July 1, 2025

नया इलाका और साथी तलाशते पहुंचा बाघ, दर्जनभर गांवों में अलर्ट

सुबह दिखाई दिया, दहाड़ सुनकर भाग खड़े हुए ग्रामीण, मध्यप्रदेश से यहां पहुंचने की आशंका के बीच वन दस्ता मुस्तैद, वापस लौटने की संभावना

पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव

नए इलाके और अपने नए साथी के तलाश में निकले बाघ ने आज खैरागढ़ वन परिक्षेत्र में आमद दी। बाघ विचारपुर के करीब ग्राम तिलईभाटा में देखा गया है। यहां से पंजे के निशाने भी मिले हैं। इस पुष्टि के बाद आसपास के ग्रामों को सतर्क रहने कहा गया है। वन अधिकारियों का कहना है कि बाघ के पंजे के निशानों का पीछा करने पर पता चलता है कि वह मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा की ओर बढ़ रहा है।
वनमंडलाधिकारी संजय यादव ने बताया कि इस मौसम में बाघ अपने नए इलाके और मादा की तलाश में आगे बढ़ते हैं। संभावना है कि यहां पहुंचा नर मध्यप्रदेश की सीमा की ओर से निकल कर इस ओर बढ़ गया। खैरागढ़ वनमंडल के ग्राम तिलईभाटा में बाघ की आमद ने आसपास के ग्रामीणों में दहशत पैदा कर दी है। शनिवार की सुबह विचारपुर के पास तिलईभाटा के खेत में वयस्क बाघ देखा गया। जानकारों का कहना है कि यह? मौसम ही ऐसा ही है जब
बाघ को देखने वाले ग्रामीण नरसिंह सिंग और घनश्याम ने बताया कि बाघ सीधे ही उनके सामने आ गया था। बाघ की दहाड़ के बाद वे पेड़ों पर चढ़ गए। वन विभाग के अधिकारियों ने भी पंजों के निशान को देख कर बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पंजों के निशान से तय है कि यहां वयस्क बाघ की आमद हुई है।
जिला मुख्यालय से लगभग 23 किमी दूर ठेलकाडीह के करीब ग्राम तिलईभाटा में सुबह बाघ देखे जाने की खबर सामने आई। इस खबर के साथ ही ग्रामीण दहशत में आ गए। उत्तर दिशा की ओर गांव के खेत में बाघ की मौजूदगी के बाद ग्रामीण बच्चों, बुजुर्गों को सुरक्षित करने के प्रयास करने लगे। ग्रामीणों ने मवेशियों को भी संभालने की तैयारी शुरु कर दी। इस बीच खेत में बाघ की दहाड़ सुनी गई। इस दहाड़ ने लोगों का दिल दहला दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बाघ खेत में शांत बैठा हुआ था जब ग्रामीणों की नजऱ उस पर पड़ी। इसके बाद वहां मौजूद 10-12 ग्रामीण इकठ्ठे हुए। इसी बीच शोरगुल सुनकर बाघ ने दौडऩा शुरु किया। उसने एक ग्रामीण की ओर रुख किया लेकिन बाद में दिशा बदल दी। दहाड़ सुनकर ग्रामीण डर गए और बबूल के पेड़ में चढ़ गए। इस बीच बाघ उनकी आंखों से ओझल हो गया।

बड़े पंजों के निशान

वन परिक्षेत्र अधिकारी वीएन दुबे ने बताया कि खेतों में मिले पंजों के आकार 12 सेंमी चौड़े और 15 सेंमी लंबे हैं। उन्होंने बताया कि इतने बड़े पंजों के आधार पर यह तय है कि यहां बाघ ही था। तेंदुए के पंजे इससे छोटे होते हैं। जानवर को करीब से देखने वाले ग्रामीणों ने भी पुष्टि की है कि जानवर धारीदार था। इससे तय हो जाता है कि देखा गया जानवर तेंदुआ नहीं बल्कि बाघ है।

