सत्ताधीशों का प्रभाव सामाज को प्रदूषित कर रहा, सामाजिक भवन शराबखोरों से घिरा
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
कांग्रेस काल में दोबारा शासकीय शराब दुकानों के पास चखना सेंटरों को अघोषित रियायत दे दी गई है। रोजाना शराब दुकानों के फेरे काटने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों के सामने चल रहे इस गोरखधंधे के पीछे कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं का हाथ बताया जा रहा है। वहीं निगम अमला भी शासकीय जमीन पर चखना सेंटर संचालकों द्वारा अतिक्रमण के इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। शासकीय या सार्वजनिक जगहों पर मदिरापान के लिए की जाने वाली कार्रवाई से इन सेंटरों को रियायत दे दी गई है।
खबर है कि, कुछ दिनों पहले ही जिला आबकारी कार्यालय में कांग्रेसी नेताओं और उनके प्रतिनिधियों की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में ही चखना सेंटरों को संरक्षण देने के एवज में डेली कलेक्शन को लेकर अघोषित राजीनामा किया गया। सत्ताधीशों के दबाव में आबकारी अमले ने सिर झुका दिया। वहीं स्थानीय पार्षद गामेंद्र नेताम की भूमिका को लेकर भी आरोप लग रहे हैं। स्थानीय लोगों का ही आरोप है कि कहीं न कहीं इन चखना सेंटरों से मिलनी वाली रकम में पार्षद का हिस्सा भी है।
रोजाना 5 से 8 हजार की वसूली
भाजपा काल से विपरित इस बार चखना सेंटरों के संचालन का पैटर्न ही कांग्रेसी सरगनाओं ने बदल दिया है। भाजपाईयों के दौर में वे अपने ही मार्फत लोगों से दुकानें लगवाते रहे। जबकि कांग्रेसी नेताओं ने सीधे तौर पर वसूली का रास्ता अख्तियार किया है। यहां पहले से ही ठेलों में चखना सेंटर चला रहे लोगों से इन कांग्रेसी सरगनाओं के मातहतों ने सीधी डील की है। रेवाडीह में चखना दुकान वालों को शराब दुकान के पास अपनी दुकानें लगाने देने के एवज में एक तय रकम रोजाना वसूली जा रही है। बताया जा रहा है यहां से रोजाना लगभग 5 से 8 हजार रुपए की वसूली हो रही है।
हिम्मत नहीं जुटा पा रहा निगम अमला
इन चखना दुकानों पर कई मर्तबा कार्रवाई की जा चुकी है। शहर के रेवाडीह शराब दुकान की बात हो या मोहारा की। इन दुकानों के आसपास मौजूद चखना दुकानों को निगम ने अतिक्रमण करार देते हुए हटा दिया था। लेकिन कुछ ही समय बाद ये दोबारा शुरु कर दिए जाते थे। अब इन्हें स्थायी संरक्षण देने की आड़ में कांग्रेसी सरगना अपना वसूली का धंधा चला रहे हैं। दूसरी ओर निगम अमला इतनी हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा कि वे इस मामले में कार्रवाई कर पाए।
अपंग आबकारी दस्ता
सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर शिकार ढूंढने वाला आबकारी दस्ता रेवाडीह और मोहारा शराब दुकान के आसपास पहुंचते ही अपंग हो जाता है। यहां खुलेआम पीने-पिलाने का दौर चलता रहता है, जाम झलकते हैं लेकिन मजाल है कि ऐसे मामलों पर कार्रवाई हो। बड़े अधिकारी भी सारी हकीकत जानते हैं। बावजूद इसके वे चुप हैं। कांग्रेसी सरगना बेरोकटोक इस गोरखधंधे को संरक्षण दे रहे हैं। प्रभाव इतना है कि इन्हीं आबकारी दस्तों के सामने लोग खुलेआम शराब का सेवन कर रहे हैं।
यादव समाज कर चुका है खिलाफत
सर्व यादव समाज भी अब शराब दुकान और चखना सेंटरों की खिलाफत कर रहा है। दरअसल, शराब दुकान के बाजू ही समाजिक भवन बनाया गया है। यहां कई सामाजिक और अन्य आयोजन होंगे। जहां महिलाएं भी शिरकत करेंगी। ये बड़ा मसला है कि इस भवन के सामने ही चखना सेंटर खुल चुके हैं। इतनी बड़ी विसंगति के खिलाफ भी कोई कुछ नहीं बोल रहा। जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठें हैं। अन्य स्थानीय लोग भी चखना सेंटरों के खोले जाने को लेकर बागी हो रहे हैं। वे खुले तौर पर पार्षद गामेंद्र नेताम पर आरोप लगा रहे हैं कि चखना सेंटरों को शुरु करवाने में पार्षद का हाथ है जिन्हें बड़े कांग्रेसी नेता संरक्षण दे रहे हैं।
सफाई भी नहीं दे पा रहे पार्षद
चखना सेंटरों के संचालन और आरोप के संबंध में पार्षद गामेंद्र नेताम खुद उलझ रहे हैं। वे कहते हैं, पहले इन्हें हटाने मैंने ही प्रशासन से शिकायत की थी। कार्रवाई भी हुई थी और इसके बाद उन्होंने फिर दुकानें खोल ली। बार-बार ऐसा हो रहा है। सामाजिक भवन के सामने चखना सेंटर शुरु किए जाने के मामले और इस पर कार्रवाई के लिए वे क्या करेंगे इस सवाल पर वे ठिठक जाते हैं। वे कहते हैं, मैं इसके विरोध में हूं… पर जिम्मेदार ही कार्रवाई नहीं कर रहे। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर दुकानें खोले जाने के मामले में भी वे गोल-मोल जवाब ही देते हैं। गामेंद्र इस मामले में घिरते नजऱ आ रहे हैं। शराबबंदी के वायदे के विरुद्ध उनकी मौजूदा भूमिका काफी संदिग्ध है। स्थानीय स्तर पर भी उनका विरोध बढ़ रहा है।
आरोप : गामेंद्र, सरकार जिम्मेदार
रेवाडीह के पूर्व पार्षद मुकेश ध्रुव ने इस मसले पर कहा कि, पूरी तरह इस माहौल और गोरखधंधे को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय कांग्रेस पार्षद और सरकार जिम्मेदार हैं। इन्होंने अपने घोषणा पत्र में शराबबंदी की बात की लेकिन अब इसी व्यापार के आड़ में गोरखधंधा किया जा रहा है। स्थिति भयावह है। लोग जमीनें बेचकर शराब पी रहे हैं। रेवाडीह में कई शैक्षणिक संस्थाएं हैं जिनके छात्रों के सामने शराब दुकान के सामने से गुजरने की मजबुरी है। युवा भी इससे प्रभावित हो रहें हैं और माहौल बिगड़ रहा है। शराब दुकान बाईपास पर मौजूद है बड़ी दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। ग्रामीण परेशान हैं, महिलाएं तो और ज्यादा लेकिन इससे न ही स्थानीय पार्षद, निगम को सरोकार है और न ही सरकार को। सत्ताधीश अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं।
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