अस्तित्व के संकट से जूझ रहे प्रकृति के सफाईकर्मी को बचाने की कवायद
पायनियर संवाददाता -रायपुर
प्रकृति के सबसे बड़े सफाई मित्र कहे जाने गिद्धों की संख्या देश के साथ छत्तीसगढ़ में औसत से बहुत कम है। गिद्धों की संख्या में कमी की एक बड़ी वजह मानव उपयोग में आने वाली दर्द निवारक दवा पालतू जानवरों को देने और जानवर के मर जाने पर खुले में फेंक देने से गिद्धों के उन जानवरों के मांस खाने से मौत होने की बात जानकार कह रहे हैं। गिद्धों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को गाइडलाइन जारी की है। पक्षी विशेषज्ञ एएमके भरोस के मुताबिक साल 2000 से पहले राज्य में अच्छी तादाद में गिद्ध थे, लेकिन बाद में अचानक गिद्धों की संख्या में देश सहित पूरे राज्य में भारी कमी हो गई। गिद्ध को केंद्र सरकार ने संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में रखा है। गिद्धों के संबंध में सर्वे कर एक रिपोर्ट राज्य के वन विभाग के अफसरों को देने की बात कही है। श्री भरोस के मुताबिक गिद्धों के संरक्षण के लिए उन्होंने वन विभाग के अफसरों को कैप्टिव ब्रीडिंग कराने का सुझाव देने कहा है।
प्रदेश में वर्तमान में एक हजार से ज्यादा गिद्ध एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2000 के पहले वर्ष 1995 तक राज्य में जहां 10 हजार से ज्यादा गिद्ध थे, सन 2000 के बाद गिद्धों की संख्या महज सैकड़ों में सिमट कर रह गई। वर्तमान में राज्य में गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी होने की बात जानकार कह रहे हैं। जानकारों के मुताबिक पिछले दो वर्षों में राज्य में गिद्धों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। वर्तमान में इन जगहों पर मौजूद हैं पक्षी विशेषज्ञ के अनुसार वर्तमान में राज्य के अचानकमार टाइगर रिजर्व, गुरु घासीदास नेशनल पार्क, इंद्रावती टाइगर रिजर्व के साथ गरियाबंद, रायगढ़ जिले के सारंगढ़, महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा तथा रायपुर के आउटर में कुछ स्थानों पर गिद्धों की मौजूदगी देखने को मिलती है।
- गिद्ध प्रकृति के सबसे बड़े सफाई वर्कर हैं, इनका संरक्षण संवर्धन करना जरूरी है। वर्तमान में गिद्धों की संख्या में वृद्धि हुई है। स्थिति ऐसी रही, तो आने वाले समय में राज्य में गिद्धों की संख्या में तेजी से सुधार होने की उम्मीद है।
– एएमके भरोस, पक्षी विशेषज्ञ - उपाय किए जाएंगे गिद्धों के संरक्षण, संवर्धन करने केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी की है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद गाइडलाइन के मुताबिक गिद्धों का संरक्षण, संवर्धन करने उपाय किए जाएंगे।
– पीवी नरसिंग राव, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ छत्तीसगढ़
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