आजकल जवान हो या उम्रदराज, हर कोई जोड़ों के दर्द से परेशान है। समस्या ज्यादा बढ़ने पर यह गंभीर बीमारी अर्थराइटिस या गठिया का रूप ले लेता है। इसलिए जरूरी है कि आप व्यायाम और योग करके अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें।
रोज सुबह-शाम करें ये योगासन, घुटनों का दर्द होगा जल्दी छूमंतर
बढ़ती उम्र के साथ-साथ जोड़ों में दर्द की समस्या भी बढ़ जाती है। खासकर घुटनों में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। आजकल का लाइफस्टाइल ऐसा हो गया है जहाँ लोगों की शारीरिक गतिविधियां बेहद कम हो गई हैं। ऑफिस में घंटों बैठकर काम करने से या ज्यादा देर तक बैठे रहने से हमारे घुटनों में जकड़न आ जाती है। कई बार तो यह समस्या एक गंभीर बीमारी का रूप भी ले लेती है।
आज भारत में 10 में से 5 लोग 30 की उम्र पार करते ही अर्थराइटिस या गठिया का शिकार हो जाते हैं। शुरुआत में ही इस पर ध्यान न दिया जाए तो आपका शरीर शल पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें। ऐसे में योग को घुटनों के दर्द के लिए काफी उपयोगी बताया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे आपके घुटनों के दर्द या जोड़ों में दर्द की समस्या में काफी राहत मिलेगी।
1. गुल्फ नमन आसन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दंडासन में बैठें । अब श्वास भरते हुए अपने पैरों के टखनों को मूव करते हुए आगे और पीछे की ओर लेकर जाएं। जितना हो सके इसे आगे और पीछे की ओर लेकर जाएं। इस सूक्ष्म क्रिया को आप 10 से 15 बार दोहराएं। इससे आपकी मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होगा, जिससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलेगी।
2. नमन आसन
इसे करने के लिए दंडासन में बैठें। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए हिप्स के पास लेकर आएं। अब अपने दोनों हाथों को जांघ के नीचे लेकर जाएं और लॉक कर लें। अब अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए आगे की तरफ लेकर जाएं। और फिर से हिप्स के पास पीछे की ओर लेकर आएं। आपको पैरों को आगे और पीछे की तरफ करते वक्त ‘O’ शेप बनानी है। इस आसन को करते वक्त अपनी रीढ़ को सीधा रखने का प्रयास करें। अब बाएं पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
3. चक्रासन
इस आसन के लिए भी दंडासन में बैठें। अब दाहिने घुटने को मोड़ें और हिप्स के पास ले आएं। अब अपने हाथों को घुटनों या जांघ के नीचे ले जाकर लॉक कर लें। अब अपने पैर को ऊपर उठाते हुए बड़े से बड़ा गोला बनाएं। प्रयास करें की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। ध्यान रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही पैर को मूव करें। आप अपने पैर को पहले क्लॉकवाइज और फिर एंटी-क्लॉक वाइज घुमाएं। पैर को ऊपर ले जाते हुए सांस लें और नीचे ले जाते हुए छोड़ें। अब अपने दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। आप इसे 10 से 15 बार करें।
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