घोंघिया डबरी में ग्रामीणों ने देखा, शिकारीटोला में दहाड़ सुनी गई
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
खैरागढ़ वन मंडल में शनिवार को देखा गया बाघ करेला गढ़ की ओर बढ़ रहा है। शिकारीटोला के ग्रामीणों ने वन अमले को जानकारी दी है कि यहां रात तकरीबन आठ बजे बाघ की दहाड़ सुनी गई। तिलईभाटा से निकलकर बाघ आगे बढ़ रहा है इसकी तस्दीक मैदानी अमले ने की है। वन मंडल के एसडीओ अमृतलाल खूंटे ने बताया कि बाघ के पदचिन्हों का पीछा करते हुए टीम घोंघिया डबरी ग्राम तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि यहां भी ग्रामीणों ने बाघ के देखे जाने की बात कही है।
खैरागढ़ के जंगल से लगे इलाके में दहशत का माहौल है। तिलईभाटा में देखा गया बाघ अब भी आंखों से ओझल है। देर-सबेर उसकी दहाड़ सुनी जा रही है। बाघ को ट्रेस करने तकरीबन 50 लोगों का अमला पदचिन्हों का पीछा कर रहा है। 6 टीमें लगातार इस काम में लगी हुई हैं। वहीं बाघ जिस इलाके में देखा जा रहा है उस इलाके में मुनादी करवाकर ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है।
वन अधिकारी संभावना जता रहे हैं कि बाघ ने करेलागढ़ इलाके को ही अपना घर बनाने का निश्चित किया है और वह उस ओर ही बढ़ रहा है। खैरागढ़ वन मंडल के इस जंगली इलाके में बाघ के ठहरने की संभावना है। हालांकि अधिकारियों का मानना यह भी है कि बाघ इससे भी आगे बढ़ सकता है।
इस संबंध में खैरागढ़ डीएफओ संजय यादव ने बताया कि बाघ और ग्रामीणों की सुरक्षा के मद्देनजर टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में भेजी गई है। फिलहाल बाघ द्वारा शिकार अथवा हिंसक घटना नहीं करने की खबर है। इस बीच बाघ को कान्हा नेशनल पार्क से जिले में दाखिल होने की संभावना जताई जा रही है। दर्जनभर गांव के लोगों को रात में घर से नहीं निकलने की हिदायत भी दी गई है।
नहीं पहुंचाया नुकसान
राहत भरी खबर है कि पिछले दो दिनों से आबादी इलाके में देखे जा रहे बाघ ने अब तक किसी हिंसक वारदात को अंजाम नहीं दिया है। वह जंगल की ओर ही बढ़ रहा है जिससे खतरा टलता भी दिख रहा है। बावजूद इसके वन अमला तैनात है। दूसरी ओर आपात स्थिति में बाघ को काबू करने के लिए वन अमले के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है।
खोज जारी रहेगी
बाघ की मौजूदगी के बाद वन अमला मुस्तैद है। तकरीबन 50 कर्मियों की 6 टीमें बाघ का पीछा कर रहीं हैं। शनिवार की रात शिकारीटोला और फिर रविवार को घोघिंया डबरी में बाघ के देखे जाने की खबर मिली है। मैदानी अमला अभी एक-दो दिनों तक और बाघ की गतिविधियों पर नजऱ रखेगा। जंगल में लौटने की स्थिति में ही वन विभाग की कार्रवाई समाप्त होगी।
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