सक्ती-भारतीय संवैधानिक इतिहास में 26 नवंबर की तिथि का एक विशिष्ट महत्त्व है। 26 नवंबर 2015 से इसे पूरे भारतवर्ष में ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।उक्ताशय की बाते छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा के ऊर्जावान अधिकारी एवं जांजगीर-चांपा जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर डॉ सुमित कुमार गर्ग ने कही है, डॉक्टर सुमित कुमार गर्ग कहते हैं कि इसके पूर्व इस दिन को राष्ट्रीय कानून दिवस का दर्जा प्राप्त था। विदित हो कि भारतीय संविधान का निर्माण संविधान निर्मात्री सभा द्वारा 9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 के मध्य किया गया था। इसके निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह एवं 18 दिन का समय लगा था। संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष प्रसिद्ध कानूनविद व भारतीय संविधान के जनक के नाम से प्रसिद्ध डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को माना जाता है उन्हें के मार्गदर्शन में विश्व के सबसे विस्तृत संविधान का निर्माण संभव हो पाया।इसके ठीक एक माह पश्चात अर्थात 26 जनवरी सन 1950 को भारत को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया था। 26 नवंबर के दिन को भारतीय संविधान के महत्व का प्रचार प्रसार करने हेतु चुना गया था । भारतीय संविधान के निर्माण से लेकर अब तक इसमें कई बार संशोधन किये गये है जो कि समय के अनुरूप इसके लचीलेपन को प्रदर्शित करता है ,फिर चाहे वह मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्य वाला भाग हो, नीति निर्देशक तत्व से संबंधित भाग हो, विधायिका ,कार्यपालिका, न्यायपालिका के संबंध में हो, विभिन्न प्रकार के संविधानिक, वैधानिक निकायो का वर्णन हो ,समय के अनुसार इसमें संशोधन व परिवर्तन होते रहे हैं जो कि भारतीय संविधान के अक्षुण्णता एवं परिवर्तनशीलता को प्रदर्शित करता है। कुछ विचारको के अनुसार, भारतीय संविधान की उद्देशिका यानी’ प्रस्तावना ‘को” भारतीय संविधान की आत्मा” की संज्ञा दी गई है क्योंकि इसी में भारतीय संविधान के लोकतंत्रात्मक ,समाजवादी, पंथनिरपेक्ष स्वरूप का वर्णन किया गया है। इसी दिन संविधान सभा के वरिष्ठ सदस्य डॉ हरिसिंह गौर का जन्म दिवस होता है। संविधान के संबंध में डॉक्टर अंबेडकर के प्रसिद्ध वचन निम्नलिखित हैं-
” constitution is not a Mere lawyers document ,it is a vehicle of life and its spirit is always the spirit of age.”
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