गणेश उत्सव की झांकियों निकालने के दौरान डीजे बजाने की अनुमति देने का मामला
आवेदक को गलत जानकारी देना एक डिप्टी कलेक्टर को बहुत भारी पड़ गया। दरअसल आवेदक अधिवक्ता व्यास मुनि द्विवेदी ने कलेक्टर कार्यालय रायपुर से चाहा था कि रायपुर में गणेश उत्सव 2017 की झांकी विसर्जन के दौरान डीजे बजाने की दी गई अनुमतियों की प्रतियां दें। तत्कालीन जन सूचना अधिकारी डिप्टी कलेक्टर कार्यालय जिलाअध्यक्ष रायपुर ने चाही गई जानकारी तो नहीं मोहिया कराई, परंतु 8 लेकर गणेश प्रतिभा झांकी हेतु स्वागत मंच निर्माण की अनुमतियों की प्रतियां प्रदान कर दी। इससे रुष्ट होकर आवेदक ने सूचना आयोग में शिकायत की। सूचना आयोग ने सबसे पहले तो कलेक्टर को 8 वापस करने को कहा और तत्कालीन जन सूचना अधिकारी को पेनल्टी का शो कॉज नोटिस भेजा।
तत्कालीन जन सूचना अधिकारी डिप्टी कलेक्टर रायपुर का तब तक ट्रांसफर कोंडागांव हो गया था। वहां के जिला निर्वाचन अधिकारी ने सूचना आयोग के नोटिस को तत्कालीन जन सूचना अधिकारी कलेक्टर कार्यालय रायपुर को तामील कराया।
सूचना आयोग ने पाया कि नोटिस तामील होने के बाद भी तत्कालीन जन सूचना अधिकारी ने ना तो नोटिस का कोई जवाब दिया, ना ही सुनवाई की दिनांक को अपना पक्ष रखने के लिए वीडियो कांफ्रेंस में उपस्थित हुई। सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने समय सीमा में आवेदक को सूचना न देने के कारण, सूचना का अधिकार की धारा 20 (1) के तहत तत्कालीन जन सूचना अधिकारी डिप्टी कलेक्टर रायपुर सीमा ठाकुर वर्तमान पदस्थापना कोंडागांव पर रुपए 10000 की पेनल्टी लगा कर कलेक्टर कोंडागाव को राशी वसूली का आदेश दिया है। इसके अलावा कलेक्टर रायपुर को आदेशित किया है की आवेदक को रुपए 8 वापस करें, कलेक्टर रायपुर को आदेशित किया गया है कि 8 वापस करने के बाद पालन प्रतिवेदन सूचना आयोग में प्रस्तुत करें। यहाँ गौरतलब है कि सूचना आयोग ने कलेक्टर रायपुर को पहले भी रु 8 वापस करने हेतु दो बार आदेशित किया है परन्तु अभी तक रु 8 वापस नहीं किये गए है।
शिकायतकर्ता ने चर्चा में बताया कि रायपुर शहर में करोना काल के पहले गणेश उत्सव में झांकियां निकालने के दौरान जयस्तंभ चौक पर कई पंडाल लगाकर, पंडालों पर ध्वनि नियमों के विरुद्ध, नेताओं और मंत्रियों के समक्ष डीजे बजाया जाता था। जिसकी अनुमति की जानकारी चाही थी, ताकि दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की जा सके परंतु सूचना नहीं प्रदाय की गई।
इससे पहले अधिवक्ता ब्यास मुनि देवेदी ने ध्वनि प्रदुषण के मामले में हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की थी। बाद में रायपुर की संस्था छत्तीसगढ़ नागरिक संगर्ष समिति ने भी अवमानना याचिका दायर की थी। जिसमें भी अधिकारियों ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर कहा है कि वे हाईकोर्ट के आदेश का शब्दः पालन करेंगे। परन्तु आज भी पूर्ण: प्रतिबन्ध के बावजूद सडकों पर बड़े बड़े स्पीकर लगा कर पुलिस और प्रशाशन के सामने डीजे बज रहे है।
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