June 14, 2025

सवर्ण होने के कारण हिंदी संविधान के रचयिता दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त को वह सम्मान नहीं मिला जिनके वह हकदार थे

पुरखा के सुरता में घनश्याम सिंह गुप्त के साथ ठाकुर प्यारेलाल और पं. सुंदरलाल शर्मा का किया गया स्मरण

पायनियर संवाददाता-रायपुर

विधान सभा में संविधान पुरूष घनश्याम सिंह गुप्त का तैल चित्र लगाने और पाठ्य पुस्तक में उनकी जीवनी को शामिल करने की उठी मांग लोकतांत्रिक विचार मंच द्वारा तीर्थराज पैलेस में पुरखा के सुरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जयंती के अवसर पर संविधान पुरूष दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त (22 दिसंबर) के साथ छत्तीसगढिय़ा गौरव ठाकुर प्यारेलाल सिंह और पं. सुंदरलाल शर्मा (21 दिसंबर) की जीवनी, व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की गई
कार्यक्रम में शामिल लोगों को राजकुमार गुप्त ने बताया कि यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि पंजाब के भाषा आंदोलन का निराकरण करने में गांधी और नेहरू के साथ दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त की बड़ी भूमिका रही है, इसके अतिरिक्त 1930 से 1940 के बीच बने कानूनों में भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही है, यह दुर्भाग्य है कि दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त के बारे में जितना अन्य राज्य के लोग जानते हैं छत्तीसगढ़ के लोग नहीं जानते हैं।
कृषि उपज को आयकर से मुक्त कराना दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त की देन है : उन्होनें आगे बताया कि जब आयकर पर विचार विमर्श किया जा रहा था कृषि से आय को भी कर के दायरे में रखने का प्रयास हुआ था जिसका दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त ने पुरजोर विरोध किया था जिसके कारण ही आजतक कृषि पर आय कर से मुक्त है यह किसानों को दिया गया उनका सबसे बड़ा तोहफा है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये आयोजक एड. राजकुमार गुप्त ने कहा कि 1940 में बैरिस्टर छेदीलाल के साथ मिलकर ठाकुर प्यारेलाल सिंह और पं. सुंदरलाल शर्मा ने त्रिपुरी कांग्रेस में छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव किया था, जिस प्रकार सरदार पटेल नें देश के रियासतों को एक करने का काम किया था उसी प्रकार ठाकुर प्यारेलाल सिंह नें छत्तीसगढ़ के रियासतों को एक करने का प्रयास किया था। उन्होने इस बात पर अफसोस जताया कि सवर्ण होने का खामियाजा दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त को भुगतना पड़ा है और उन्हे वह सम्मान नहीं मिला जिनके वह हकदार थे।
कार्यक्रम में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके विधान सभा में संविधान पुरूष दाऊ घनश्याम सिंह गुप्त का तैल चित्र लगाने और प्रदेश के स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी को शामिल करने की मांग की गई। कार्यक्रम को कल्याण सिंह ठाकुर ने भी संबोधित किया, सुभायुदास, बृजेंद्र तिवारी, सुमीत घोष, पूरनलाल साहू, अक्षय साहू आदि कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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