जब रिसाव हुआ तो स्टॉफ मरीजों को छोड़कर पहले ही भाग चुका था
मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल के आईसीयू में हुए ऑक्सीजन कांड को लेकर किए कई खुलासे
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
ऑक्सीजन गैस लीक कांड के मृतक के परिजनों ने मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल के प्रबंधन, चिकित्सक और आईसीयू के स्टॉफ पर संगीन आरोप लगाए हैं। मृतक के पुत्र और पुत्री ने आरोप लगाया कि उनके पिता की मौत ऑक्सीजन गैस रिसाव से ही हुई है जिसका जिम्मेदार आईसीयू का स्टॉफ है जो ऑक्सीजन के रिसाव के बीच उन्हें छोड़कर वार्ड से भाग खड़ा हुआ था। इस मौत के जिम्मेदार चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधन भी है। उन्होंने खुलासा किया कि इस पूरे मामले में अब तक उनसे किसी तरह की पूछताछ नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि घटना के दिन ही शव ले जाने से पहले प्रबंधन ने उनसे कोरे कागज पर दस्तखत लिए थे। मृतक के परिजनों ने कहा कि वे न्याय चाहते हैं अगर वो यहां न मिला तो वे कोर्ट तक जाएंगे।
परिजनों ने बताया कि बीते 1-2 दिसंबर की दरम्यानी रात मेडिकल 1.30 बजे कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल के आईसीयू में ऑक्सीजन गैस रिसाव के दौरान वहां का स्टॉफ मरीजों को आईसीयू में छोड़कर भाग खड़ा हुआ था। अफरा-तफरी के बीच सब इधर-उधर भाग रहे थे और वहां मौजूद किसी भी स्टॉफ ने मरीजों की मदद नहीं की। इस लापरवाही के चलते ही उनके पिता की मौत हुई। गौरतलब है कि इस हादसे के बाद दो मरीजों की मौते हुई थीं जो कि आईसीयू में ही दाखिल थे और गैस रिसाव के बाद बाहर लाए गए थे।
बालोद जिला निवासी 62 वर्षीय मृतक मोहन चंद्रवंशी के पुत्र नरेश और पुत्री लता ने रविवार को मीडिया से बात की। उन्होंने इस पूरे मामले को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि घटना के दिन देर रात 1.30 बजे के लगभग वार्ड ब्वॉय बगल में ही मौजूद एक अन्य मरीज का ऑक्सीजन सिलेंडर बदल रहा था। इसके लिए उसने ऑक्सीजन गैस के ऊपरी हिस्से पर पत्थर मारे। जिसके चलते ऑक्सीजन लीक हो गया और उससे चिंगारी निकलने लगी। लता ने बताया कि वार्ड में भगदड़ मच गई। मैं बिस्तर के नीचे छिप गई। भाई मदद की गुहार लगाता रहा।
नरेश ने कहा, वहां कोई मदद करने वाला नहीं था। स्टॉफ नर्स पहले ही मरीजों को भीतर ही छोड़कर बाहर निकल चुकी थी। मैं अपने पिता को खुद ही लेकर सबसे आखिर में बाहर निकला। मेरे पिता के बगल में भर्ती मरीज भी उससे पहले ही निकाले गए उन्हें भी ऑक्सीजन लगा था। उन्होंने बताया कि वार्ड से निकलते ही मेरे पिता की सांसे थम गई थी। डॉक्टरों ने इसे सामान्य मौत बताया जबकि हमें समझ आया गया था कि ये मौत ऑक्सीजन के रिसाव के चलते हुई थी।
नरेश ने खुलासा किया कि मरीज अपनी ही कोशिशों से वार्ड से बाहर आए उनकी किसी ने कोई मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि जब यह घटना हुई तब दो ही मरीज ऑक्सीजन पर थे जिनमें एक उनके पिता और दूसरे उनके बाजू में भर्ती मरीज थे। उन्होंने कहा कि गैस रिसाव के बाद इन्हीं दोनों मरीजों की मौत हुई है। इससे समझा जा सकता है कि दोनों ही मरीजों की मौत का कारण क्या था। लेकिन प्रबंधन और चिकित्सकों ने मिलकर इसे सामान्य मौत करार दिया और पोस्टमार्टम भी नहीं होने दिया।
रात में ही लाए गए थे आईसीयू में
हादसे की रात बालोद जिले के अर्जुंदा इलाके के ग्राम कांदल निवासी 62 वर्षीय मोहन चंद्रवंशी आईसीयू में दाखिल किए गए थे। उन्हें पेट में समस्या थी जिसके बाद उन्हें जनरल वार्ड से आईसीयू में लाकर निगरानी में रखा गया था। उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ थी जिसके चलते उन्हें ऑक्सीजन लगाया गया था। इसी दौरान देर रात वार्ड ब्वॉय की गलती से ऑक्सीजन लीक हो गया। उस वक्त आईसीयू में सात मरीज थे जिनमें से सिर्फ दो को ही ऑक्सीजन लगाया गया था। नरेश ने बताया कि इससे पहले उनके पिता बातचीत कर रहे थे। उनकी हालत स्थिर थी।
चिकित्सकों ने गुमराह किया
