डीईओ के फैसले के चलते संकुल समन्वयक सांसत में, संकुलों से मांग पत्र लिए बिना ही की खरीदी, अब उपयोगिता प्रमाण पत्र के लिए बना रहे दबाव
विक्रम बाजपेयी-राजनांदगांव
बंद स्कूलों के लिए जिला शिक्षा विभाग द्वारा फर्नीचर खरीदी में घोटाला की आशंका है। जिले के 151 संकुलों और उत्कृष्ट इंग्लिश मिडियम स्कूल से बगैर मांग पत्र लिए प्रत्येक संकुल को 80 हजार रुपए की कीमत के गुणवत्ताहीन फर्नीचर दिए जाने के आरोप विभाग पर लग रहे हैं। आरोप हैं कि इस खरीदी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने कई जरुरी मानकों की जानबूझकर अनदेखी की है। जिले के कई संकुल समन्वयक इस संबंध में भी शिकायत कर रहे हैं कि अब उनसे दबावपूर्वक पुरानी तारीख में मांग पत्र और उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है।
फर्नीचर खरीदी में अब जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) हेतराम सोम घिरते नजऱ आ रहे हैं। सीएसआईडीसी (छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की दर पर प्रत्येक संकुलों के लिए फर्नीचर की खरीदी होनी थी। इससे पहले नियमत: प्रत्येक संकुल से आवश्यकतानुसार फर्नीचर की सप्लाई के लिए मांग पत्र लिया जाना था। ताकि स्कूलों की आवश्यकताओं के अनुसार ही तय या उससे कम सामग्री क्रय की जाए। आरोप है कि विभाग ने ऐसा न करते हुए सीधे फर्नीचर क्रय कर लिया। इसके लाखों की रकम खर्च की गई।
बगैर मांग पत्र की खरीदी गई इस सामग्री की सप्लाई से संकुल समन्वयकों में हड़कंप है। संकुल समन्वयकों में घबराहट इस विषय को लेकर है कि भविष्य में इस मामले की जांच में उनकी नौकरी पर न बन आए। उधर, सकुंल समन्वयकों पर अब मांग पत्र और उपयोगिता प्रमाण पत्र देने का दबाव बनाया जा रहा है। दो पाटों के बीच पीस रहे संकुल समन्वयक इधर-उधर दौड़ रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई इस खरीदी का भुगतान सीआरसी द्वारा किया गया है।
चहेतों को उपकृत करने का खेल
इस खरीदी को लेकर दूसरा पेंच निविदा जारी करने को लेकर है। फर्नीचर खरीदी व अन्य प्रक्रियाओं से पहले निविदा का प्रकाशन किया जाना आवश्यक है। निविदा का ऑनलाईन प्रकाशन भी नहीं किया गया जो कि आवश्ययक था। निविदा के प्रकाशन बाद ही पंजीकृत फर्म निविदा में भाग लेती लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका। खबर है कि फर्नीचर खरीदी को लेकर विभाग ने अपनी पसंदीदा फर्म को ही उपकृत किया और लाखों की सामग्री का क्रय किया गया।
क्रय समिति भी नहीं बनाई
इस मसले को लेकर कई और भी विवाद हैं। मसलन, सामग्री खरीदी से पहले क्रय समिति का गठन नहीं किया गया। यह समिति ही होती है जो सामग्री की आवश्यकता दर व अन्य आवश्यक पहलुओं को देखते हुए निर्णय लेती है। इसके विपरित जिला शिक्षा विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया को ही किनारे लगा दिया। इस संदर्भ में सांसद संतोष पांडे की आपत्ति पर जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम ने अधिकृत रुप से जवाब देते हुए इस प्रक्रिया की आवश्यकता को ही ठुकरा दिया। उन्होंने अपने जवाब में लिखा कि सीएसआईडीसी की दर पर पंजीकृत फर्म से खरीदी करने पर क्रय समिति का गठन करना आवश्यक नहीं है।