खतरा टला नहीं है

प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों के अनुसार बाघ ने उत्तर दिशा की ओर रुख किया है। मौके पर मिले पंजे के निशान भी यही इशारा कर रहे हैं। संदेह है कि बाघ यहां अरहर के खेतों में छिपा हुआ हो। इस आशंका के आधार पर वन विभाग की टीम भी यहां डेरा डाले हुए है। वन परिक्षेत्र अधिकारी वीएन दुबे ने बताया कि हम यहां खोजबीन में जुटे हुए हैं। हालांकि बाघ के मिलने के आसार कम हैं। फिर भी ग्रामीणों को सतर्क रहने की मुनादी कराई गई है।

कहां से आया बाघ

मौके पर पहुंचे वन मंडल के अधिकारियों ने बताया कि कुछ दिनों पहले गंडई क्षेत्र में भी बाघ की आमद की खबर सामने आई थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। तिलईभाटा में देखे गए बाघ को लेकर यह संभावना जताई जा रही है कि यह मध्यप्रदेश की ओर से बढ़ते हुए यहां पहुंचा है। वन अधिकारी बता रहे हैं कि बाघ फिलहाल ढारा करेला की ओर आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है। संभवत: वह उसी रास्ते पर लौट रहा है जिस ओर से वह आया था।

चार दल मुस्तैद

वन मंडल के अनुविभागीय अधिकारी अमृतलाल खुंटे ने बताया कि बाघ के सामने आने की खबर के बाद 4 दल बनाए गए हैं जो कि रात भर क्षेत्र में निगरानी करेंगे। इससे पहले पूरा दिन क्षेत्र में दल मुस्तैद रहा और बाघ की खोजबीन चलती रही। उन्होंने बताया कि मौके पर मौजूद पंजों के निशान हमने देखे हैं। ग्रामीणों ने भी बाघ की मौजूदगी की तस्दीक की है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुनादी कराई गई है। हम सक्रिय हैं।

अरहर के खेत बने ढाल

बाघ को खोजा जाना थोड़ा मुश्किल है। इसका कारण यह भी है कि इलाके में अरहर की खेती हो रही है। अरहर की ऊंची फसल के बीच बाघ के छिपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां है। तिलईभाटा से उत्तर की ओर ऐसा बड़ा क्षेत्र है जहां अरहर की फसल ली जा रही है। इस फसल की आड़ में छिपते हुए बाघ का आगे बढऩा आसान है। आशंका है कि बाघ मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रहा है।

बगैर तैयारी पहुंचा वन अमला

बाघ की मौजूदगी की खबर के बावजूद वन अमला बगैर तैयारियों के ही मौके पर पहुंच गया। गऱ मौके पर बाघ मौजूद ही होता तो वन अमले के पास ऐसे कोई संसाधन मौजूद नहीं थे जिसके साथ वह बाघ को काबू कर सके। दूसरी ओर घबराए ग्रामीणों को सिवाएं सांत्वना के ओर कुछ नहीं मिल सका। वन विभाग के अधिकारियों ने भी ग्रामीणों को महज शांत रहने और बाघ के भाग जाने की बात कहते हुए शांत रहने की बात ही।

घात लगाए बैठा था बाघ

प्रत्यक्षदर्शी नरसिंग सिंह और घनश्याम जिन्होंने बाघ को सबसे पहले और बेहद करीब से देखा उन्होंने बताया कि बाघ अरहर के खेत किनारे घात लगाए बैठा था। दूसरी ओर से एक अन्य ग्रामीण ने बाघ को देख लिया और उन्हें सचेत किया। बाघ के खतरे को भांपकर ग्रामीण बचकर निकलने की कोशिश करने लगे जिस बीच बाघ ने उन्हें देख लिया और दहाड़ लगा दी। इस दहाड़ के बाद सकते में आए ग्रामीण पेड़ में चढ़ कर बचने की कोशिश में लग गए हैं।

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