October 14, 2025

कोरोना से ठीक हो रहे मरीज़ों में बढ़ रहा है इस म्यूकोरमाइकोसिस का जोखिम

भारत के लगभग सभी राज्य कोविड-19 की दूसरी लेहर से जूझ रहे हैं, इसी बीच दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बार फिर ठीक हो रहे कोरोना वायरस रोगियों में घातक फंगल संक्रमण म्यूकॉरमाइकोसिस के कई मामले दर्ज किए हैं। पिछले साल कोविड-19 द्वारा की वजह से हुए काले फंगल संक्रमण के कारण कई रोगियों की आंखों की रोशनी चली गई थी।

गंगाराम अस्पताल में ईएनटी के वरिष्ठ सर्जन का कहना है कि उन्होंने पिछले दो दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस के 6 मरीज़ों को भर्ती किया गया है। एक बार फिर कोविड-19 संक्रमण की वजह से इस ख़तरनाक फंगल इफेक्शन की बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं। पिछले साल, इस घातक संक्रमण के कारण मृत्यु दर भी बढ़ गया था, कई रोगियों ने अपनी आंखों की रौशनी खो दी थी, कई रोगियों में नाक और जबड़े की हड्डी को हटाना पड़ा था।

म्यूकोरमाइकोसिस और कोविड-19-विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर कर देता है, जिसकी वजह से कोविड-19 के रोगियों में यह समस्या देखने को मिल रही है। इसके अलावा डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 के कई रोगियों को हाई डोज़ वाली एंटीवायरल और स्टेरॉयड दवाएं देने की वजह से भी रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो जाती है। इसके अलावा जो लोग पहले से डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, उनमें स्टेरॉयड, ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित कर सकता है। इन्हीं कारणों के चलते ऐसे रोगियों में म्यूकोरमाइकोसिस जैसे फंगल
संक्रमण का ख़तरा बढ़ रहा है।

इसका ख़तरा कब ज्यादा हो जाता है?-डॉक्टरों के मुताबिक डायबिटीज़ या प्रतिरक्षा प्रणाली के कमज़ोर होने पर म्यूकोरमाइकोसिस का ख़तरा ज़्यादा हो जाता है। इसके अलावा कोरोना के जिन मरीज़ों को स्टेरॉयड जैसी दवाइयां दी जा रही हैं, उनमें भी इस गंभीर फंगल संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।

कैसे करें इसकी पहचान?-म्यूकोरमाइकोसिस का असर आमतौर पर नाक, आंख, मस्तिष्क और साइनस जैसे क्षेत्रों में देखा जा सकता है। कोविड से ठीक हो रहे रोगियों में अगर ऐसे लक्षण दिखें, तो उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए। चेहरे और आंखों में सूजन, दर्द और सुन्न महसूस होना। नाक से असामान्य रूप से खून या काला-भूरा रंग का पानी आना। पल्मोनरी म्यूकोरमाइकोसिस से पीड़ित लोगों में बुखार, खांसी, सीने में दर्द और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।

लक्षण महसूस होने पर क्या करना चाहिए?- जैसे ही इस तरह के लक्षण महसूस हों, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए, तो एंटीफंगल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों में यह स्थिति गंभीर हो जाती है, उनमें प्रभावित डेड टिशूज़ को हटाने के लिए सर्जरी की भी ज़रूरत पड़ सकती है। ध्यान रहे कि ऐसी समस्या आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं।

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