मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल के आईसीयू में मंगलवार – बुधवार की दरम्यानी रात हुआ हादसा, अब तक नहीं बदली गई ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी, सिलेंडर की गुणवत्ता पर भी संदेह
पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव
मंगलवार की देर रात मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल के आईसीयू में ऑक्सीजन सिलेंडर लीक होने और यहां मची अफरा-तफरी के बीच एक बुजुर्ग मरीज की असमय मौत हो गई। इसके अलावा आईसीयू में भर्ती अन्य 6 मरीजों को भी आनन-फानन में बाहर निकाला गया जिनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। इस घटना के साथ ही एक बार फिर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन आरोपों के घेरे में है। उधर, अस्पताल चौकी में पदस्थ पुलिसकर्मी को लेकर भी कई शिकायतें सामने आई हैं।
प्रभारी अस्पताल अधीक्षक डॉ. अजय कोशा ने बताया कि मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात करीब 1.30 बजे जिला अस्पताल के आईसीयू में मरीज को ऑक्सीजन लगाने के दौरान सिलेंडर में लगा प्लास्टिक का फ्लो मीटर फट गया। इसके बाद पूरे वार्ड में ऑक्सीजन का रिसाव होने लगा। आनन-फानन में यहां मौजूद स्टॉफ ने आईसीयू में दाखिल सभी 7 मरीजों को बाहर निकाला। आग लगने की आशंका को देखते हुए अग्निशमन यंत्र का उपयोग किया गया। इसी बीच यहां दाखिल एक 65 वर्षीय मरीज की मौत हो गई।
बताया गया है कि उक्त मृतक बालोद जिले का निवासी था जिसे यहां गंभीर स्थिति में दाखिल किया गया था। आशंका है कि ऑक्सीजन के अधिक प्रेशर के चलते उक्त मरीज ने दम तोड़ दिया। जबकि अस्पताल प्रबंधन इसका कोई और ही कारण बता रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने मरीज की मौत का कारण अतडिों में संक्रमण और गंदा पानी जाना बताया है। हालांकि अब इस पूरे मामले में पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी।
इस पूरे मामले में एक और गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन बदलने – लगाने का काम यहां वार्ड ब्वॉय द्वारा किया जा रहा था। अप्रशिक्षित स्टॉफ द्वारा ऑक्सीजन लगाने के चलते भी यह हादसा होने की आशंका जताई जा रही है। इससे पूर्व 15 नवंबर को कोविड अस्पताल में हुई मौत के मामले में भी ऑक्सीजन अप्रशिक्षित स्टॉफ द्वारा ही लगाए जाने के आरोप लगे हैं। दोनों ही मामलों में गंभीर लापरवाही बरती गई। पूर्व में एक मरीज की मौत और अब दोबारा एक मरीज की मौत के साथ ही कई और जान को खतरे में डाला जाना गंभीर लापरवाही है।
कोविड अस्पताल और फिर जिला अस्पताल में हादसे के दोहराव के बाद संयुक्त संचालक व अधीक्षक प्रदीप बेक की भी खिलाफत शुरु हो गई है। मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उनके प्रबंधन को काफी लचर बताया जा रहा है। यहां के अन्य अधिकारी व कुछ चिकित्सकों का मानना है कि अधीक्षक बेक के कार्यकाल में लापरवाहियां बढ़ी है। मैदानी स्तर पर उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होंने यहां अपना गुट बना रखा है जिसके भरोसे वे कॉलेज और अस्पताल की व्यवस्था संभालने की जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन यह नीति काम नहीं कर रही है। उस पर ऑक्सीजन सप्लाई के मामले में वे घिर चुके हैं। बहरहाल, इस घटनाक्रम के बाद जानकारी मिली की अधीक्षक बेक कुछ दिनों की छुट्टी में गए हुए हैं और उनका प्रभार डॉ अजय कोशा को दिया गया है।
दो मौतों का ऑक्सीजन कनेक्शन
