दिसंबर, 2021: वेदांता एल्युमीनियम बिजनेस, भारत का सबसे बड़ा एल्युमीनियम और उसके मूल्य वर्धित उत्पाद, एल्युमीनियम उत्पादकों को अपने एल्युमीनियम पार्क प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए एंटरप्राइज ओडिशा 2021 इवेंट में आमंत्रित करता है, जो ओडिशा के झारसुगुडा में होगा।
‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’की सोच के साथ वेदांता एल्युमीनियम ने झारसुगुड़ा में अपने एल्युमीनियम स्मेल्टर के नजदीक वेदांता एल्युमीनियम पार्क स्थापित करने के लिए ओडिशा इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (इडको) से साझेदारी की है। वेदांत झारसुगुड़ा दुनिया के सबसे बड़े एल्यूमीनियम स्मेल्टरों में से एक है, जो उच्च गुणवत्ता वाले एल्युमीनियम उत्पादों के उत्पादन के लिए वैश्विक स्तर पर सर्वेश्रेष्ठ तकनीकों से लैस है। एल्युमीनियम पार्क एल्युमीनियम स्मेल्टर के नजदीक स्थापित व्यवस्थाहै, जहां डाउनस्ट्रीम उद्योग अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करते हैं और अपने उत्पाद के निर्माण के लिए कच्चे माल के तौर पर सीधे स्मेल्टर से गर्म एल्युमीनियम प्राप्त करते हैं।
एल्युमीनियम उत्पादकों को वेदांता एल्युमीनियम पार्क में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए आमंत्रित करते हुएवेदांता लिमिटेड के सीईओ-एल्युमीनियम बिजनेस श्री राहुल शर्मा ने कहा, “ओडिशा को देश की एल्युमीनियम राजधानी होने का ताज मिला है। झारसुगुड़ा में एल्युमीनियम आधारित एसएमई और एमएसएमई का व्यापक इकोसिस्टम तैयार करने के उद्देश्य सेवेदांता उन कंपनियों को तीनलाख टन एल्युमीनियम की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिन्होंने हमारे एल्युमीनियम पार्क में अपनी इकाइयां स्थापित की हैं। इस परियोजना से राज्य को तीन तरह से लाभ होता है – राज्य में देशभर से एमएसएमई द्वारा निवेश आएगा, स्थानीय प्रतिभाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और राज्य के खजाने में करों व शुल्क के रूप में महत्वपूर्ण राजस्व आएगा।”
एल्युमीनियम पार्क में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने वाली कंपनियों को पानी, बिजली, गर्म धातु की आपूर्ति, प्रोसेसिंग प्लांट के साथ ही कई अन्य लाभ भी मिलेंगे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वेदांता के झारसुगुड़ा स्मेल्टर से नजदीकी कंपनियों के लिए वेदांता के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और डाउनस्ट्रीम एल्युमीनियम उत्पादों के लिए स्थापित आरएंडडी सेंटर तक पहुंच सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाली पिघली हुई धातु सीधे उनकी प्रोसेसिंग यूनिट्स तक पहुंचने से इनपुट लागत में काफी कमी आएगी, जिससे उत्पाद लागत-प्रतिस्पर्धी और वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप होंगे। इस मॉडल से पूरी वैल्यू चेन में कार्बन फुटप्रिंट कम होना भी सुनिश्चित होता है।
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