ग्राम पंचायत सचिवों को नियमित शासकीय सेवक घोषित करे सरकार : सचिव संघ
पायनियर संवाददाता-कोण्डागांव
सचिव संघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भारत गांवों का देश है और जनसँख्या का बड़ा हिस्सा गांव में ही रहता है, सरकार की योजनाओं को क्रियान्वयन करने की अहम जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की है। अंतिम व्यक्ति तक कैसे लाभ पहुंचे यह पंचायत सचिव के ऊपर निर्भर करता है, कोरोन काल मे मजदूरों की पलायन वापिसी के समय पंचायत सचिव रात दिन एक करके अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया है। फिर भी विडम्बना यह है की आजादी के इतने वर्षों के बाद भी ग्राम पंचायत सचिवों को नियमित शासकीय सेवक घोषित नही किया गया। वर्तमान में यह आक्रोश पूरे छत्तीसगढ़ में देखा जा रहा है। पंचायत सचिव, जनपद में अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौपते हुए, मांग न पूरी होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर है।महंगाई के दौर में इतनी कम सैलरी पर वास्तव में कैसे घर परिवार चलता है भला इनके दर्द को कौन जानें। सरकार आती है जाती है पर व्यवस्था नही बदलती मिलता है केवल आश्वासन।
प्रदेश के हजारों ग्राम पंचायतों में लॉकडाउन में भी नियमित सेवायें देने के बाद भी सरकार ग्राम पंचायत सचिवों को 50 लाख बीमा और अन्य सुविधाओं की श्रेणी में नहीं रखा है, जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि सचिव ग्राम पंचायत के माध्यम से ही दूभर और विषम परिस्थितयों में कार्य संपादित किये जा रहे हैं। आज कोरोना के भययुक्त माहौल में भी गांव, गरीब और हर इंसान के सुख दुख में प्रहरी की तरह तैनात है।
शासन प्रशासन को इस बात को समझना ही चाहिये और विचार करना चाहिये, जबकि सरकारों की वोट बैंक की राजनीति में शिक्षा कर्मी भारी पड़ रहे जिससे उनकी सुविधायें बेहतर कर रही सरकार, सरकारों को जमीनी सच को स्वीकारना ही होगा जिससे मतभेद की चिन्गारी मनभेद तक ना जा पहुंचे। जिससे नाराज पंचायत सचिवों ने सरकार से मांग की है कि सरकार उनको सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए नियमित करने का आदेश शीघ्र जारी करे । दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि पूरा होने पश्चात शासकीयकरण की मांग को लेकर हल्ला बोलने की तैयारी में ग्राम पंचायत सचिव संघ 26 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे।
प्रदेश पंचायत सचिव संघ के जिला कोंडागांव जिला ईकाई सचिव विश्वनाथ देवांगन ने कहा कि सचिव लॉकडाउन में भी कार्य करते हुए कई सचिव साथी कई दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं, कोरोना की चपेट में भी आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है,छत्तीसगढ़ में सचिव साथियों में कोरोना के संदिग्ध केश मिलने की संभावनायें मीडिया पर चल रही हैं । जब जमीनी स्तर पर काम करने का होता है तो सरकार, नेता और प्रशासन को सचिव की भूमिका याद रहती है। फिर उसके शासकीय करण और वेतनमान की बात आती है तो उसको यहां वहां भटका कर लॉलीपाप पकड़ा दिया जाता है,सरकार चाहे जिसकी भी रही है, सभी ने सचिवों के साथ छल किया है।
पूर्णकालीन पेंशन की स्वीकृति की मांग
सचिव के उपर हमले हो रहे,सचिवों को रात दिन हर शासकीय योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिये ड्यूटी लगाया और हर सचिव पूरी निष्ठा के साथ कार्य करता है।पंचायत सचिवों के हक और अधिकार के लिए एकजुट होकर लड़ाई लडऩे के लिए हुंकार भरते हुए,उन्होने कहा कि सबसे पहले शासकीय करण कर दीजिये सरकार । दो वर्ष परीक्षा अवधि पश्चात सचिवों को 5200 से 20200 रूपये वेतनमान व 2400 रूपये ग्रेड पे की मांग पूरी करना,साथ ही सरकारी सेवक किया जाने के साथ साथ विभागीय रिक्त पदों पर शत प्रतिशत पदोन्नति एवं त्रिस्तरीय क्रमोन्नति की स्वीकृति,पूर्णकालीन पेंशन की स्वीकृति की मांग पूरी किया जाना चाहिए । सरकार स्वास्थ्य विभाग को 50 लाख और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को 30 लाख का बीमा राशि दिए जाने की घोषणा कर चुकी है।जबकि इस महामारी में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले सचिवों की कोई पूछ परख नहीं है। फिर भी सचिव रात दिन काम कर रहा है 7 हमारी मांग है कि सरकार सचिवों को शासकीय नियमित कर्मचारी घोषित करने का आदेश जारी करे।
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