वर्ष 1944 में दान में अस्पताल के लिए दान में मिला था भवन
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
75 वर्ष पूर्व लुनिया परिवार द्वारा लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिये अस्पताल बनाकर दान दिये भवन को स्टाफ क्वार्टर बनाने की गरज से तोडऩे की खबर से अचानक फैले आक्रोश के बाद पुराने अस्पताल भवन को तोडऩे का निर्णय अंतत: वापस लेना पड़ा। फिलहाल तोडफ़ोड़ अभियान रोक दिया गया है। इससे प्रबुद्ध वर्ग ने भी राहत की सांस ली है। इस मुद्दे को लेकर दैनिक पायनियर ने बीते शनिवार को खबर प्रकाशित भी की थी जिसका अब असर देखने को मिला है।
ज्ञात हो कि घुमका में पदस्थ अस्पताल के कर्मचारियों के लिये 2 नग एफ टाइप और 2 नग जी टाइप क्वार्टर निर्माण की शासन से स्वीकृति प्रदान की गई थी। बीएमओ के अनुसार उक्त निर्माण के लिए जगह की तलाश की जा रही थी। पंचायत से कई बार मांग की गई परन्तु कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के चलते उक्त पुराने अस्पताल भवन को तोडऩे का अव्यवहारिक निर्णय लिया गया था। इसे लेकर बीएमओ को काफी तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। भवन को तोडऩे का निर्णय भी वापस लेना पड़ा।
बीएमओ की कार्यशैली को लेकर नाराजगी
इस मामले में खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ विजय खोब्रागडे के खिलाफ सत्तापक्ष के कई पदाधिकारी भी काफी खफा बताये जा रहें हैं। चूंकि आवासीय परिसर निर्माण के शासन के आदेश पर स्थल चयन में जल्दबाजी अथवा अदूरदर्शी निर्णय के चलते उक्त पुराने भवन को बगैर उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिये बगैर तोडऩे का प्रस्ताव भारी पडऩे का अंदेशा जताया जा रहा है।
1944 में किया था दान
उल्लेखनीय है कि सन 1944 में क्षेत्र में फैली खतरनाक महामारी की पीड़ा से द्रवित तत्कालीन मालगुजार स्वर्गीय सेठ कानमल लुनिया ने उक्त भवन का निर्माण कर जनता को समर्पित किया था। उनके परिवार की ओर से वर्ष 1981 में प्रसूति भवन निर्माण कर पुन: दान दिया था। बाद में अस्पताल उन्नयन के चलते अस्पताल को नये भवन में शिफ्टिंग कर दिया गया। फिलहाल अस्पताल भवन में कुछ सुधार कर पुन: उपयोग किया जा सकता है। तमाम विरोध के बाद बहरहाल नये स्थान की तलाश कर ली गयी है। कुछ औपचारिकताओं के बाद बहुत जल्दी नए प्रस्तावित स्थल में स्टाफ क्वार्टर निर्माण करने की तैयारी किये जाने की खबर है।
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