June 14, 2025

पॉवर कंपनी ने कोरबा ईस्ट के 120 मेगावाट के दो यूनिट को बंद करेगी

प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं, उत्पादन भी महंगा

पायनियर संवाददाता-रायपुर

छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने कोरबा ईस्ट के 120 मेगावाट के दो यूनिट को भी बंद करने का फैसला कर लिया है। इनको बंद करने के पीछे का कारण जहां लाख जतन के बाद भी प्रदूषण पर नियंत्रण न होना है, वहीं इन संयंत्रों में उत्पादन भी साढ़े चार रुपए यूनिट है, जो बहुत महंगा है। इन यूनिट में जिनते लोग काम करते हैं, उतने लोगों से 500 मेगावाट के दो यूनिट में उत्पादन हो जाता है। पावर कंपनी के कोरबा ईस्ट में 50 मेगावाट के चार और 120 मेगावाट के दो यूनिट स्थापित किए गए थे। इनमें से 50 मेगावाट के यूनिट तो 1962 में रूस की मदद से स्थापित हुए हैं। इन यूनिट में बहुत ज्यादा प्रदूषण होने के कारण कई बार जब एनजीटी ने नोटिस पर नोटिस दिया तो इनको दो साल पहले बंद कर दिया गया। इसी समय लगभग तय हो गया था कि आने वाले समय में 120 मेगावाट के यूनिट भी बंद किए जाएंगे, क्योंकि इन यूनिट के बहुत पुराने होने के कारण इसमें प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है। इनमें एक यूनिट 1976 और एक यूनिट 1981 का है।
मेंटेनेंस के नाम पर लाखों की गड़बड़ी को कंट्रोल करके जैसे-तैैसे दो साल तक खींचा गया। इसके पीछे का कारण यह रहा कि इनको अचानक बंद करने से बिजली की कमी का सामना करना पड़ सकता था। अब जबकि पॉवर कंपनी के पास पर्याप्त बिजली का उत्पादन होने लगा है तो इन यूनिट को बंद करने का फैसला किया गया है। बिजली की नहीं होगी कमी पॉवर कंपनी के अधिकारियों का साफ कहना है, इन दोनों यूनिट के बंद होने से बिजली की कमी नहीं होगी। इस समय पॉवर कंपनी के पास अपना 32 सौ मेगावाट का उत्पादन होता है। इसमें से 240 मेगावाट कम होने से अपना उत्पादन 2960 मेगावाट रह जाएगा। इसी के साथ पॉवर कंपनी को लारा के 800 मेगावाट के दो यूनिट से 800 मेगावाट बिजली मिल रही है। प्रदेश में जो अन्य निजी संयत्र हैं, उनसे लागत मूल्य पर तीन से पांच सौ मेगावाट बिजली मिल जाती है। इसके साथ ही सेंट्रल सेक्टर में छत्तीसगढ़ का दो हजार मेगावाट शेयर है। ऐसे में पावर कंपनी के पास छह हजार मेगावाट बिजली हो जाती है। इसमें से मड़वा की एक हजार मेगावाट बिजली तेलंगाना को दी जाती है। इसके बाद भी पांच हजार मेगावाट बिजली बच जाती है। आज तक कभी भी खपत पांच हजार मेगावाट तक नहीं गई है। पिछले साल गर्मी में रिकार्ड 47 सौ मेगावाट तक गई थी।
120 मेगावाट यूनिट के संयत्र में 450 कर्मचारी पॉवर कंपनी के नियमित हैं। इनको तो दूसरे संयंत्र में शिफ्ट करना तय है, पर इस संयंत्रों में आठ सौ से ज्यादा ठेका कर्मचारी काम करते हैं, इनको लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है। ऐसे में इनके बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है। ये कर्मचारी पॉवर कंपनी से किसी और संयंत्र में काम दिलाने की मांग कर रहे हैं। बंद कर रहे प्लांट कोरबा ईस्ट के 120 मेगावाट की दो यूनिट को 1 जनवरी से बंद किया जा रहा है।

  • इनको बंद करने का प्रमुख कारण प्रदूषण है। साथ ही कुछ अन्य कारण भी हैं।
    – एनके बिजौरा, एमडी, उत्पादन कंपनी
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