खरीदी और गुणवत्ता को लेकर कई सवाल
संकुल समन्वयक अब उपयोगिता प्रमाण पत्र देने से हाथ पीछे खींच रहे हैं। दरअसल, सामग्री संकुल तक पहुंचने के बाद उसकी उपयोगिता और गुणवत्ता को लेकर संकुल अपनी ओर प्रमाण पत्र जारी करते हैं। लेकिन फर्नीचर खरीदी के इस मामले में संकुलों से मांगपत्र तक नहीं मांगा गया था। जब विभागीय खरीदी को लेकर सवाल उठने लगे तो विभागीय अफसर अब उन पर दबाव बना रहे हैं। दूसरी ओर संकुल समन्वयक इस दबाव के बीच दबे मुंह फर्नीचर की खराब गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें कर रहे हैं।
स्कूल बंद तो कैसे हुई खरीदी
जिला शिक्षा विभाग द्वारा लाखों की फर्नीचर खरीदी तब की गई है जब स्कूल बंद हैं। अब सवाल यह भी कि जब स्कूल ही बंद हैं तो आखिर किस बिनाह पर फर्नीचर की खरीदी की गई। पहला पक्ष तो यह कि स्कूलों में फर्नीचर की जरुरत निकट भविष्य में दिखाई नहीं देती। दूसरा पक्ष यह कि, जब स्कूल ही बंद हैं तो विभाग ने किस तरीके से फर्नीचर की आवश्यकता का आंकलन किया। यह सवाल भविष्य में संकुल समन्वयकों से पूछे जाएंगे। इसी के चलते अब विभाग संकुल समन्वयकों से पुरानी तारीख के मांग पत्र देने दबाव बना रहे हैं। अगर, संकुल समन्वयक ऐसा करते हैं तो भविष्य में वे बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं। स्कूलों के बंद होनी की स्थिति में यह आंकलन किस तरह ही किया जा सकता है कि किस शाला में किस कक्षा में कितने नए बच्चों का दाखिला हुआ! तय है कि आने वाले वक्त में फर्नीचर खरीदी की आड़ में हुए भ्रष्टाचार की कलई खुलकर सामने आएगी।
सांसद, जिला उपाध्यक्ष ने की आपत्ति
फर्नीचर की इस खरीदी को सांसद संतोष पांडे ने अनावश्यक व राशि का अपव्यय करार देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी। दूसरी ओर जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने इस पूरी खरीदी के दौरान तकनीकी त्रुटियों को देखते हुए भ्रष्टाचार की आशंका जाहिर की थी। उन्होंने शिक्षा समिति की बैठक में यह विषय उठाते हुए कहा था कि संकुलों से मांगपत्र के आधार पर ही खरीदी की जाए। उपाध्यक्ष सिंह बताते हैं कि इसके बाद मुझे शिकायत मिली है कि बगैर मांगपत्र मंगाए ही यह खरीदी कर ली गई। इस संबंध में मैंने डीईओ से मांगपत्रों की लिखित जानकारी मांगी है जो कि अब तक नहीं मिली है। दोनों ही जनप्रतिनिधियों को फर्नीचर खरीदी के इस मामले में भ्रष्टाचार की आशंका है।
- मैं फिलहाल दिल्ली में हूं। यह शिकायतें गंभीर हैं। इन मामलों को लेकर कार्रवाई आवश्यक है। हम ऐसी लापरवाही पर कार्रवाई करेंगे।
-संतोष पांडे, सांसद - मैंने पहले ही इस विषय को लेकर शिक्षा समिति की पहली बैठक में निर्देश दिए थे। बगैर मांगपत्र के खरीदी की शिकायत मुझे भी मिली है। मैंने इस पर जानकारी मांगी है। अगली बैठक में इस मामले को फिर से रखूंगा।
-विक्रांत सिंह, उपाध्यक्ष, जिला पंचायत राजनांदगांव
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