मोटापा हमेशा से बीमारियों की जड़ रहा है। इसकी वजह से बहुत सी खतरनाक बीमारियां जैसे कि हार्ट अटैक, डायबिटीज, ब्लड शुगर आदि का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं मोटापे के कारण आपको कोई ड्रेस भी ठीक से फिट नहीं होती। यदि आप भी अपने इस जिद्दी मोटापे से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इसका बेहतरीन उपाय है कूलस्क्लप्टिंग। स्टडीज के मुताबिक कूल स्कल्पटिंग एक प्रभावी तरीके से फैट को कम कर देने वाली तकनीक है। यह एक नॉन इनवेसिव प्रक्रिया होती है। यानी इसके दौरान आपके शरीर में किसी प्रकार के औजार या यंत्रों का प्रयोग नहीं किया जायेगा। कूलस्क्लप्टिंग एक नॉन सर्जिकल तरीका होता है, जिसमे आपके शरीर में सेल्स के नीचे जमे हुए फैट को निकाला जाता है। इस तकनीक से पेट, जांघों और कमर के आसपास की चर्बी को कम किया जा सकता है और आपको इस तकनीक की वजह से जल्दी एक कसा हुआ शरीर मिल जाता है। इस वजह से ही इस तकनीक को काफी पसंद किया जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
मोटापा कम करने के लिए कूलस्कल्पटिंग-
कूलस्क्लप्टिंग में क्राइलो पॉलिसिस नामक प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। इसके दौरान फैट के एक रोल को दो पैनल्स में रख दिया जाता है। जोकि फैट को फ्रीजिंग तापमान पर ठंडा करता है। एक शोध में यह पाया गया कि क्राइलो पॉलीसिस से 20-25% फैट कम होने में मदद मिलती है। इसके नतीजे इस प्रक्रिया के होने के 6 महीने बाद दिखने लगते हैं।
-जो डेड स्किन सेल्स फ्रीज हो चुकी हैं उन्हें फिर उपचार के कुछ हफ्तों बाद लीवर के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।
-इसके पूर्ण रूप से फैट कम होने के नतीजे आपको तीन महीने बाद ही देखने को मिल जाते हैं।
-ज्यादातर लोग अपनी लोअर बैक, जांघ, पेट और साइड का फैट कम करने के लिए इस पद्वति का प्रयोग करते हैं।
-इस माध्यम से हिप्स, बाजू और पैरों पर होने वाला सेलुलाइट भी कम होने लगता है।
-कुछ लोग इस तकनीक का प्रयोग ठुड्ढी के नीचे जमे फैट को कम करने के लिए भी करते हैं।
-शरीर के एक भाग को ट्रीट करने के लिए एक घंटे का समय लग जाता है।
-शरीर के बड़े हिस्सों को ट्रीट करने में अधिक समय और उपचार लगता है।
कूल स्कल्पटिंग के साइड इफेक्ट्स
- जब डॉक्टर फैट रोल्स को पैनल्स में रखते हैं तो उस समय एक बहुत जोर से खिंचाव की भावना महसूस हो सकती है।
- उपचार के दौरान और इस प्रक्रिया के बाद भी बहुत दर्द और चुभन महसूस होना जो कुछ दिनों के बाद बिना किसी उपचार के अपने आप ही ठीक हो जाती है।
- कुछ दिनों के लिए लाल होना, सूजन आना, चोट लगने जैसा महसूस होना और स्किन सेंसिटिविटी हो जाना।
- कुछ बहुत ही कम लोगों को कई बार फैट सेल्स की वॉल्यूम में बढ़ोतरी भी महसूस होती है और इसके पीछे का कारण अभी ज्ञात नहीं है। लेकिन पुरुषों में ऐसा महिलाओं के मुकाबले अधिक होता है। पर ऐसे केस एक प्रतिशत से भी कम ही देखने को मिल रहे हैं।
कूल स्कल्पटिंग किस के लिए काम करती है?
- कूलस्क्लप्टिंग प्रक्रिया हर किसी के लिए नहीं होती है। यह केवल ओबेसिटी से ग्रसित लोगों के लिए होती है।
- यह तकनीक उन लोगों के लिए भी लाभदायक रहती है जिनके लिए एक्सरसाइज और डाइटिंग कोई असर नहीं दिखाती है।
- यह एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका होता है।
- लेकिन कुछ स्थितियों वाले लोगों को यह प्रक्रिया नहीं करवानी चाहिए इसलिए आप पहले ही अपने शरीर के विषय में डॉक्टर से सब कुछ बता दें।
इस प्रक्रिया के नतीजे कितने दिनों तक देखने को मिलते हैं
आप कूलस्क्लप्टिंग प्रक्रिया के नतीजे जीवन भर देख सकते हैं क्योंकि यह फैट सेल्स को मार देता है और यह फैट सेल्स दुबारा से नहीं आते हैं। लेकिन अगर आप इस उपचार के बाद भी फैट बढ़ता है तो जिन शरीर के भागों में आपने यह उपचार करवाया है, उनमें भी आपको फैट देखने को मिल सकता है। अगर आप कूलस्क्लप्टिंग तकनीक का सहारा लेना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि आपके डॉक्टर अनुभवी हों। वह प्रॉपर प्लानिंग के साथ काम करें। ताकि आपको अधिक से अधिक नतीजे और कम से कम साइड इफेक्ट्स देखने को मिलें। यह एक सर्जरी जैसी नहीं, इसलिए प्रक्रिया भी काफी आसान होती है।
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