उधर, डीएमई तक पहुंचा जांच प्रतिवेदन, सरकार लेगी दोषियों पर एक्शन, दोषियों पर कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पाया प्रशासन
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में 15 नवंबर को कोरोना संक्रमित मरीज की लापरवाही के चलते हुई मौत को प्रशासन ने अपनी जांच में क्लीन चीट दे दी। प्रबंधन, चिकित्सक और स्टॉफ की लापरवाहियों को नजऱ अंदाज करते हुए महज व्यवस्था में सुधार संबंधी पहलु को आगे रखते हुए सभी को बख्श दिया गया। प्रशासन दावा कर रहा है कि मृतक की पुत्री ने दोषियों पर कार्रवाई के बजाए व्यवस्था में सुधार की ही मांग रखी थी इसलिए यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, जिला प्रशासन की जांच से इतर प्रबंधन के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच का ब्यौरा डीएमई तक पहुंच चुका है। जल्द ही यह रिपोर्ट सरकार तक पहुंचेगी। संभावना है कि इस रिपोर्ट पर प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन के इस निर्णय के साथ ही जांच को लेकर सवाल उठने लगे हैं। मृतक की पुत्री की शिकायत पर कलेक्टर टीके वर्मा ने एडीएम सीएल मारकंडे को जांच का जिम्मा सौंपा था। तकरीबन माह भर चली जांच के बाद प्रशासनिक जांच के नतीजे चौंकाने वाले हैं। एक व्यक्ति की मौत के मामले में प्रशासन शिकायतकर्ता से पूछकर निर्णय ले रहा है। इसके मायने यह भी हैं कि प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई चाहता ही नहीं था। बताया जा रहा है कि मृतक की पुत्री से जब पूछताछ की गई तो उससे घुमा-फिरा कर यह कहलवाने की कोशिश होती रही कि वे सिर्फ व्यवस्था में सुधार की बात कहें।
अगर दोषी हैं तो कार्रवाई क्यूं नहीं
कलेक्टर ने कहा है कि शिकायतकर्ता की पुत्री ने महज सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया जिसके बाद प्रबंधन को क्लीन चीट दे दी गई। मसला यह है कि क्या सिर्फ व्यवस्था और प्रबंधन में सुधार के निर्देश से ही सब कुछ बेहतर हो सकता है। अगर ऐसा होता, तो संभवत: 15 नवंबर को कोविड अस्पताल में लापरवाही के चलते मरीज की मौत न होती और न ही जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर लीक होता। जांच में जो दोषी पाए गए हैं आखिर उन्हें बचाने की कोशिशे क्यूं हो रहीं हैं। व्यवस्था सुधारने का सबसे बेहतर तरीका है दोषी को दंडित करना ताकि इस उदाहरण के बाद आगे लापरवाहियां न हो और सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं। लेकिन प्रशासन की मंशा ऐसी है ही नहीं।
सरकार को रिपोर्ट सौंपने की तैयारी
जिला प्रशासन की जांच से इतर 15 नवंबर को हुई मौत के मामले में उच्च स्तरीय जांच भी की जा रही है। इस जांच का प्रतिवेदन तैयार किया जा चुका है। डीएमई (डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन) आरके सिंह ने ‘पायनियरÓ से चर्चा में कहा कि, राजनांदगांव के कोविड अस्पताल में हुई मौत के मामले में की जा रही जांच की रिपोर्ट मुझे मिल चुकी है। इसे जल्द ही सरकार तक पहुंचाया जाना है। इस पूरे मामले में जो भी पहलु निकलकर सामने आएं हैं उसके संबंध में आखिरी निर्णय सरकार की लेगी। बताया जा रहा है कि उच्चस्तरीय जांच में प्रबंधन और चिकित्सा व्यवस्था में कई दोष निकलकर सामने आएं हैं। इन सब के लिए जिम्मेदार अधिकारियों, चिकित्सकों पर जल्द कार्रवाई हो सकती है।
अधीक्षक पर भी लगे हैं आरोप
गौरतलब है कि 15 नवंबर को कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के मामले में परिजनों ने शिकायत की थी। आरोप था कि मरीज के यहां लाए जाने से लेकर उनकी मौत तक अस्पताल ने कई लापरवाहियां की। इस दौरान ऑक्सीजन की बराबर सप्लाई भी नहीं हो सकी। वहीं चिकित्सक और मौजूद स्टॉफ ने भी मरीज की सुध नहीं ली। ऑक्सीजन एक अप्रशिक्षित वार्ड ब्वॉय से लगवाया गया जिसके कुछ देर बाद मरीज की मौत हुई। इस पूरे मामले में संयुक्त संचालक व प्रबंधक प्रदीप बेक पर भी आरोप लगे हैं। प्रबंधन को लेकर उनके ढिले रवैये और अस्पताल की मॉनिटरिंग न होने को लेकर उन्हें इस मामले में दोषी बताया जाता रहा है।
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