त्यौहारी मांग से दलहन- तिलहन की कीमतों में उछाल
भाटापारा@thethinkmedia.com
कमजोर आवक के बीच प्रतिस्पर्धी माहौल में हुई खरीदी के बाद सरसों ने 7000 से 7300 रुपए क्विंटल का भाव अपने नाम दर्ज कर लिया। इधर त्यौहारी मांग का दबाव बढऩे से अरहर की कीमत रोज बढ़त ले रही है। तेजी के बीच हो रही खरीदी में बेचारा गेहूं, अ_ारह सौ रुपए पर ठहरा हुआ है।
गुणवत्ता के हर जरूरी मानक को पूरा करने के लिए पहचान बना चुकी कृषि उपज मंडी में इस बार, दलहन और तिलहन उत्पादक किसानों को जैसी ऊंची कीमत मिल रही है ,वह अपने बीते साल के भाव को पीछे छोड़कर काफी आगे निकल गई है। सरसों इसका ताजा उदाहरण है। अरहर और कोदो भी कीर्तिमान बनाने की राह पर हैं। अलबत्ता गेहूं के मामले में यह सभी कृषि उपज मंडियों से पीछे है क्योंकि भरपूर आवक, कीमत में वृद्धि की राह में अवरोध बनी हुई है।
सरसों ने तोड़ा रिकॉर्ड
तिलहन में सरसों और अलसी की खेती को लेकर जैसा रुझान किसान दिखा रहे हैं, वह हैरत में डालता है। कम पानी में तैयार होने वाली, तिलहन की इन दोनों प्रजातियों की बढ़ती खेती का रकबा और फसल को देखते हुए तेल मिलों की सीधी खरीदी, इस मंडी से हो रही है। त्यौहारी मांग का दबाव झेल रहीं तेल मिलों के बीच खरीदी में प्रतिस्पर्धा से सरसों 7000 से 7300 रुपए क्विंटल पर पहुंच गई है। अलसी 6000 से 6100 रुपए क्विंटल पर नीलाम हो रहा है।
दलहन में अरहर अव्वल
दलहन में बोनी की मांग नहीं है लेकिन आगत त्यौहार और पर्व के लिए दलहन मिलों की खरीदी निकल चुकी है। ऐसे में अरहर 7000 से 7500 रुपए क्विंटल पर पहुंच गया है। दूसरे नंबर पर चना खैरी है। जिसकी खरीदी 5200 से 5400 रुपए क्विंटल पर हो रही है। 4300 से 4400 रुपए क्विंटल पर चल रही बटरी और 3800 रुपए पर खरीदा जा रहा तिवरा भी आने वाले दिनों में मजबूती का संकेत दे रहे हैं।
इसलिए आ रही तेजी
सरसों और अलसी में तेजी के पीछे, मांग की तुलना में कमजोर आवक तो है ही, साथ ही ऑयल मिलों की त्यौहारी खरीदी भी वजह है। जबकि दलहन में दीपावली पूर्व स्टॉकिस्टों की खरीदी प्रमुख वजह बन रही है। इतना तो तय है कि तेजी का यह दौर आगामी 2 माह तक बने रहने की संभावना है।
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