July 1, 2025

प्रदेश का रियल स्टेट व्यवसाय चौपट, प्रदेश में मकान बनाने की योजनाओं पर लगा है ग्रहण

पुरानी योजनाओं के लिए रेरा से समय भी मांगा, छह माह का समय ही मिला

पायनियर संवाददाता-रायपुर

कोरोना के कहर के चलते प्रदेश में मकान बनाने की योजनाओं पर ग्रहण लग हुआ है। हर साल दो हजार करोड़ की सवा सौ से ज्यादा योजनाएं निजी और सरकारी मिलाकर लांच होती हैं, लेकिन इस बार कोई नई योजना ही लांच नहीं की गई है। पुरानी योजनाओं के लिए रेरा से एक साल का अतिरिक्त समय भी मांगा गया था, लेकिन वहां से महज छह माह का समय ही मिला है।
जहां तक रेरा में नई योजनाओं के पंजीयन का सवाल है तो दो साल में जहां रेरा में 11 सौ योजनाओं का पंजीयन हुआ था, वहीं कोरोना काल के नौ माह में 80 योजनाओं को मंजूरी जरूर मिली है, लेकिन इसमें से ज्यादातर योजनाएं पुरानी हैं, जिनके दस्तावेज पूरे न होने के कारण इनको इस साल मंजूरी मिली है।
प्रदेश में रीयल एस्टेट का बड़ा कारोबार है। इस कारोबार में जहां एक तरफ क्रेडाई के बिल्डरों के साथ अन्य बिल्डर भी काम करते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के साथ रायपुर विकास प्राधिकरण भी कई योजनाओं पर काम करता है। इस समय प्रदेश में पिछले तीन साल से जबसे रेरा का कानून लागू हुआ है, 1186 योजनाएं पंजीकृत हुई हैं। इनमें से 11 सौ योजनाएं तो दो साल पहले की हैं। प्रदेश में मकान बनाने की जो योजनाएं लांच होती हैं या जो अभी चल रही हैं, उनकी लागत 10 से लेकर 40 करोड़ तक ही होती है। एक योजना को औसत 20 करोड़ का भी मान लिया जाए तो साल में सौ योजनाओं के हिसाब से दो हजार करोड़ की योजनाएं हो जाती हैं।
सरकार मकान बनाने निजी बिल्डरों की ज्यादा योजनाएं रहती हैं। क्रेडाई के जो सदस्य हैं, उनकी ही हर साल करीब 50 से 60 योजनाएं आ जाती हैं। प्रदेश में थोक में ऐसे बिल्डर भी हैं, जो क्रेडाई के सदस्य नहीं हैं, लेकिन मकान निर्माण का काम करते हैं। ऐसे बिल्डरों की भी सालभर में 25 से 30 योजनाएं आ जाती हैं।
गृह निर्माण मंडल और आरडीए को मिलाकर भी 25 से 30 योजनाएं हर साल लांच हो जाती हैं। कुल मिलाकर सौ नई योजनाएं हर साल आती हैं। रेरा में जरूर नई योजनाओं के नाम पर पंजीयन हुआ है, लेकिन इस बार एक भी योजना नहीं आई है। कोई सरकारी योजना नहीं मकान बनाने के मामले में प्रदेश में आज भी पहले नंबर पर गृह निर्माण मंडल ही है। मंडल के बनाए मकान जहां आम जनता के लिए होते हैं, वहीं मंडल सरकारी कर्मचारियों के लिए भी मकान निर्माण करता है।
नवा रायपुर में भी मंडल की कुछ योजनाएं चल रही हैं। मंडल के अधिकारी कहते हैं, सालभर में मंडल की करीब तीन सौ करोड़ की योजनाएं लांच हो जाती हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कारण एक भी नई योजना लांच नहीं की गई है। इसी तरह से आरडीए भी हर साल कई नई योजनाओं लांच करता है, लेकिन इस बार एक भी नई योजना नहीं लाई गई है। दोनों सरकारी एजेंसियां पुरानी योजनाओं पर काम कर रही हैं। कुछ पुरानी योजनाओं की ही इस बार बुकिंग की गई है।

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