July 1, 2025

कलेक्टर भी झुठलाए गए, दिग्विजय स्टेडियम के पूरा होने में लगेगा अभी लंबा वक्त

अक्टूबर में दिए थे दो माह में कार्य पूर्ण करने के निर्देश, अभी भी दर्जन भर कार्य शेष

पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव

निर्माणाधीन दिग्विजय स्टेडियम के जल्द पूरे होने की दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं है। अब तक शासन-प्रशासन से मिलते रहे आश्वासन झूठे साबित हो रहे हैं। कभी दो माह तो कभी जल्द ही स्टेडियम का निर्माण पूर्ण होने की बातें महज मिथ्या साबित हुई हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विभागीय मंत्री ने दिग्विजय स्टेडियम के निर्माण संबंधि जो जानकारी सामने रखी है कम से कम उससे तो यही साबित होता है कि संस्कारधानी नए स्टेडियम के मसले पर महज भ्रम में ही रहा है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में जानकारी मुहैया कराई गई है कि स्टेडियम में अब भी कई कार्य अपूर्ण हैं। इसके लिए 4 करोड़ 87 लाख 75 हजार रुपयों की जरुरत है। पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति की राशि लंबित होने के चलते तकरीबन दर्जनभर कार्य अटके हुए हैं। यह कार्य कब तक पूर्ण होंगे इसके संदर्भ में लोक निर्माण विभाग का जवाब दो टूक है… लंबित राशि प्राप्त होने तक कार्य पूर्ण नहीं किए जा सकते।
पूर्व मुख्यमंत्री व विधायक डॉ. रमन सिंह ने दिग्विजय स्टेडियम के निर्माण से संबंधित सवाल शीतकालीन सत्र में रखा था। इसके जवाब में बताया गया कि 24 अप्रैल 2016 को स्टेडियम के पुन: निर्माण के लिए 20 करोड़ 58 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। इसके दो वर्ष बाद डॉ. रमन सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही स्टेडियम के निर्माण कार्य की लागत लगभग 34 करोड़ रुपए बढ़ा दी गई। 04 अगस्त 2018 को पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति के साथ इस कार्य की लागत 54 करोड़ 69 लाख रुपए कर दी गई।
इतनी बड़ी लागत के बावजूद दिग्विजय स्टेडियम अब भी अधूरा है। गाहे-बेगाहे यह निरीक्षण करने पहुंचने वाले अधिकारी महज औपचारिकताएं ही पूरी कर रहें हैं। 30 अक्टूबर 2020 को कलेक्टर टीके वर्मा ने निर्माणाधीन स्टेडियम का निरीक्षण किया था। उस दौरान उन्होंने दो महिने के भीतर कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। हालांकि ऐसे कई आश्वासन पहले भी मिल चुके हैं और जैसा की आश्वासनों का परिणाम दिखता रहा है स्टेडियम अब भी अधूरा है और आगे न जाने इसमें कितना वक्त लगने वाला है।
अपर कलेक्टर सीएल मारकंडे भी यहां 5 दिसंबर को निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। उनके साथ विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने उस दौरान बैडमिंटन व बॉस्केटबॉल एवं इंडोर हॉल के कार्य का निरीक्षण, विद्युत व्यवस्था व रंगरोगन के लिए निर्देशित किया था। मैदान समतलीकरण का कार्य प्रगति पर होने की जानकारी दी गई थी। बोर सफाई के लिए कार्यपालन अभियंता पीएचई को निर्देश दिए गए थे। निरीक्षण के दौरान सभी कार्य समय पर पूरा करने के लिए निर्देशित किया गया था।
शासन-प्रशासन और कंस्ट्रक्शन कंपनी के हील-हवाले के बीच आज तक स्टेडियम निर्माण पूर्ण होने की मियाद सामने नहीं आ सकी है। स्वयं विभाग इस संदर्भ में कुछ स्पष्ट नहीं कर पा रहा है। बीते 4 वर्षों में स्टेडियम के निर्माणाधीन होने के चलते संस्कारधानी खेल गतिविधियों से दूर होती जा रही है। यहां होने वाली अखिल भारतीय क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन लंबे समय से बंद है। दूसरी ओर अन्य प्रतियोगिताओं के लिए भी स्टेडियम तैयार नहीं हो सका है।

निर्माण की गति बेहद धीमी

पूर्ववर्ती सरकार के समय से दिग्विजय स्टेडियम का निर्माण धीमा चल रहा है। स्टेडियम के एक फेस का लोकार्पण होने के बाद से निर्माण कई बार अटका भी है। इसके चलते स्टेडियम का निर्माण तय डेडलाइन से करीब दो साल पीछे हो गया है। मजेदार बात यह है कि इसी धीमे निर्माण की वजह से पिछले तीन साल से स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम स्टेडियम के बजाए म्युनिस्पिल स्कूल मैदान में आयोजित किया जा रहा है।

15 हजार लोगों के लिए पार्किंग नहीं

दिग्विजय स्टेडियम के पुननिर्माण को लेकर कई पेंच भी हैं। मसलन यह स्टेडियम 15 हजार लोगों की क्षमता के मद्देनजर तैयार किया जा रहा है लेकिन यहां इतनी भीड़ के लिए पर्याप्त पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। पूर्व में इसे लेकर प्रशासन से कई सवाल हो चुके हैं लेकिन अब तक इसका कोई जवाब नहीं मिल पाया है। यहां निरीक्षण करने पहुंचने वाले अधिकारी भी इस बड़े मसले को लगातार नजऱ अंदाज कर रहे हैं।

दर्जनभर काम बाकी

विभागीय मंत्री ने शीतकालीन सत्र में जो जानकारी सामने रखी है उसके अनुसार स्टेडियम में अभी दर्जन भर काम अधर में हैं। बताया गया कि यहां पंप हाऊस और गार्ड रुम का काम अभी शुरु नहीं हो सका है। वहीं बाउंड्रीवॉल का 70 फीसद हिस्से का निर्माण भी शेष है। एफ ब्लॉक विद्युतीकरण कार्य (पार्ट-2), इंडोर बैडमिंटन कोर्ट और बॉस्केटबॉल कोर्ट में में गोल पोस्ट और स्कोर बोर्ड, बाह्रय वॉटर सप्लाई, सेनेटरी फिटिंग और फर्नीचर के कार्य अब भी तक शेष हैं। इसके लिए विभाग 4 करोड़ 87 लाख 75 हजार रुपयों की जरुरत बता रहा है।

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