गेमर्स की संख्या दुनियाभर में रोजाना बढ़ती ही जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि बहुत से देशों की लगभग आधी जनसंख्या गेमिंग जगत में एक्टिव है। इनमें से ज्यादातर गेमर्स टीनेजर हैं। इनमें से कम से कम 20% के करीब 18 साल से कम उम्र वाले बच्चे हैं। वीडियो गेम को बच्चे केवल टाइम पास व मनोरंजन के लिए शुरू करते हैं। लेकिन जब वह एक बार इस दुनिया में घुस जाते हैं तो उन्हें इसकी लत लगने में देर नहीं लगती है (More gaming is Dangerous)। कहीं आपका बच्चा तो नहीं इस लत का शिकार? पीडियाट्रिशियन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के मुताबिक यदि आपके बच्चे भी बहुत देर देर तक वीडियो गेम खेलते रहते हैं तो इससे उनके स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
गेमिंग से जुड़ी सकारात्मक बात
गेमिंग के हानिकारक प्रभावों के बारे में बात करने से पहले हम गेम खेलने के कुछ लाभ की बात करेंगे। गेमिंग काम के प्रेशर को कम करने का व हमें स्ट्रेस से राहत दिलाने का एक अच्छा जरिया है। इससे हम स्वयं का मनोरंजन कर सकते हैं और यह हमें दूसरे लोगों से जुड़ने का भी एक अच्छा माध्यम है। दरअसल बहुत से खेलों में एक टास्क को पूरा करने के लिए कई लोगों की जरूरत होती है। इससे कुछ लोग एक दूसरे को जानते हैं व अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं। इससे आप अपना अकेलापन दूर कर सकते हैं व अपने परिवार वालों के साथ भी गेम के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
अधिक गेमिंग के नुकसान
यदि बच्चा बहुत ज्यादा देर तक गेम खेलता रहता है तो इस दौरान उसे केवल बैठे ही रहना होता है और बहुत समय तक बैठने से उसकी कुछ मांसपेशियों में इन्फ्लेमेशन (अंदरूनी सूजन) शुरू होने लगता है। यदि यह स्थिति काफी समय तक रहती है तो, उसके शरीर में बहुत अधिक कमजोरी हो सकती है। इससे आपके हाथों व बाजुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
कार्पल टनल सिंड्रोम
यह एक शारीरिक समस्या है जोकि बहुत सारे गेमर्स में देखने को मिल रही है। यही नहीं यह सिंड्रोम ऑफिस में काम करने वाले लोगों में भी देखने को मिलता है। दरअसल गेमिंग हो या कोई सा भी कंप्यूटर वर्क जिसके दौरान आपके अंगूठे का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है। अंगूठे के ज्यादा प्रयोग के कारण ही कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या घर करने लगती है। इस कारण आपके अंगूठे में भी सूजन (inflammation) आ सकती है। इस कारण अंगूठे की गतिविधि काफी सीमित हो जाती हैं।
मोटापे की समस्या
गेमिंग के द्वारा बच्चों में मोटापा भी बढ़ता जा रहा है। क्योंकि वे बहुत देर तक एक ही जगह बैठे रहते हैं तो उन्हें एक्सरसाइज करने का भी कम समय मिलता है और इस दौरान वह स्नैक व जंक फूड भी बहुत अधिक खा लेते हैं। जिस कारण उन्हें ज्यादा भूख लगने लगती है और वजन बढ़ने लगता है।
गेमिंग की लत
यह एक प्रश्न बना ही है कि क्या गेमिंग की लत को एक सिंड्रोम माना जाना चाहिए या नहीं। यदि आपके बच्चे में निम्न में से कोई 5 लक्षण दिखते हैं तो आपको चौकन्ना हो जाना चाहिए, क्योंकि इनसे यह साबित होता है कि बच्चे को गेमिंग की बुरी लत लग हुई है।
गेमिंग के माध्यम से जुआ खेलना।
बार बार खेलना
अन्य गतिविधियों में रुचि न होना।
अपने रिश्ते व शैक्षिक मौके आदि को खोते जाना।
स्ट्रेस, चिंता व अन्य नकारत्मक स्थितियों से बचने के लिए गेमिंग का प्रयोग करना।
इस लत को छोड़ न पाना।
साइकोलॉजिकल समस्याएं होने के बावजूद भी गेमिंग जारी रखना।
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गेमिंग के हानिकारक प्रभाव
गेमिंग से नींद की कमी, अनिद्रा और सर्कैडियन रिद्म डिसऑर्डर, अवसाद, आक्रामकता और चिंता आदि हो समस्याएं हो सकती हैं। यही नहीं अधिक गेमिंग की वजह से बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है क्योंकि इन दिनों इंटरनेट पर मौजूद पॉपुलर गेम्स में से अधिकांश गेम्स हिंसक हैं। जैसे कि हम जानते हैं कि गेमिंग के लाभ भी हैं व हानि भी। तो क्या हमें गेमिंग करनी चाहिए या नहीं। इसका जवाब है मॉडरेशन (moderation)। आपको एक सीमा में ही गेमिंग करनी चाहिए। इसे एक हद में ही खेलें और अपनी आदत न बनने दें। आप कभी कभार खाली समय में गेम खेल सकते हैं। जिसमें आपकी जिंदगी में कोई हानि न हो।
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