वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान कोवीड से उत्पन्न हुई चुनौतियों के बीच अदाणी फाउंडेशन सरगुजा जिले में विविध विकासलक्षी कदम उठाता रहा है। जिसका सीधा और सकारात्मक प्रभाव शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य के क्षेत्र में देखने को मिला है। इस वैश्विक महामारी के दौरान अदाणी फाउंडेशन द्वारा प्रेरित महिला सहकारी संस्था MUBSS ने 35000 हजार मास्क बनाकर स्थानिकों की सेहत का ख्याल तो रखा ही, साथ ही 300 से अधिक जरूरतमंद परिवारों को राशन, तेल, सब्जी इत्यादि का वितरण भी किया गया। इसके अतिरिक्त स्वास्थ विभाग के साथ मिलकर गाँवों को सैनिटाइज करने व वैक्सीनेशन शिविर का आयोजन भी किया गया, जिससे करीब 14 गाँवों के 10 हजार से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। वहीं फाउंडेशन द्वारा लगाए गए हेल्थ कैंप, महावारी संबंधी जागरूकता कैंप, स्थानीय डिस्पेंसरी और 300 से अधिक एक्सरे मशीन जैसे मेडिकल उपकरणों का वितरण भी फलदायक साबित हुआ है। इस दौरान दिव्यांगों के लिए अलग शिविर लगा कर कृतिम हाथ व जरूरतमंदों को आर्थिक मदद भी दी गई।
2007 से राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा संचालित परसा पूर्व, कांता बासन कोल माइन के डेवलपर व ऑपरेटर के रूप में कार्यरत अदाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अदाणी फाउंडेशन के जरिए, गतवर्ष कोरोना महामारी के दौरान चलाए गए कार्यक्रमों में कृषकों के सतत आजीविका विकास का भी पूरा ख्याल रखा है। इस दौरान 500 किसानों को जैविक खेती पर आधारित प्रोजेक्ट अन्नपूर्णा के तहत सटीक ट्रेनिंग दे कर उत्पादकता बढ़ाने व अनावश्यक व्यय को कम करने में सहायता प्रदान की है। साल्ही, परसा, जनार्दनपुर, तारा और घरबर्रा जैसे ग्रामों में जीरा फूल की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर जैविक कृषि कर रहे इन किसानों ने वर्मी कम्पोस्ट और गौ गोबर चूरन खाद जैसे नियमों का पालन कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। परसा में स्थापित वर्मी कम्पोस्ट यूनिट से किसानों को जैविक कृषि में सीधा लाभ मिला है।
महामारी के दौरान मुख्य रूप से बहुउद्देशीय महिला सहकारी समिति मब्स की महिला कार्यकर्ताओं द्वारा जिले के किसान क्लब द्वारा उगाये अनाज व सब्ज़ियों का विपणन भी किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप जिलागत किसानों को उनकी फसलों पर निश्चित आमदनी प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त महिलाओं द्वारा बनाये गए उत्पादों जैसे कपड़ा बैग, मसाले आदि को ऑनलाइन मार्केट तक पहुंचाने में भी मब्स की महिला सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इतना ही नहीं मब्स (एमयूबीएसएस), जैविक खाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्मीकम्पोस्ट के व्यवसायिक उत्पादन पर कार्य कर रहा है। इस प्रक्रिया में तीन महिलाओं को नियमित रोजगार मिलता है।
गत वर्ष कोरोना महामारी के बीच बच्चों को डिजिटल क्लासेज से जोड़ना तथा डोर टू डोर टीचिंग सुविधा उपलब्ध कराने जैसी योजनाओं ने कक्षाओं की निरंतरता बरकरार रखी है। दसवीं के बोर्ड एग्जाम के लिए गूगल क्लासरूप व व्हाट्स एप एवं मोहल्ला क्लासेज जैसी डिजिटल सुविधाएं भी छात्रों के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं। ग्रामीणों को शुद्ध पेय जल परियोजना से जोड़ते हुए प्रोजेक्ट जीवन अमृत के तहत साल्ही में लगा वाटर फिल्टर प्लांट, हैंडपंप रिपेयरिंग योजना और परसा पाइपलाइन पूर्णरूप से स्थानीय निवासियों के लिए स्वस्थ जीवनशैली का पुख्ता ढांचा तैयार करने में सफल रहा है। इस योजना के तहत अब तक कुल 290 हैंडपंप की रिपेयरिंग और 200 से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा गया है।
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