July 1, 2025

आदिवासी बाहुल्य और पहाड़ की तलहटी में बसे गांव की लता बन गई बैंक वाली दीदी

कभी हाथों में होता था झाडू, आज चला रही है कम्प्यूटर

पायनियर संवाददाता-गरियाबंद

जिले के ओडिशा सीमा से लगे और मलेवा पहाड़ के तलहटी में बसे आदिवासी बाहुल्य ग्राम कनफाड़ में लता बाई नागेश बैंक वाली दीदी के नाम से मशहूर हो गई है। लता बाई नागेश बैंक का विकल्प बनकर बैंक सखी का कार्य बखूबी तरीके से कर रही है। कनफाड़ ग्राम के आसपास के 18 किलोमीटर दायरे में बसे गांवों में वृद्धावस्था, निराश्रित पेंशन, रोजगार गारंटी योजना की राशि, वनोपज संग्रहण की राशि, किसान सम्मान निधि राशि, कोविड सहायता राशि आदि अनेक मद की लगभग 5 लाख रूपये कि राशि का भुगतान इनके द्वारा किया गया है। जरूरतमंदों के पास ये खुद पहुंच जाती है या अपने दुकान में ये कम्पयूटर के माध्यम से आनलाईन भुगतान करती है। लता बताती है कि उनमें ये आत्मविश्वास बिहान से जुड़कर आया। सन 2016 के पहले वे घर में कामकाज बर्तन-चौका तक ही सीमित थी, लेकिन बिहान से जुडऩे के पश्चात आज कम्प्यूटर चला रही है। कोविड लॉकडाउन के तीन महिनों के दौरान उन्होंने लगभग 15 लाख रूपये का लेनदेन किया और राज्यभर में छठवें स्थान पर रही। उन्होंने बताया कि वे फोन करने पर नगद भुगतान हेतु हितग्राही के घर पहुंच जाती है। पंचायत प्रतिनिधि और बिहान की दीदियां भी इस कार्य में मदद करते हैं। वे यहां तक ही नहीं रूकी बल्कि आर्थिक स्वालम्बन के लिए समूह से लोन लेकर अपने काम को आगे बढ़ाते हुए स्वयं की एक दुकान भी चला रही हैं, जिसमें वे फोटोकॉपी, फोटो, शादी, नामकरण, गृहप्रवेश आदि के कार्डस एवं विभिन्न प्रकार के आनलाइन कार्य कुशलता से कर रही हैं।

जिले में 159 बैंक सखियों द्वारा लगभग 15 करोड 70 लाख रूपये का भुगतान

ज्ञात है कि कलेक्टर निलेश क्षीरसागर के मार्गदर्शन में जिले के सभी बैंक विहीन क्षेत्रों में बैंक भुगतान की सुविधा प्रत्येक दो पंचायतों में बैंक सखी के माध्यम से करने की पहल की गई है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी चन्द्रकांत वर्मा ने बताया कि जिले में कार्यरत कुल 159 बैंक सखियों द्वारा लगभग 15 करोड 70 लाख से अधिक की राशि का वितरण इस मुश्किल समय में किया गया। इनके द्वारा जिले में पेंशन के तहत 70 लाख, मनरेगा मजदूरी की राशि 4 करोड 79 लाख, प्रधानमंत्री जन धन खाते से 76 लाख व अन्य 8 करोड 26 लाख से अधिक की राशि का वितरण किया गया।

सामुदायिक सहयोग में भी आगे

जनपद पंचायत छुरा की सीईओ रूचि शर्मा ने बताया कि यहां की महिलाएं सामुदायिक सहयोग में भी तत्पर रहती है। विशेष पिछड़ी जनजाति की बहुलता वाले इस ग्राम में समूह की महिलाओं द्वारा आपस में चंदा एकत्र कर एक सामुदायिक भवन का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके अलावा सामाजिक मुद्दो पर भी महिलाएं सजग है।

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