July 1, 2025

कर्ज तले दबे किसान ने धान के रकबे में कटौती के कारण की आत्महत्या

लगभग 93 क्विंटल की खरीदी होनी थी, मात्र 11 क्विंटल का पंजीयन

अनुज कुमार-कोण्डागांव

कोंडागांव जिले के बड़ेराजपुर ब्लॉक अंतर्गत पटवारियों के द्वारा गिरदावरी रिपोर्ट में कई प्रकार की त्रुटि होने की बात सामने आ रही है। कुछ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने धान की फसल लगाई हैं, लेकिन टोकन कटवाने पर उनके रिकार्ड मे मक्के की फसल लिख दी गई है। वहीं कई किसान के रकबे में भी भारी भरकम कटौती करने की बात सामने आ रही है। जिसके चलते बुधवार को ग्राम मारंगपुरी के कर्ज तले दबे किसान धनीराम मरकाम ने रखबे में कटौती होने के कारण तनाव में आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया है। सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारियों में अफरा तफरी मच गई है तथा अब सभी त्रुटियों को सुधारने में लगे हुए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार धनीराम मरकाम पिता मंगलू उम्र 40 वर्ष निवासी ग्राम मारंगपुरी (बड़ेराजपुर) के पास 6.70 एकड़ का भूमि स्वामित्व पट्टा है जिस पर लगभग 100 क्विटल धान का पंजीयन होना चाहिए जब उसने अपने रिश्तेदार प्रेमलाल नेताम को टोकन कटाने लेम्पस सलना भेजा तो उसे पता लगा कि वह 11 क्विटल धान ही बेच सकेगा। उसने 61932 रुपये का कर्ज बैंक से ले रखा है। इसके अलावा व्यापारियों के पास भी कर्ज है। जिसके चलते वह किसान तनाव में आ गया तथा आजके दिन बुधवार की सुबह-सुबह उठकर खेत की ओर गया तथा पेड़ पर फांसी लगा लिया।

मृतक किसान की पत्नी ने वस्तुस्थिति से करवाया अवगत

मृतक की पत्नी सुमित्रा बाई मरकाम ने बताया कि उनका भाई प्रेमलाल नेताम मंगलवार को लेम्पस सलना में टोकन कटवाने गया था जहां उन्हें पट्टे के मुताबिक लगभग 100 क्विंटल धान का टोकन मिलना था किंतु ऑपरेटर ने उन्हें बताया कि उनको सिर्फ 11 क्विंटल धान के लायक ही पंजीयन है, बाकी रकबा पटवारी ने नहीं चढ़ाया है। मृतक काफी लंबा चौड़ा कर्ज ले रखा था तथा उसे कई अन्य खर्च भी करना था जिसके चलते वह तनाव में आ गया तथा उसे चिंता सताने लगी थी। जिससे वह तनाव में आ गया तथा रात भर सो नहीं पाया, सुबह उठकर खेत की ओर गया तथा उसने खेत के समीप एक झाड़ पर फांसी लगा लिया। मृतक की दो पुत्रियां लवेश्वरी (19) तथा कमलेश्वरी (17) हैं, पुत्र की चार साल पहले मौत हो चुकी है।

तहसीलदार ने भी स्वीकारा, गिरदावरी में कर्मचारियों से हुई है गलतियां

इस विषय पर बड़ेराजपुर तहसीलदार एचआर नायक ने बताया कि उक्त मृतक किसान धनीराम मरकाम के पास कुल 6.72 एकड़ जमीन है जिसमे से उसने 6.54 एकड़ जमीन पर धान की फसल लगाया था, जिसमे लगभग 93 क्विंटल तक धान खरीदी हो सकती थी। लेकिन गिरदावरी में पटवारी द्वारा की गई गलती के कारण रेकॉर्ड में केवल 30 डिसमिल ही दिखा रहा है जिसके कारण उसके टोकन में केवल 11 क्विंटल ही देखा गया है, फिलहाल हमारे डकरा इस सम्बंध में जांच की जाएगी।

