July 30, 2025

अब तक नहीं हो सका परिवहन का ठेका, प्रभावित होगी धान खरीदी !

पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव

एक माह देर से धान की खरीदी को लेकर सरकार अब भी निशाने पर है। उस पर पहली मर्तबा धान उठाव की स्थिति बिगड़ती नजऱ आ रही है। राजनांदगांव जिला विपणन अधिकारी की मानें तो खरीदी केंद्रों से धान के उठाव में इस हफ्ते तक तेजी आने की कोई संभावना नहीं है। इस स्थिति में खरीदी केंद्रों में धान के रख-रखाव को लेकर भयंकर स्थिति पैदा हो सकती है। दरअसल, अब तक धान के परिवहन हेतु जारी टेंडर की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है। खरीदी शुरु हुए एक पखवाड़ा बीत जाने के बावजूद धान का परिवहन ट्रांसपोर्टरों द्वारा शुरु नहीं किया गया है। यह आशंका जिला प्रशासन के लिए बड़ी चिंता का सबब है। मार्कफेड (छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ) ने खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में परिवहन के लिए तीन बार अल्पकालीन ई-निविदा जारी की है। पहली निविदा 24 नवंबर और दूसरी 25 नवंबर को खोली जानी थी। तीसरी निविदा के लिए 7 दिसंबर से 21 दिसंबर तक बोली लग रही है। 22 दिसंबर को निविदा खोला जाना प्रस्तावित है। इसके बाद अनुंबंध सहित अन्य कागजी कार्रवाई में तीन से चार दिनों का वक्त लगता है। प्रत्येक निविदाओं के तहत परिवहनकर्ताओं को हर निविदा में 32 लाख 04 हजार 284 मेट्रिक टन का उठाव करना है। पहली और दूसरी निविदाओं की स्वीकृति की तिथि को भी लगभग 20 दिन बीतने को हैं बावजूद इसके अब तक जिले में ट्रांसपोर्टरों ने धान का एक दाना नहीं उठाया है। फिलहाल पूरा दारोमदार मिलर्स पर ही जिनसे 20 लाख 38 हजार 4 सौ क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग का अनुबंध किया गया है। हालांकि, मिलर्स द्वारा किए जाने वाले उठाव से राहत मिलने के कोई आसार नहीं है। मिलर्स की क्षमता बड़ी खेप ढोने की नहीं है।

अधर में टेंडर

एसएलसी (स्टेट लेवल कमेटी) अब तक धान खरीदी के लिए ट्रांसपोर्टरों से मंगाए गए टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं कर सकी है। इसमें अभी भी एक-दो दिन और लगने की संभावना जताई जा रही है। लगातार हो रही देर के बीच पखवाड़े भर की खरीदी का धान केंद्रों में ही पड़ा है। बंफर आवक के बीच केंद्रों की संग्रहण क्षमता कम होती जा रही है। अगर, स्थिति ऐसी ही बनी रही तो जल्द ही केंद्रों में खरीदी को लेकर मुश्किल खड़ी हो सकती है।

एक-दो दिन और

डीएमओ (जिला विपणन अधिकारी) सौरभ भारद्वाज ने पायनियर से चर्चा में कहा कि सारी प्रक्रिया राजधानी में ही पूरी होनी है। राज्य के सभी जिलों में परिवहन के लिए निविदा, स्वीकृति, अनुबंध वहीं होना है। परिवहन को लेकर प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो सकी है जिसमें संभवत: एक – दो दिन और लग सकते हैं। अगर, एक दो दिन में यह हो जाता है तो शुक्रवार से ट्रांसपोर्टरों द्वारा परिवहन शुरु होने की संभावना है।

काफी देर हो चुकी

अधिकारी बताते हैं कि इससे पहले हर दफा खरीदी से पहले परिवहन के टेंडर हो जाया करते थे लेकिन इस दफा कुछ मामलों में देर हो रही है। अधिकारी इस संबंध में बेहतर मॉनसून को भी कारण बताते हैं। वे कहते हैं, इस दफा धान की बंफर आवक हो रही है जबकि पहले यह स्थिति नहीं थी। हालांकि उनके यह कारण परिवहन के इस मामले से अलग ही जान पड़ते हैं। उस सूरत में तो और जब धान की खरीदी ही एक नवंबर की जगह एक दिसंबर से शुरु हुई है। एक महिने का अतिरिक्त समय मिलने के बावजूद मार्कफेड प्रबंधन परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर पाया है जो कि बड़ा विषय है।

साढ़े नौ लाख मेट्रिक टन का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष 90 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा है। जिले में 6 संग्रहण केंद्र हैं। इनमें सिंघोला, मदराकुही, ठेलकाडीह, कलकसा, घोटया, बांधाबाजार (सेवताटोला), बीजाभाटा (लमीनगर घुघवा साहे) शामिल हैं। राजनांदगांव जिले में 9 लाख 50 हजार 556 मेट्रिक टन की मात्रा निर्धारित की गई है।

अरबों का धान सोसायटियों में

जिले के करीब 137 धान खरीदी केंद्रों में धान की बंफर आवक जारी है। बीते सोमवार तक के आंकड़े को देखें तो करीब 4 अरब का धान खरीदा जा चुका है। लेकिन सिर्फ मिलर्स ही अब तक धान का उठाव कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि करीब 50 मिलरों से 20 लाख 38 हजार 4 सौ क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग का अनुबंध हुआ है। मिलरों ने अब तक सिर्फ 58 हजार क्विंटल का उठाव किया है।

प्रभावित हो रही गुणवत्ता

मौसम विभाग का अनुमान है कि बुधवार को भी हल्की बारिश संभव है। पिछले तीन दिनों से मौसम में काफी नमी है। बदली भी छाई हुए है। ऐसे में खुले में रखे धान की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है जिसका सीधा नुकसान सरकार को उठाना पड़ सकता है। वहीं इस आड़ में खरीदी केंद्रों में गफलत की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। हालांकि मौसम की मार का सामना किसान भी कर रहे हैं। उनकी फसल लगभग एक माह पूर्व से ही कटकर तैयार है। जबकि सरकार ने खरीदी 1 दिसंबर से शुरु की। ऐसे में उनके धान की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।

घाटा उठाना पड़ सकता है

धान परिवहन में देर से कई तरह के नुकसान होते हैं। पहला तो ये कि उपार्जन केंद्र में धान का परिवहन उठाव देर से होने की वजह से सोसायटियों में धान रखने की जगह नहीं बचती है। ऐसे में सोसायटी को धान खरीदी बंद करनी पड़ती है। इस कारण सोसायटी में धान बेचने आने वाले किसानों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। धान उठाव में देर से धान में सूखत की मात्रा बढ़ती है। सरकार एक प्रतिशत सूखा मान्य करती है, लेकिन इससे अधिक होने पर सोसायटी को घाटा उठाना पड़ता है। धान उठाने में देरी से बेमौसम बारिश,आंधी आदि से भी धान भीगकर खराब हो जाता है।

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