रायपुर । राजधानी के डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में एक तरफ बाइपास सर्जरी की आस लेकर आ लेकर आ रहे 150 से अधिक हृदय रोगी हर माह वापस लौट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर 22 करोड़ से खरीदी गई कैंसर जांच की पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) मशीन तीन सालों से धूल खा रही है। शासन की उदासीनता से ये दो बड़ी सुविधाएं अस्पताल में अब तक शुरू नहीं हो पाई हैं।
कार्डियक सर्जरी विभाग में स्टाफ की कमी
कार्डियक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने बताया कि विभाग में 72 नर्सिंग स्टाफ की जगह 13 स्टाफ से काम चला रहे हैं। कार्डियक एनेस्थीसिया, ड्यूटी डाक्टर, तकनीशियन के कई पद खाली हैं। कांग्रेस सरकार के आने के बाद हृदय रोग विभाग के लिए बजट ही नहीं मिला है। चिकित्सकों ने यह भी बताया कि हृदय की सर्जरी के लिए आवश्यक काटरी मशीन की स्वीकृति की फाइल स्वास्थ्य मंत्री की हामी के बाद भी स्वास्थ्य सचिव के पास तीन माह से अटकी हुई है। ओपन हार्ट सर्जरी शुरू होने के बाद से प्राइवेट कंपनी की डेमो काटरी मशीन से आपरेशन किया जा रहा है। बाइपास सर्जरी की सुविधा न होने से हर माह 150 से अधिक गरीब मरीज लौट रहे हैं।
कैंसर रोग विभाग के चिकित्सकों ने बताया कि 2018 में खरीदी गई कैंसर जांच की पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) मशीन तीन साल से अस्पताल में धूल खा रही है। दरअसल इसकी खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी की वजह से शासन स्तर पर जांच चल रही है। चिकित्सकों ने बताया कि कैंसर जांच के लिए पेट स्कैन एडवांस तकनीक है। इसके जरिए कैंसर की मुख्य वजह क्या है, कहां और कितना फैल चुका है, इसकी जानकारी मिलती है। प्राइवेट में इसकी जांच का शुल्क करीब 15 से 20 हजार तक पड़ता है। शासकीय योजनाओं के तहत मरीजों को निश्शुल्क सुविधा दी जाती है। चिकित्सकों ने कहा कि यदि शासन चाहे तो पेन स्कैन मशीन की सुविधा तत्काल शुरू कर सकता है। लेकिन जांच की वजह से मामला अटका पड़ा है।
मरीजों के बेहतर सुविधा की कर रहे कोशिश
मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज की सुविधा मिले, इसकी कोशिश की जा रही है। बाइपास सर्जरी व कैंसर विभाग में पेट स्कैन मशीन के संबंध में मैं जानकारी लेती हूं। अस्पताल में सेवाएं जल्द शुरू हो सकें, इसके लिए शासन स्तर पर प्रयास करेंगे।
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