पायनियर संवाददाता .रायगढ़
लैलूंगा सीएमओ के खिलाफ स्थानीय पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है। पहले भी उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाया जाता रहा है, लेकिन इस बार पार्षदों ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर उनके द्वारा 10 महीने से लैलूंगा नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेले जाने का आरोप लगाया है। पार्षदों ने उन पर दस्तावेजों के साथ बिंदुवार आरोप कलेक्टर के समक्ष लगाया गया है।
नगर पंचायत के इन पार्षदों ने कलेक्टर को दिए ज्ञापन में सबूत भी दिए जाने का दावा किया है। उन्होंने बताया है कि वार्ड क्र. 04 में 10 महीने में एक ही नाली का दूसरी बार निर्माण हो रहा है। जैसे ही लॉकडाउन और कोरोना का कहर चालू हुआ, तो इनकी तो मौज ही मौज हो गई। शहर में सैनिटाइज कराने और लोगों को राशन देने के नाम से लाखों रुपए का गबन कर दिए जाने की भी बात कही जा रही थी। वहीं एक करोड़ की लागत से जल संसाधन विभाग की नहर मेढ़ पर सीसी रोड का निर्माण कर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेले जाने की बात कही जा रही है। दस महीने में जितने भी कार्य किए सभी निर्माण कार्यों की दयनीय स्थिति हो गई है वार्ड नं. सात में तो बिना बोर खोदे ही पैसा निकालने का भी आरोप पार्षदों ने लगाया है।
4 ठेकेदार से अधिक लोगों का टेंडर फार्म नहीं आया- नगर के जितने भी कार्यों का टेंडर लगा, सब गोपनीय टेंडर किया गया। किसी भी लोकल अखबार में नहीं लगाया गया। अखबार में छपा भी तो विज्ञापन ओडि़सा राज्य में प्रकाशन कराया गया। लैलूंगा नगर में विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार का खेल खेलकर शासन के पैसे का बंदर बाट किया जा रहा है। अगर 10 महीने में हुए टेंडरों का जांच किया जाए, तो किसी भी टेंडर में चार ठेकेदार से अधिक लोगों का टेंडर फार्म नहीं आया। पार्षदों ने सीएमओ नगर पंचायत के ऊपर उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाते हुए उनकी नियुक्ति को भी अवैधानिक तरीके से किया गया बताया है। उनका कहना था कि सीएमओ जो पहले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी थे। अचानक सीएमओ जैसे आधिकारिक पद पर कैसे पदस्थ हो गए? इससे पहले भी सीएमओ की नियुक्ति पर सवाल उठाते रहे हैं। ज्ञापन देने वाले पार्षदों में नगर पंचायत उपाध्यक्ष रविंद्रपाल धुर्वे, सुरभि कोसरिया, प्रेम कुमार गुप्ता, मोहन भगत, राजकुमार भगत, बाबूलाल बंजारे, सत्यवान साव, शानियरो मुंडा, आदित्य बाजपेयी, ज्योति मिंज शामिल थे।
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