लगातार आरोपों से घिर रहे जिम्मेदार, सत्तापक्ष भी कार्यवाही की तैयारी में
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
तमाम आरोपों से अक्सर घिरे हुए अपने मूल उद्देश्य से भटक चुके स्कूल शिक्षा विभाग के खिलाफ जिला से लेकर स्कूल और संकुल स्तर तक शिकायतों व जांच के लम्बित प्रकरणों को देखते हुए जनमानस को संसाधन बतौर तैयार कर शिक्षा को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के सार्थक प्रयासों को इन हालातों में उम्मीद करना सम्भवत: एक कल्पना समझा जा रहा है। हाल फिलहाल में नियमविरुद्ध फर्नीचर खरीदी से लेकर बुनियादी शिक्षा को मजबूती देने तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये जिम्मेदार जिला मिशन समन्वयक के खिलाफ जांच प्रतिवेदन पर लम्बित कार्यवाही के अलावा चाहे संकुल समन्वयकों की नियुक्ति का विवाद हो लगभग सभी मामलों में आरोप और जांच का सामना कर रहे पूरे तंत्र में बड़ी कार्यवाही की जरूरत बताई जा रही है। लेकिन आधे अधूरे जांच और प्रकरणों को दबाने की कोशिशों के चलते पूरी व्यवस्था और अकादमिक स्तर की हालत बेहद चिंताजनक बताया जा रहा है।
सबसे बदतर स्थिति 6 से 14 साल तक के बच्चों की बुनियादी शिक्षा की बतायी जा रही है। जहां प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में न्यूनतम अधिगम स्तर का लक्ष्य हासिल होना तक मुश्किल स्थिति में है। जिम्मेदार अफसर फील्ड के बजाय दफ्तरों तक सीमित हैं। इस साल तो पूरी व्यवस्था कोरोना की भेंट चढ़ गई है परंतु बीते सत्र की स्थिति से बुनियादी शिक्षा व्यवस्था की हालात चौकानेवाली हैं। संकुल समन्वयकों के भरोसे बैठे विभाग के आला अधिकारियों को जमीनी हकीकत का नाममात्र भी अंदाजा नहीं होने से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
कमोबेश यही स्थिति जिलेभर में होने की खबर है। परंतु जिला मुख्यालय में तमाम उच्चाधिकारियों की नाक के नीचे राजनांदगांव विकासखंड की शिक्षा व्यवस्था काफी चौपट होने की शिकायतें आमबात है। यहां नियमविरुद्ध, पात्रता को दरकिनार कर संकुल समन्वयकों की मनमाने तरीके से नियुक्ति के चलते समग्र शिक्षा और राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद की तमाम योजनाओं और दिशानिर्देशों को बच्चों और समुदाय तक पहुँचाने में संकुल समन्वयकों की असफलता के चलते शिक्षा स्तर में अपेक्षित सुधार की गुंजाइश बेमानी होती जा रही है। वहीं शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए जारी बजट के बेहिसाब बंदरबांट के चलते कई योजनाएं असफल होने की खबर है। जहां समग्र शिक्षा की रीढ़ समझे जाने वाले चर्चापत्र के क्रियान्वयन और खर्च किये गए मद की जांच से कई संकुल समन्वयकों, विकासखंड और जिला स्तर के जिम्मेदारों की कलई खुल सकती है। घुमका, हरडुवा, उपरवाह, भैंसातरा, पटेवा और मोहन्दी संकुल में जुलाई 2019 से फरवरी 2020 की अवधि में चर्चापत्र की बैठकों के नाम पर किये गये खर्च और बैठक में शिक्षकों की फर्जी उपस्थिति की जांच से मामले का पर दर परत खुलासा होना स्वाभाविक है।
चर्चापत्र को समग्र शिक्षा की ओर से समुदाय व शिक्षकों के बेहतर तालमेल से गुणवत्तापूर्ण पठन पाठन का अनिवार्य अंग मानते हुए इस योजना में प्रत्येक शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित की गई थी। इसके लिए पर्याप्त फंड भी जारी किया गया परन्तु चर्चापत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए उक्त बैठकों के नाम पर औपचारिकताओं के खेल में बजट के जमकर दुरुपयोग की शिकायतों के जांच से कई संकुल समन्यवको पर गाज गिरना निश्चित बताया जा रहा है।
सूत्रों के हवाले से शिकायतों में यहां तक बताया जा रहा है कि बैठक के नाम पर शिक्षकों की कथित कूटरचित उपस्थिति के गम्भीर मामले शुमार हैं। शैक्षणिक गतिविधियों के मापदंडों में असफल संकुल समन्वयकों और शिक्षकों पर अपने दायित्वों से दूर इस तरह की शिकायतों से घिरे होने के साथ ही सत्तापक्ष के खिलाफ आयोजनों में भागीदारी की गम्भीर शिकायतों को लेकर विश्वस्त सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने भी गम्भीरता से लिया है। विधानसभा के नाराज आला जनप्रतिनिधियो की ओर से इन मामलों से जुड़े कई लोगों को चिन्हित कर सूची तैयार करने की खबरों के बीच जल्द कड़ी कार्यवाही के संकेत मिल रहे हैं।
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