July 1, 2025

धार्मिक धरा ग्राम कोसला भगवान रामजी की माता कौशल्या की जन्मभूमि

 

पायनियर संवाददाता शिवरीनारायण

छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक नगरी शिवरीनारायण के समीपस्थ धार्मिक धरा ग्राम कोसला भगवान राम जी की माता कौशल्या की जन्मभूमि है। इतिहास विभाग के अतिथि प्राध्यापक विद्वान चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि उन्हें 22 वर्षों का महाविद्यालयीन अध्यापन कार्य का अनुभव है। पुरातत्वविद और इतिहासकार यह मानते हैं कि केसला ही कौशल राज्य है। वैदिक संस्कृति से ओतप्रोत छत्तीसगढ़ प्राचीन काल में दक्षिण कोशल कहलाता था और यहां कि बोली-भाषा को कोसली कहते थे, जो दक्षिण कौशल की राजधानी कुश स्थली से विकसित हुई थी। कालिदास के रघुवंश काव्य में राम के पुत्र कुश दक्षिण कौशल के ग्राम केसला, कौशल के शासक बने थे। इसी दक्षिण कौशल के राजा भानुमंत थे और जिनकी पुत्री कौशल्या का विवाह उत्तर कौशल के चक्रवर्ती राजा दशरथ से हुआ था। यह सर्वविदित तथ्य है की महाराजा भानुमंत के पुत्र नहीं होने के कारण यह राज्य राजा दशरथ को मिला था। इस तरह यह तथ्य है कि केसला वर्तमान कोसला श्री राम जी का ननिहाल है । यह भी सर्वविदित तथ्य है कि राम के वनवास का अधिकांश समय इस क्षेत्र में व्यतीत हुआ।

यहां के अभयारण्य एवं वन्य प्रांततर ऋ षि- मुनियों के तपस्थली रहे हैं। जहां तक कौशल क्षेत्र या प्रदेश के नामकरण का प्रश्न है तो इतिहासकारों ने बताया है कि राजा भानुमंत के पिता महाकौशल के नाम पर क्षेत्र का नामकरण कौशल प्रदेश पड़ा। राम के वंश इक्ष्वाकु वंश के साम्राज्य रामायण में दंडकारण्य के नाम से सर्वाधिक वर्णन मिलता है, जो कि समीपस्थ भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है । इस तरह उत्तर कोशल अयोध्या के राजा दशरथ का वर्तमान छत्तीसगढ़ शिवरीनारायण क्षेत्र से पारिवारिक राजनीतिक संबंध स्पष्ट होता है । भगवान राम का वन गमन समय महानदी क्षेत्रों पर व्यतीत हुआ, उस समय समाज अहिंसक और हिंसक समाज में बटा हुआ था। वनवासी क्षेत्रों में निवासरत लोगों के बीच भगवान राम नदी तटों के आसपास से आगे बढ़े हिंसक समाज अथवा हिंसक प्रवृत्ति वाले बस्तियों से बचते हुए आगे बढ़ते गए भगवान राम जहां गए गोपालक समाज गौराहा लोगों की उपस्थिति थी।

इन तथ्यों का उद्देश्य भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि को इंगित करना है, प्राचीन मान्यतानुसार यहां के नृत्य गीतों, किंवदंतियों एवं पुरातत्व- पुरातात्विक साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि केसला की वर्तमान स्थिति पामगढ़ के पास महानदी के आसपास शिवरीनारायण क्षेत्र है। इसका वर्णन प्यारेलाल गुप्त ने अपनी पुस्तक में किया है साथ शकुंतला शर्मा की पुस्तक की इदं न मम में ग्राम केसला को ही कोसला माता कौशल्या की जन्मभूमि बताया है। यहां वैदिक कालीन नदी चित्रोत्पल्ला, महानंदा, नीलोत्पला रूपी महानदी भगवान राम के स्पर्श पाकर गंगा नदी के समान पवित्र हो गई है। इस नदी को गंगा की तरह पवित्र माना गया है । ग्राम केसला दक्षिण कोशल राज्य में विकसित हुआ। ईशान कोण में नदी संगम का महत्व पुराणों में विदित है। इसलिए क्षेत्र का महत्व और बढ़ जाता है और यह वर्तमान कोसला के पवित्र भू भाग डी पर चारो तरफ खाई है।

यहां की पवित्रता का आभास जब लोगों को हुआ तब वहां के लोगों ने डी की मिट्टियों को अपने खेत में बिखेर दिया है मान्यता है कि इस पवित्र मिट्टी के प्रभाव से उपज अच्छे होते हैं। यहां के लोगों ने कुछ सिक्के हरि सिंह गौर सागर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कृण्णदत्त बाजपेई को दिया है जिसमें गामस कोसला अंकित है। लोगों ने बताया कि मां कौशल्या का बाल्यकाल कोसला के अतिरिक्त तीन ग्रामों बोरसी, कोसीर और चन्दखुरी में व्यतीत हुआ। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार वर्तमान में ऐतिहासिक तथ्यों की अवहेलना कर कौशल्या का जन्म स्थल कोसला के स्थान पर चंदखुरी रायपुर को माता कौशल्या की जन्म स्थल प्रचारित कर में पर्यटन स्थल विकसित कर रही है जो कि छत्तीसगढ़ की धार्मिक एवं ऐतिहासिक तथ्यों से न केवल छेड़छाड़ है अपितु प्राचीन छत्तीसगढ़ के गौरव गाथा व ऐतिहासिक पहचान को मिटाने का एक प्रयास है। शिवरीनारायण क्षेत्र पामगढ़ के पास स्थित ग्राम कोसला के यत्र-तत्र बिखरे शिला- खंड इस बात की गवाह है कि कभी यहां एक विकसित राज्य था।

 

, राजमहल थे और यह क्षेत्र कौशल्या की जन्मभूमि के नाम से जाना जाता रहा है । इतिहासकार चन्द्रशेखर तिवारी के इन तथ्य व कथनों के पहले भी ग्राम कोसला के महात्म्य को प्रतिपादित करते हुए इतिहास के एक अन्य अतिथि विव्दान डॉ शांति कुमार कैवर्त्य ने इस पवित्र ग्राम कोसला को माता कौशल्या की जन्म भूमि बताते हुए इसे श्री राम वन गमन पर्यटन परिपथ में शामिल कर इसका मुख्यकेन्द्र विकसित करने सहित माता कौशल्या का भव्य मंदिर बनवाने का आग्रह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से किया है । बीते कुछ दिनों से प्रदेश के राजनीतिक हस्तियां माता कौशल्या की जन्मभूमि को लेकर छ.ग. की जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर ओछि राजनीति करने में लगे हैं ।जो छत्तीसगढ़ की धर्म, संस्कृति , आस्था विश्वास और इतिहास के साथ खिलवाड़ है ।यह अच्छा होता यदि प्रदेश के राजनेता पूर्वाग्रह से परे होकर माता कौशल्या की जन्मभूमि को सच्चाई पता लगाने इतिहास के पन्ने पलट लेते।
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