June 14, 2025

सूना स्टेशन, खाली साइकिल स्टैंड, कोरोना ने किया बेहाल

खत्म होने को है ठेका, कैसे जमा करेंगे पैसा

पायनियर संवाददाता-भाटापारा

दसवें महीने की ओर कदम बढ़ा रहा कोरोना अब रेलवे के साइकिल स्टैंड में भी प्रवेश कर चुका है। भारी-भरकम राशि के एवज में लिया गया यह काम स्टैंड ठेकेदारों पर बेहद भारी पड़ रहा है। मजबूरी में लिया जा रहा लगभग 2 गुना किराया वाहन मालिकों को नाराज तो कर रहा है लेकिन सिर्फ एक विनम्र प्रार्थना- नाराज मत होईए, मजबूरी समझिए, सहयोग करें।
सूने टिकट काउंटर- प्रतीक्षालय की खाली कुर्सियां। प्लेटफार्म के अंतिम छोर तक सन्नाटा। सीमित संख्या में चलती यात्री ट्रेनें। रिजर्वेशन की शर्त पर ही यात्रा की बाध्यता। इन सबके बाद सीमित यात्री लेकर चल रही यात्री ट्रेनें। चाय-नाश्ता बेचने वाले काउंटरों में लटके ताले। चलती यात्री ट्रेनों के सहारे जीवन की गाड़ी चलाने वाले हर वर्ग को कोरोना ने जोरदार नुकसान पहुंचाया हैं। इसमें अब एक और नाम साइकिल स्टैंड का भी जोड़ लीजिए क्योंकि यह वर्ग भी भयंकर आर्थिक संकट के साए में आ चुका है। बिलासपुर जिले से लेकर राजनांदगांव तक के हर स्टेशन के रेलवे साइकिल स्टैंड सूने हो चुके हैं। संचालक अब परेशान है कि ठेके की राशि जमा करने की अवधि तेजी से करीब आ रही है। कैसे यह राशि जमा की जा सकेगी? क्योंकि अवधि खत्म होने में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है।

इसलिए बढ़ाया किराया

मार्च 2020 के तीसरे महीने में एक झटके से रेल सेवाएं बंद करने के फैसले ने स्टैंड को तगड़ा झटका दिया। पूरी तरह जमीन पर आ चुके स्टैंड को उम्मीद थी कि स्थिति में जल्द बदलाव आ जाएगा। अब दसवें महीने में प्रवेश कर चुका रेलवे का यह फैसला उम्मीदें तोड़ चुका है। इसलिए सीमित संख्या में चल रही यात्री ट्रेनों में आना-जाना कर रहे वाहन मालिकों से बढ़ाकर किराया लिया जाना स्टैंड मालिको के बीच मजबूरी में लिया गया फैसला माना जा रहा है। पीड़ा तो है लेकिन दूसरा कोई विकल्प है नहीं क्योंकि कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है।

चाहिए सहयोग आपका

यात्री ट्रेनों के सहारे यह वर्ग भी अपना और सहयोगी कर्मचारियों के परिवार की गाड़ी चलाता था। ट्रेनों के पहियों पर ब्रेक लगने के बाद परिवार की चलती गाड़ी पर भी ब्रेक लग चुका है। सहयोगियों की रोजी-रोटी चलती रहे, इसे ध्यान में रखकर स्टैंड का किराया बढ़ाना पीड़ादायक फैसला था। आना-जाना कर रहे यात्रियों से बढ़ा हुआ किराया लिए जाने के बाद एवज में सुनने को मिल रहे शब्द नाराज तो करते हैं लेकिन जवाब के पीछे सिर्फ एक ही एहसास होता है कि- आपात स्थितियों में सहयोग दें। हम भी भारी अर्थ संकट का सामना कर रहे हैं।

वाहन मालिकों का दर्द

सूनसान साइकिल स्टैंड में अब साइकिल की संख्या बेहद कम हो चुकी है। जो हैं उनके मालिकों से 5 रुपए की जगह 10 रुपए, बाइक या स्कूटर मालिकों से 6 रुपए की जगह 12 रुपए और चार पहिया वाहन मालिकों से 25 रुपए की जगह 30 या 40 रुपए जैसा किराया पीड़ा तो पहुंचा रहा है लेकिन यह पीड़ा भी किसी तरह सही जा रही है क्योंकि हर वर्ग सड़क पर आ चुका है। कुछ शब्द कहने और सुनने के बाद सूने स्टैंड को देखकर स्टैंड मालिकों की स्थिति जानी और समझी जा रही है।

उपाय सिर्फ एक

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अब रेलवे से खत्म हो रही ठेके की अवधि मे कम से कम 1 माह का अतिरिक्त समय दिए जाने की मांग रखने का विचार है। अब रेल प्रबंधन इस पर क्या फैसला लेता है यह स्टैंड मालिकों का पक्ष रखने के बाद ही सामने आ पाएगा। वैसे यह वर्ग भी दूसरे वर्ग की ही तरह बेहद आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

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