जिला अस्पताल के आईसीयू में घटित हुई घटना ने ऑक्सीजन सप्लाई और मॉनिटरिंग में खामी के चलते कोविड-19 संक्रमित मरीज की मौत को लेकर जांच का सामना कर रहे प्रबंधन की लापरवाही का सबूत दे दिया है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को लेकर उच्चस्तरीय और जिला प्रशासन की जांच का परिणाम चाहे जब आए लेकिन यह तय हो चुका है कि मेडिकल कॉलेज और इससे संबंद्ध जिला चिकित्सालय में कुछ भी बेहतर नहीं हो रहा है। संयुक्त संचालक व अधीक्षक प्रदीप बेक के कार्यकाल के इस पखवाड़े भर में ये दूसरी बार है जब मरीज की असमय मौत हो गई और दोनों ही मामलों में ऑक्सीजन कनेक्शन निकलकर सामने आया है। बीते 15 नवंबर को मेडिकल कॉलेज में बनाए गए कोविड अस्पताल में 55 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज की मौत भी ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई थी। इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन, चिकित्सक और स्टॉफ नर्स सहित ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी जांच का सामना कर रही है। मृतक की पुत्री ने सीधे तौर पर अस्पताल में की गई लापरवाही के चलते पिता की मौत होने की शिकायत कर रखी है। आरोप है कि यहां कोविड अस्पताल में उस दौरान पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं थी। इसके अलावा यहां अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा मरीज को ऑक्सीजन लगाए जाने की भी आरोप हैं। इस मामले में प्रबंधन की लापरवाही कार्यशैली भी जांच के दायरे में है।
ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी भी जिम्मेदार
मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात जिला अस्पताल के आईसीयू में हुई घटना को लेकर ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी के जिम्मेदार होने की भी आशंका जताई जा रही है। इस आशंका के पीछे तकनीकी कारण है। दरअसल मौजूदा ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी मेसर्स रामा गैसेस मेडिकल कॉलेज सहित जिला अस्पताल में भी ऑक्सीजन सप्लाई का काम कर रही है। बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में जो ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं उनमें खामियां मिल रही है।
जब भी ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होकर प्लांट पहुंचते हैं तो यहां सिलेंडर की ग्रीप को पेपर से रब कर उसमें लगे डस्ट, आईल और ग्रीस को साफ करना होता है। ताकि सिलेंडर की ग्रीप में फिसलन न हो और इस पर लगने वाली कैप मजबूती से बंद हो सके। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जो सिलेंडर यहां आ रहे हैं उनकी ग्रीप में डस्ट, आईल और ग्रीस की सफाई नहीं की जा रही है। खाली सिलेंडरों को सीधे दोबारा रिफिल कर सप्लाई किया जा रहा है। इसके चलते भी सिलेंडर में आग लगने की आशंकाए प्रबल हो जाती है। मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल के आईसीयू में घटित घटना को भी इस लापरवाही के कारण ही घटित होने की आशंका है। इस संबंध में जांच होने पर ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी की मुश्किलें बढ़ सकती है।
टेंडर निरस्त होने के बावजूद नहीं बदली सप्लाई एजेंसी
प्रबंधन ने बीते दिनों क्रय समिति की बैठक में मेसर्स रामा गैसेस का टेंडर निरस्त करने का फैसला लिया था। 15 नवंबर को कोविड अस्पताल में ऑकसीजन की कमी से हुई मरीज की मौत के मामले में मेसर्स रामा गैसेस को जिम्मेदार बताते हुए समिति ने यह फैसला किया था। उस दौरान जानकारी दी गई थी कि जल्द ही दूसरी फर्म को टेंडर देकर उससे सप्लाई ली जाएगी लेकिन कई दिन बीतने के बावजूद यह कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। अब भी मेसर्स रामा गैसेस ही मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही है।
अधिकारियों ने लिए बयान
इधर, कलेक्टर टीके वर्मा ने पायनियर से चर्चा में कहा कि, अधिकारियों ने पड़ताल की है। इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद सुबह जिला प्रशासन की एक टीम मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल पहुंची। जिला प्रशासन की ओर से एडीएम सीएल मारकंडे व सीएमओ डॉ मिथलेश चौधरी ने यहां पहुंचकर मौके का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने यहां प्रबंधन व स्टॉफ से भी सवाल-जवाब करते हुए बयान लिए हैं। बताया जा रहा है कि जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। दूसरी ओर सचिवालय स्तर पर भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से ऑक्सीजन लीक होने के बाद मरीज की मौत के संबंध में पूछताछ की है।
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