आत्महत्या मामले में पटवारी निलंबित, तहसीलदार को नोटिस

जिले के बडेराजपुर ब्लाक के ग्राम मारंगपुरी के किसान धनीराम की आत्महत्या के मामले में कारवाही करते हुए संबंधित पटवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, तथा तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस विषय पर कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व केशकाल से किसान की आत्महत्या के संबंध में त्वरित जानकारी मांगी, तत्पश्चात जांच में पाया गया कि किसान धनीराम का 2.713 हेक्टेयर भूमि पर धान बोया गया था लेकिन त्रुटि वश 0.320 हैक्टेयर में धान की प्रविष्टि हो गई थी। जिससे वह मानसिक रूप से व्यथित था, लेकिन किसान के द्वारा इस संबंध में प्रशासन को कोई सूचना नहीं दिया गया। फिलहाल पटवारी द्वारा की गई लापरवाही के कारण उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है वहीं संबंधित तहसीलदार बड़ेराजपुर एच.आर नायक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

प्रदेश सरकार और समूचा सरकारी तंत्र मामले पर पर्दा डालने की नीयत से आत्महत्या को तोड़ मरोड़ निजी जीवन से जोडऩे की कोशिश : लता उसेण्डी

जिले के बड़े राजपुर तहसील में ग्राम मारंगपुरी निवासी 40 वर्षीय किसान धनीराम द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने की दुखद व संवेदनशील घटना पर छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुश्री लता उसेंडी ने स्थानीय विश्राम गृह मे आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा कर प्रदेश सरकार व सरकारी तंत्र को आड़े हाथों लेते कटघरे मे खड़ा किया। सरकार और सरकारी तंत्र पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि अन्नदाता को सरकार की गलत नीतियों की वजह से बदहाली मे ऐसे कदम उठाने पड़ रहे है। जिस किसान कि दो बेटियां और एक बूढ़ी मां हो और जो अपने घर का इकलौता सहारा हो, वह उपज न बिक पाने के चलते प्रभावित होकर अपनी इहलीला समाप्त करने का फैसला करता है तो यह सरकार के लिए शर्म की बात है। प्रदेश सरकार और समूचा सरकारी तंत्र मामले पर पर्दा डालने की नीयत से उक्त किसान को अवसादग्रस्त बताने पर तुला रहा, व आत्महत्या के कारण को तोड़ मरोड़ निजी जीवन से जोडऩे की कोशिश में लगा रहा। पूर्व मंत्री ने कहा कि किसान की आत्महत्या का प्रमुख कारण सरकार की गलत नीतियों, धान खरीदी मे पारदर्शिता का अभाव, गिरदावरी व अन्य तमाम तकनीकी खामियों के रूप में सामने आई है। अधिकारी और कर्मचारी सरकार के दबाव मे काम करने को मजबूर है। मृतकों को मानसिक रोगी और अवसादग्रस्त बताने मे लगी सरकार खुद विफलताओं के बोझ और तुगलकी सनक के चलते जनता का विश्वास खो रही है। किसान हितैषी होने का नारा देकर सत्ता में आईं इस सरकार की नीतियों ने आज किसान भाईयो को ही सबसे पहले समाजिक, आर्थिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित कर उनका जीवन लीलना शुरू कर दिया है।
उसेंडी ने सरकार से न्यायसंगत रवैया अपनाते सम्बन्धित जिम्मेदारों पर कठोर कार्यवाही करने की मांग की है। इसके साथ ही धान को पुरानी नीति के तहत खरीदने की मांग की है। किसान की बेटी को सरकारी नौकरी, बैंक की कर्ज माफी, 6.70 डिसमिल जमीन के हिसाब से 100 क्विंटल धान खरीदने की मांग के साथ ही परिवार के सदस्यों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। मांगें पूरी न होने पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
उक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस मे जिलाध्यक्ष दीपेश अरोरा गोपाल दीक्षित, बालसिंह बघेल, जैनेन्द्र ठाकुर, हेमकुंवर पटेल, जसकेतु उसेंडी, अश्विनी पाण्डेय, विनय राज, रौनक दीवान, तिमीर प्रकाश व अन्य मौजूद रहे।

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