मृतकों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनके पिता की मौत के कारण को लेकर चिकित्सकों ने उन्हें गुमराह किया। उन्होंने यह भी कहा कि हमने पोस्टमार्टम से इंकार नहीं किया था। लेकिन खुद प्रबंधन ने या चिकित्सकों ने उन्हें न ही पोस्टमार्टम के संबंध में कोई जानकारी दी और न ही अनुमति मांगी। बल्कि वे खुद उनकी मौत को सामान्य मौत बताते रहे। उन्होंने कहा कि हमने तो आशंका जताई थी कि हमारे पिता की मौत ऑक्सीजन रिसाव के चलते हुई है।
हां, चिंगारी निकल रही थी
एक और मसला है जिसे लेकर अस्पताल प्रबंधन घेरे में है। यह विषय है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में लीकेज के बाद आग लगी थी या नहीं लगी थी। घटना के दौरान मौके पर मौजूद रहे मृतक के परिजनों ने बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर के ऊपरी हिस्से से चिंगारी निकल रही थी। हम डर गए थे। दूसरी ओर आईसीयू का स्टॉफ और प्रबंधन कहता रहा है कि इस दौरान किसी तरह की आग नहीं लगी थी। उन्होंने इस मामले को लेकर यहां पुलिस चौकी में पदस्थ स्टॉफ अमित समुंद्रे पर भी आरोप लगाए हैं कि उसके चलते ही अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल बना और भगदड़ मची। यहां तक की उन्होंने कलेक्टर से इस संबंध में शिकायत करते हुए अस्पताल पुलिस चौकी में पदस्थ एएसआई ठगिया चंद्रवंशी व आरक्षक अमित को हटाने की मांग की थी। लेकिन मृतक के परिजनों की मानें तो पुलिसकर्मी अमित ने जल्द सहीं फैसला लेकर बड़ी घटना को टाल दिया। इस खुलासे पर भी प्रबंधन घिरता नजऱ आ रहा है।
न पूछताछ हुई, न ही सुध ली
मृतक के पुत्र नरेश ने बताया कि इस पूरे मामले में हमें बताया जा रहा है कि हमसे जांच अधिकारियों ने पूछताछ की है। लेकिन अब तक इस संबंध में किसी ने भी हमसे बातचीत नहीं की है। दरअसल, ऑक्सीजन लीक के इस मामले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला जांच के लिए अस्पताल पहुंची थी। इस दौरान जानकारी मिली थी कि मृतक के परिजनों से भी घटना के संबंध में जानकारी ली गई है। लेकिन आज मृतक के परिजनों ने इसे सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि इतने बड़ी घटना के बाद किसी ने भी हमारा पक्ष जानना जरुरी नहीं समझा और न ही अब तक किसी ने हमारी सुध ली। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को लेकर एसपी से शिकायत कर चुके हैं। हमें न्याय चाहिए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई ताकि आगे ऐसे हादसे फिर न हों। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में शासन से भी गुहार लगाएंगे। और फिर भी न्याय न मिला तो हम हाईकोर्ट का रुख करेंगे।
कोरे कागज पर दस्तखत क्यूं!
मृतक मोहन चंद्रवंशी के पुत्र ने खुलासा किया है कि उससे शव ले जाने से पहले चिकित्सकों ने कोरे कागज पर दस्तखत लेते हुए कहा था कि बाकि हम देख लेंगे। इस खुलासे पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यूं मृतक के परिजन से कोरे कागज पर दस्तखत लिए गए क्या इसी कोरे कागज पर परिजनों की वो झूठी असहमति दिखाई गई कि वे मृतक का पोस्टमार्टम नहीं करवाना चाहते आज मृतक के परिजनों ने जो पहलु सामने रखे हैं वो अस्पताल प्रबंधन, चिकित्सक और यहां के स्टॉफ की लापरवाहियों को लेकर कई सवाल खड़े करते हैं। गैस रिसाव के दौरान मरीजों को छोड़कर भागना, मौत के कारण को लेकर गुमराह करना, मदद के लिए आए आरक्षक अमित पर आरोप लगाना, मृतक का पोस्टमार्टम न होने देना और परिजनों से बयान लिए जाने को लेकर झूठी जानकारी देना ऐसे कई मसले हैं जो अस्पताल प्रबंधन को दोषी ठहरा रहे हैं।
अब तकनीक को लेकर नहीं, जिम्मेदारों को लेकर हो जांच
मृतक के परिजनों के खुलासे के बाद सह-अस्पताल के सीसीटीवी की जांच जरुरी दिखाई देती है। इस मामले में पुलिसिया जांच जरुरी बताई जा रही है। क्यूंकि जिला प्रशासन ने पहले ही अपनी जांच में अस्पताल प्रबंधन को क्लिनचिट दे दी है। ऐसे में दूसरे एंगल से जांच आवश्यक है। अब बात तकनीकी खामियों से इतर जिम्मेदारियों की है जिसे न ही प्रबंधन ने निभाया और न ही चिकित्सक या स्टॉफ ने। हालांकि अब तक संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है। संभव है कि इस रिपोर्ट में यहां बरती गई लापरवाही की कलई खुल जाए। या फिर दोबारा सारे पहलुओं को नजऱअंदाज करते हुए अस्पताल प्रबंधन को क्लिन चिट दे दी जाए।
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