पायनियर संवाददाता बालोद
जिले के एक लाख 30 हजार से ज्यादा किसानों ने इस साल एक लाख 71 हजार हेक्टेयर रकबे में धान की बोआई और कटाई की है। जिसकी पुष्टि कृषि विभाग कर रहा है। लेकिन राजस्व विभाग, पटवारियों ने जब फील्ड में जाकर सर्वे किया तो रकबा घटकर एक लाख 53 हजार हेक्टेयर में आ गया, इसी रकबा अनुसार किसानों को धान बेचने टोकन जारी किया जा रहा और आगे भी यह सिलसिला फरवरी तक चलेगा। कृषि और राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में धान का रकबा 17065 हे. कम है। अफसर भी स्वीकार कर रहे हैं कि कृषि विभाग के रिकॉर्ड में 1.71 लाख हे. में धान लगा और राजस्व के रिकॉर्ड में 1.53 लाख हे. आ रहा है और इसी हिसाब से 56 लाख क्विंटल धान खरीदी का अनुमान लगाया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि दोनों विभाग के रिकॉर्ड में बड़ा अंतर कैसे और क्यों है। जिसके जवाब में अफसरों का अपना तर्क है। कृषि विभाग के अफसर अपने रिकार्ड को सही बताकर यह साबित कर रहे है कि पड़त, वन और अन्य भूमि होने के कारण उस रकबे के रिकॉर्ड को राजस्व विभाग काउंट नहीं करता। जबकि राजस्व विभाग के अफसर तर्क दे रहे हैं कि पटवारियों ने एक एक खेत में जाकर वास्तविक हालात देखा है इसलिए हम सही हैं। पीपरछेड़ी के किसान फगनलाल साहू ने पायनियर को बताया कि पिछले साल धान का रकबा 1.40 हेक्टेयर था। जो इस साल खरीदी के पहले घटकर 1.07 हेक्टेयर हो गया। ऑपरेटर से पूछे तब जानकारी दी कि तकनीकी दिक्कत से ऐसा हुआ। मैं सोसायटी से 45 हजार रुपए कर्ज लिया हूं, अगर धान पूरा नहीं बेच पाऊंगा तो पटा भी नहीं पाउंगा, क्योंकि 82 डिसमिल रकबा कम होने से 12-13 क्विंटल धान बेच नही पाउंगा। कलेक्टर, तहसीलदार को आवेदन दिया था।
विशेष सचिव ने किया फरमान जारी- भले ही अफसरों का अपना तर्क है लेकिन धान खरीदी सॉफ्टवेयर में किसानों का रकबा-खसरा एंट्री में बड़ी लापरवाही सामने आई है। कई किसानों का रकबा व खसरा नंबर गिरदावरी यानी पटवारी फील्ड सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नहीं हुई है। इस गड़बड़ी को सुधारने के लिए अब समितियों में नया फरमान आया है कि सोमवार से धान खरीदी केंद्रों में पटवारी बैठकर उसे सुधारें। जिले में कितने ऐसे किसान हैं जिनके रिकॉर्ड में गड़बड़ी हुई है इसे गोपनीय रखा गया है और अफसर कुछ कहना नहीं चाह रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश के जगदलपुर, कोंडागांव के मारंगपुरी निवासी किसान धनीराम ने 4 दिसंबर को इसलिए आत्महत्या कर ली थी कि वह जितनी भूमि में धान फसल ली थी उसके हिसाब से भुइयां पोर्टल में कम एंट्री कर दी गई। रकबा घट जाने से उसे मात्र 11 क्विंटल धान बेचने का टोकन मिला। इस प्रकार गड़बड़ी सामने आई। जिसे शासन ने गंभीरता से लेते हुए बालोद सहित सभी कलेक्टर को निर्देश जारी किया है कि त्रुटि सुधार तत्काल करें। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
खरीदी के पहले हुआ सर्वे
जिले में किस किसान ने धान और अन्य फसल ली है। इसलिए ही मौके में जाकर सर्वे कराया गया है। उद्देश्य यह है कि धान खरीदी सीजन में पारदर्शिता बनी रहें। तय रकबा के आधार पर किसान धान बेच सकें। पंजीयन के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और पात्र किसान को धान बेचने का मौका मिलें। इसलिए गिरदावरी के तहत यह सब किया गया। जिले की ग्राम पंचायत में भी चस्पा किया गया था कि किस किसान ने कौन सी फसल लगाई है। सिर्री सोसायटी समिति के अध्यक्ष ठाकुर राम चंद्राकर ने बताया कि तिलोदा के किसान राजेंद्र देशमुख ने मुझे जानकारी दी थी कि समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीयन नहीं हुआ है। इस बार वह बिना पंजीयन के समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पाएगा। उन्होंने बताया कि केसीसी बना है।
जांच करने के निर्देश जारी कलेक्टर सुधार करवाएं- राज्य शासन के विशेष सचिव मनोज कुमार सोनी ने पायनियर को बताया कि किसानों के रकबा-खसरा त्रुटिपूर्ण होने की जानकारी प्राप्त हो रही है। इसलिए कलेक्टर को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे इसमें सुधार करवाएं। गिरदावरी की स्थिति की जानकारी मिलान कर यह सुधार करने कहा गया है।
कितना धान खरीदना है यह कृषि विभाग को भी मालूम
भू-अभिलेख अधीक्षक एसएन कुशवाहा ने बताया कि पटवारियों के अलावा कृषि विभाग को भी मालूम है कि कितने रकबे में लगा धान खरीदना है। प्रत्येक पटवारी ने फील्ड में जाकर गिरदावरी रिपोर्ट तैयार की है। कृषि विभाग, ग्राम पंचायत प्रतिनिधि सहित किसान भी मौके पर थे। इसकी जानकारी सभी तहसील कार्यालय से मिल पाएगी, त्रुटि हुई हो तो किसान सुधार करवा सकते हैं। सहायक जिला खाद्य अधिकारी ने बताया कि किसान त्रुटि सुधार करवा सकते हैं। निर्धारित रकबा अनुसार धान खरीदी होगी।
जिले में धान खरीदी को लेकर आप यह भी जानें-
1. कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में एक लाख 71 हजार हेक्टेयर रकबा में धान बोआई का लक्ष्य तय किया था।
2. चार साल में ही पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 46 हजार 396 बढ़ी है।
3. धान की खरीदी के लिए पंजीकृत किसानों का रकबा एक लाख 53 हजार 935.6934 हेक्टेयर है।
4. 2019 की तुलना में इस साल धान खरीदी के लिए तय रकबा में 0.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
More Stories
एस्सेल माइनिंग की दो कोयला खदानों को निष्पादित करने में भारत में इस वर्ष कोयले की कमी हो जाएगी
ओपी जिंदल विश्वविद्यालय में स्मार्ट इंडिया हैकथॉन-2023
युवाओं को दरकिनार करना लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता कांग्रेस पर भारी – अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)