगम मण्डलों में नियुक्तियां नहीं कर पाती तो दावेदारों को भूपेश सरकार में काम करने का आधा समय ही मिल पायेगा।

जिसके कारण कार्यकर्ताओं में अब बेचैनी तथा हातासा के स्वर दिखाई व सुनाई देने लगे हैं। निगम मण्डलों के कतार पर वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा के पुत्र पंकज शर्मा, अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू के पुत्र प्रवीण साहू, विधायक छन्नी साहू, विधायक विनय भगत, यूडी मिंज, भिलाई से विधायक देवेन्द्र यादव के भाई धर्मेन्द्र यादव, विधायक प्रकाश नायक, पूर्व विधायक राजकमल सिंहानिया, गुरुमुख सिंह होरा, अटल श्रीवास्तव, आरपी सिंह, रमेश वल्र्यानी, अजय साहू ,जितेन्द्र मुदलियार, ज्ञानेश शर्मा, अमरजीत चावला, हरदीप बेनीपाल, राजू घनश्याम तिवारी, सुशील सन्नी अग्रवाल, विकास तिवारी, राजेन्द्र परिहार, एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा, समेत दो पत्रकारों और कई विधायकों तथा कार्यकर्ताओं के नामों के कयास लगाये जा रहे हैं।

सुशील आनन्द शुक्ला संचार विभाग के बनेगें अध्यक्ष ?
कई वर्षों से कांग्रेस के संचार विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे शैलेश नितिन त्रिवेदी को सरकार ने पहली सूची में ही पाठ्य पुस्तक निमग का अध्यक्ष बना दिया है चूंकि पाठ्य पुस्तक निगम की जबादारी काफ ी महत्वपूर्ण है और दायरा भी बडा है, वर्तमान में श्री त्रिवेदी को पाठ्य पुस्तक निगम के साथ-साथ संचार विभाग की भी जिम्मेवारी का निर्वहन करना पड रहा है जिससे कारण उन्हें संचार विभाग से मुक्त किया जा सकता है । उनके जगह शुशील आनन्द शुक्ला को संचार विभाग का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। सुशील आनन्द शुक्ला के नाम पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की भी सहमति होने की खबर है तथा सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी चाहते हैं कि संचार विभाग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सुशील आानंद शुक्ला को ही दी जाए। वरिष्ठता के साथ-साथ शुक्ला का छत्तीसगढ के पत्रकारों के साथ लंबे समय से जुडाव रहा है। तथ्यों तथा राजनीतिक सूझबूझ के हिसाब से शुक्ला का समीकरण फि ट बैठते दिख रहा है। हालांकि एक बात यह भी छनकर सामने आ रही है कि शुशील आनन्द शुक्ला खुद संचार विभाग की जिम्मदारी सम्भहालने के इच्छुक नहीं है।

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