July 1, 2025

दैवेभो के जिम्मे धान खरीदी, गड़बड़ी की शिकायतों पर कौन होगा जिम्मेदारी !

शासन के महत्वपूर्ण कार्य के लिए नियमित कर्मचारी नहीं

पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव

धान खरीदी को लेकर कृषक सेवा सहकारी समितियों में कुछ फैसले बड़े विवाद का कारण बनते दिख रहे हैं। शिकायतें मिल रही है कि कई खरीदी केंद्रों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के जिम्मे धान खरीदी की जा रही है। कई युवकों को निवर्तमान संचालक मंडल द्वारा दैनिक वेतन में काम पर रखा गया है। इन्ही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के भरोसे धान खरीदी जैसे महत्वपूर्ण काम लिया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार कृषक सेवा सहकारी समिति घुमका में प्रबंध संचालक, समिति प्रबन्धक लेखापाल समेत कई कर्मचारियों का बडे सेटअप से संचालित घुमका सोसायटी से इलाके के 46 गांवों के किसानों की खेती किसानी से जुड़ी खाद,बीज नगदी ऋ ण जैसी सभी सुविधाएं शिकवा शिकायतों के बीच मिलती रही। अधिकांश कर्मचारियों के सेवा निवृत्त निलम्बन जैसी प्रक्रिया के बाद एकाएक घुमका सोसायटी में कर्मचारियों की कमी इस कदर हुई कि वर्तमान में मात्र एक नियमित लेखापाल और मार्कफेड से जुड़े एक संविदा कम्प्यूटर आपरेटर के भरोसे चल रही सोसायटी में कई युवकों को निवर्तमान संचालक मंडल द्वारा दैनिक वेतन में काम पर रखा गया है। इन्ही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के भरोसे धान खरीदी जैसे महत्वपूर्ण काम लिया जा रहा है।
कृषक सेवा सहकारी समिति में एक संविदा कम्प्यूटर आपरेटर फड़ प्रभारी और एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के हवाले धान खरीदी का जिम्मा है। पटेवा में दैनिक वेतन भोगी कम्प्यूटर आपरेटर के साथ एक सहायक समिति सेवक कार्यरत है। सबसे खराब स्थिति भैंसातरा और मुरमून्दा की बतायी जा रही है। यहां धान खरीदी का पूरा काम पूरी तरह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के जिम्मे है। इन्हें फड़ प्रभारी और लेखा जोखा कम्प्यूटर समेत पूरी जिम्मेदारी दी गई है। इस तरह की व्यवस्था से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन के इतने महत्वपूर्ण योजना के क्रियान्वयन के लिए अधिकारी कितने गम्भीर हैं।
खबरों के अनुसार लगातार विवादों और आरोपों से घिरे होने के चलते विगत कई सालों से नयी भर्ती नहीं हो पाने के कारण कर्मचारियों का अभाव बताया जा रहा है। समिति के संचालन के लिए बनी नियमावली,उपपंजीयक सहकारिता के प्रत्यक्ष नियंत्रण के बाद भी तमाम नियमों को दरकिनार कर वर्ष 2014 में तत्कालीन एमडी व संचालक मंडल ने मिलकर गुपचुप तरीके से लेनदेन कर कई पदों पर भर्ती कर लिया था। मामले में शिकवा शिकायतों और आरोपों के बाद अंतत: नियुक्तियों को निरस्त करना पड़ा और संचालक मण्डल को भंग कर 5 साल के लिए चुनाव लडऩे अपात्र घोषित किया गया था। बावजूद इसके वर्तमान संचालक मंडल ने फिर से इस तरह पिछले दरवाजे से नियमों से परे नियुक्ति की है। जिनको धान खरीदी का जिम्मा सौंपा गया है। जबकि पिछले कई साल से धान शार्टेज के मामले में समितियों को घाटा उठाना पड़ा है।

योजनाएं हो रही प्रभावित

समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के इतने महत्वपूर्ण योजना में अनियमितता और निर्धारित मापदंडों नियमों को दरकिनार कर धान उपार्जन में बरती जा रही लापरवाही के चलते घुमका समेत क्षेत्र की आश्रित सहकारी समितियों को लगातार सालों से घाटा उठाने के चक्कर में अंशपुंजी धारक कृषक सदस्यों को कई तरह का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। संचालक मंडल और पदस्थ कर्मचारियों के कारनामों से आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों और जांच से घिरे कई सालों से घाटा और कर्ज में डूबे घुमका सोसायटी के किसानों को अपने शेयर का लाभांश सपना बन गया है। प्रशासनिक व्यवस्था और किसानों की सहूलियत का हवाला देकर कई उठापटक, कानूनी विवादों के बाद फिलहाल राज्य सरकार के सोसायटी पुनर्गठन के आदेश के बाद जिले की सबसे बड़ी घुमका सोसायटी को पटेवा, भैंसातरा, मुरमुन्दा मिलाकर चार समितियों में विभाजित करने के बाद स्थिति और बुरी तरह गड़बड़ा गई है और इस साल के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी योजना भी इससे प्रभावित हुआ है।

Spread the love