पायनियर संवाददाता .भाटापारा
बिल्हा, हतबंध और सिलयारी। इन तीन स्टेशनों में अब एक भी यात्री ट्रेन नहीं रुकती। कोरोना संक्रमण के मामलों में आ रही गिरावट के बाद 8 माह से बंद रेल परिवहन सेवा फिर से चालू किए जाने के बाद उम्मीद थी कि ठहर चुके जीवन को फिर से पटरी पर लाया जा सकेगा। उम्मीदों पर पानी उस दिन फिर गया जब इन तीन स्टेशनों में रुकने वाली ट्रेनों के स्टॉपेज खत्म कर दिए गए।
यात्रीगण कृपया ध्यान दें। बिल्हा, हतबंध और सिलयारी के लिए एक्सप्रेस ट्रेन का स्टॉपेज बंद किया जा रहा है। यह केवल उद्घोषणा नहीं है। सच यह है कि इन तीनों स्टेशनों में अब ना तो सारनाथ एक्सप्रेस रुक रही है ना कोरबा-विशाखापट्टनम-कोरबा लिंक एक्सप्रेस का ठहराव है। दुर्ग-अंबिकापुर-दुर्ग और छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस तक के स्टॉपेज खत्म किए जा चुके हैं। अब केवल सहारा है सड़क मार्ग। जिसमें यात्रा करके गंतव्य तक पहुंचना बेहद आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है। जीवन चलाना है। परिवार का भरण-पोषण करना है जैसी मजबूरियों के बीच नौकरी और व्यवसाय के लिए निकल रहे यात्रियों की व्यथा से ना जोनल मुख्यालय सरोकार रखना चाहता है और ना जनप्रतिनिधि।
तीन स्टेशन, चार ट्रेन- बिल्हा, हतबंध और सिलयारी इन तीन स्टेशनों से सारनाथ एक्सप्रेस, अंबिकापुर एक्सप्रेस, लिंक एक्सप्रेस और छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के स्टॉपेज की सुविधा छिनी जा चुकी है। क्यों? सवाल के जवाब कौन देगा? शायद कोई नहीं। लोकल और पैसेंजर ट्रेनों के पहिए पहले से ही थमें हुए हैं। इसलिए जो चल रही या चालू की गई उनका स्टॉपेज नहीं दिए जाने से इन शहरों के वे यात्री सबसे ज्यादा हताश हैं जिनकी रोजी-रोटी इन ट्रेनों के चलने से ही चला करती थी।
जहां स्टॉपेज वहां सिर्फ दिक्कत- आरक्षण पर ही यात्रा की अनुमति। समय परिवर्तन के बाद कार्यस्थल पर पहुंचने में आ रही परेशानी। स्टेशन पर हताश करने वाली व्यवस्था जैसी कई तरह की व्यवहारिक दिक्कत पहुंचाने जैसी गतिविधियां उन स्टेशन के यात्रियों के बीच सवाल उठा रही हैं जिन स्टेशनों में स्टॉपेज दिए गए हैं। याने जहां स्टॉपेज है और जहां नहीं है वहां दो अलग-अलग तरह की समस्याएं आ रही है लेकिन मंत्रालय तो दूर हमारे सबसे करीब जोनल मुख्यालय तक को यात्रियों के सवालों से कोई सरोकार नहीं है जो स्टॉपेज खत्म करने की वजह जानना चाहते हैं।
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