अगर आपने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है तो दूसरी डोज के लिए तैयार हो जाइए। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की पहली डोज के बाद दूसरी डोज लेना अनिवार्य है। भारत में कोरोना की स्थिति बेकाबू है। लोग घबराए हुए हैं। पैनिक में हैं। हर रोज 3 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित होने के मामले आ रहे हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन ही एक उपाय बचा हुआ है। अब तक 60 और 45 की उम्र से ऊपर वालों को कोरोना का टीका लग रहा था, लेकिन अब 1 मई से 18 साल से ऊपर वालों को भी कोरोना का टीका लगेगा। डॉक्टर के अनुसार कोरोना टीका की पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज लेना बहुत जरूरी है। यह दूसरी डोज आपके शरीर के इम्युन सिस्टम को हेल्दी लेवल प्रोवाइड कराती है।
क्यों जरूरी है दूसरी डोज?
डॉक्टर का कहना है कि कोरोना की पहली डोज के बाद जो एंटीबॉडी लेवल बनता है वो धीरे-धीरे गिरना शुरू हो जाता है। क्योंकि पहली डोज में बॉडी वायरस को पहचानती है। तब वह उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है। पहली डोज के बाद शरीर वायरस से लड़ने के लिए तैयार होता है। जब कोरोना की दूसरी डोज दी जाती है तब तक शरीर उस वायरस की पहचान कर चुका होता है, जिससे वैक्सीन देने पर इम्युनिटी मजबूत हो जाती है और वायरस से अच्छे से लड पाती है। डॉक्टर का कहना है कि पहली डोज के बाद शरीर में उतने एंटीबॉडी नहीं बन पाते हैं जितने चाहिए होते हैं। इसलिए दूसरी डोज जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी डोज 6 से 8 हफ्तों के बाद लगवाएं।
दूसरी डोज छोड़ने के नुकसान-
पहली डोज के बाद अगर बुखार आता है तो इसका मतलब है कि शरीर एंटीबॉडी तैयार कर रहा है, लेकिन दूसरी डोज के बाद बुखार जैसी परेशानियां नहीं होती हैं, तब शरीर वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार होता है।
अगर दूसरी डोज नहीं लगवाई तो उतनी एंटीबॉडी नहीं बन पाएंगी जितनी शरीर को चाहिए।
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