July 1, 2025

किसानों के अस्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन का मामला विधानसभा में गरमाया

 

पायनियर संवाददाता रायपुर

छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन किसानों के अस्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन का मामला सदन में उठा, खुज्जी विधायक छन्नी चंदू साहू ने यह मामला उठाया। पूरक सवाल के जवाब में बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा मैंने भी इसे लेकर सवाल लगाया है, पूरे प्रदेश में 94 हजार कनेक्शन के आवेदन हैं, इन सभी आवेदनों पर कनेक्शन दिया जाएगा तो सरकार को 900 करोड़ रुपये लगेंगे। सीएम क्या सदन में घोषणा करेंगे कि सभी आवेदनों पर कनेक्शन दिया जाएगा।

इस दौरान अजय चंद्राकर ने सीएम भूपेश बघेल को किसानों का ब्रांड एम्बेसडर कहा तो सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि देसी घी को प्रचार की जरूरत नहीं होती, मैं किसान पैदा हुआ हूं, किसान के रूप में ही मृत्यु होगी। ब्रांड एम्बेसडर बनने की जरूरत नहीं है। सीएम ने कहा कि 94 हजार 950 कनेक्शन के आवेदन हैं। प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद भी विपक्षी सदस्यों ने सदन में हंगामा किया, प्रश्नकाल खत्म होने के बाद विपक्ष के सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया। वहीं जेसीसीजे विधायक धर्मजीत सिंह ने भी कहा कि स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में जोरदार हंगामा हुआ, अजय चंद्राकर और ष्टरू के बीच तीखी नोक झोक भी हुई। इस मामले पर सदन में मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि सदन के नेता अगर कुछ बोलने खड़े हुए हैं तो उन्हें सुनना चाहिए, उत्तेजना अच्छी बात नहीं है। वहीं आज सदन में नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अमलेश्वर में 2 लोगों की हत्या का मामला सदन में उठाया और प्रदेश की लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर भी उन्होंने सवाल उठाया।

वहीं बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने शून्यकाल में धान खरीदी की अव्यवस्था का मुद्दा उठाया, इस पर लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की। बीजेपी विधायक नारायण चंदेल ने कहा किसान अपने खेत चोरी होने की शिकायत कर रहे हैं, रकबा कम करने से किसान आक्रोशित है। जिसके बाद मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन से इसे स्वीकार कर चर्चा कराये जाने का अनुरोध किया, सदन ने इसे स्वीकार कर चर्चा कराने की स्वीकृति दी। सदन में मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने स्थगन प्रस्ताव पर सरकार का पक्ष रखा। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान किसानों की आत्महत्या मामले पर विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष आमने सामने दिखाई दिए। सरकार ने विपक्ष पर स्थगन स्वीकार होने के बाद चर्चा से भागने का आरोप लगाया। वहीं विपक्ष ने कहा- सरकार आत्महत्या जैसे गंभीर विषय पर भी जवाब नहीं दे रही है। दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस और किसानों की आत्महत्या पर आरोप प्रत्यारोप हुए। सदन में सीएम भूपेश बघेल ने कहा, यह सरकार किसानों की सरकार है, किसानों के लिए जो सवाल उठेगा उसका जवाब देंगे। जिसके बाद भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित
करनी पड़ी।

सरकार की नीतियों की वजह से किसान कर रहे आत्महत्या : रमन सिंह
पूर्व सीएम रमन सिंह ने विधानसभा की कार्यवाही और स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा न करने के सत्तापक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की नीतियों की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं, किसानों को कई समस्यायों से जूझना पड़ रहा है, किसानों की खुदकुशी के मसले पर हम जवाब चाहते थे, मृतकों के परिजनों को 25 लाख मुआवजा और दोषियों पर कार्रवाई मुख्य मुद्दा था, लेकिन इस पर जवाब नहीं दिया गया, सरकार स्थगन पर चर्चा खुद टालना चाहती थी। विधानसभा के भीतर सबका अधिकार होता है। वहीं संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि प्रतिपक्ष की ऐसी दयनीय हालत नहीं देखी, छत्तीसगढ़ के किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर विपक्ष के स्थगन पर हमने हामी भरी लेकिन जब नाम पुकारा गया तब विपक्ष चर्चा से भागता रहा। उन्होंने कहा कि रमन सरकार में कितने किसानों को मुआवज़ा दिया गया, 15 सालों तक किसानों को धोखा देने वाले लोग सदन में चर्चा से भागते हैं।

स्थगन पर बवाल-चर्चा क्यों नहीं किए.. क्यों भागा विपक्ष: मरकाम
किसानों की मौत मसले पर विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद शोर गुल में डूबा सदन अगले दिन तक के लिए स्थगित हो गया। लेकिन इस मसले की गूंज सदन के बाहर भी रही। सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया कि विपक्ष चर्चा से भाग रहा है जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया स्थगन में उठाए गए मुद्दों को लेकर सरकार ने जो जवाब दिया वह अधूरा था।

कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम ने कहा विपक्ष के पास कोई तर्क नहीं है, कोई तथ्य नहीं है। सदन में घडिय़ाली आंसू बहा रहे हैं, स्थगन स्वीकार हो गया तो चर्चा करनी थी लेकिन हंगामा करने लगे, चर्चा से भागने लगे.. आखिऱ भागे क्यों ? हालाँकि विपक्ष की ओर से बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर कहा स्थगन में उठाए मुद्दों पर मंत्री जी के जवाब में वो विषय ही नहीं थे जिसका हमने उल्लेख किया था, अधूरा जवाब असंतोषप्रद था, हमने माँग रखी कि मंत्रीजी का जवाब पूरा आए। पर वो हुआ नहीं.. विरोध करते गर्भगृह पहुँचे। विदित हो कि सभापति सत्यनारायण शर्मा ने किसानों की मौत को लेकर स्थगन स्वीकार कर लिया था। लेकिन चर्चा हंगामे में बदल गई और बेहद शोरगुल के बीच आसंदी ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा हमने सरकार से कहा प्रति किसान मुआवज़ा पच्चीस लाख रुपए और दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए, इस पर कोई जवाब ही नहीं आया।

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