July 1, 2025

घुमका सोसायटी में पच्चीस लाख की गड़बड़ी, जांच पूरी होने के बाद भी वसूली नहीं कर पाया प्रशासन

लिंकिंग मद की राशि का फर्जी आहरण, वसूली नही होने के बाद भी दोषियों पर आपराधिक मामले में कार्यवाही नहीं

पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव/घुमका

जिले की सबसे बड़ी सोसायटी जहाँ 46 गांव के हजारों किसानों के करोड़ों रुपये के लेनदेन का कारोबार होता है । कृषक सेवा सहकारी समिति घुमका में आर्थिक गड़बडय़िां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। लगातार आर्थिक अनियमितताओं से धिरे घुमका सोसाइटी में वर्ष 2017 से अब तक खाद बीज के स्टॉक में बड़े घालमेल की शिकायतों के अलावा बड़ी राशि के हेरफेर का मामला बताया जा रहा है जिसकी बारीकी से जांच करने पर फर्जी खाद बीज वितरण और लाखों रुपये का बडा मामला खुल सकता है।
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2016 -17 में लिंकिंग धान खरीदी में लगभग 25 लाख रुपए की एक बड़ी अनियमितता की शिकायत बतायी जा रही है जिसकी जांच अब तक लटकी हुई है खबरों के अनुसार इतने बड़े राशि का गोलमाल सोसायटी के रोकड़ पंजी में इंद्राज के बाद करने की शिकायत बतायी जाती है। सम्बंधित वर्ष के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान क्षेत्र के किसानों को नगदी, खाद बीज के रूप में वितरण किये गये कर्ज की वसूली बतौर लिंकिंग में किसानों से खरीदे धान का शासन से प्राप्त राशि को सहकारी समिति के माध्यम से वित्तपोषक संस्था जिला सहकारी केंद्रीय बैंक घुमका शाखा में लिंकिंग वसूली मद में जमा किया जाना था परन्तु ऐसा न कर लिंकिंग वसूली के तकरीबन 25 लाख रुपये को बगैर अनुमोदन और सक्षम अधिकारी की अनुमति बिना धान खरीदी के कार्य मे विभिन्न आवश्यकता बताकरअनाधिकृत खर्च कर दिये जाने के मामले को गबन और गम्भीर आर्थिक अनियमितता मानते हुए तत्कालीन शाखा प्रबंधक और प्रभारी प्रबंध संचालक को जिम्मेदार मानकर बैंक के प्रधान कार्यालय राजनांदगांव की ओर से जांच का आदेश जारी किया गया था।

अतिरिक्त खर्च के नाम पर फटे बिल व्हाउचर

उक्त राशि को धान खरीदी के लिए सुतली, रंग, भूसा पॉलीथिन और मजदूरी के नाम पर व्यय को ही नियम विरुद्ध इसलिए माना गया चूंकि उक्त कार्यो के लिए शासन की ओर से प्रशासनिक और प्रासंगिक व्यय के नाम पर प्रति क्विंटल सभी समितियों को पृथक से शासन द्वारा निर्धारित है जिसके चलते एक ही कार्य के लिए अलग से अतिरिक्त खर्च के नाम पर संलग्न तमाम बिल व्हाउचर को लेकर भी काफी शिकायतें बतायी जा रही है। 25 लाख रुपये के फर्जी व्यय के मामले में घुमका से लेकर उपपंजीयक(सोसायटी) और बैंक के प्रधान कार्यालय तक काफी हड़कम्प के बाद जांच जरूरी समझा गया और इस मामले में केंद्रीय सहकारी बैंक घुमका एवं सोसायटी के अधिकारी कर्मचारियों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है ।

25 लाख की गड़बड़ी आई थी सामने, अधिकारी पाए गए थे दोषी

मामले की बारीकी से जांच करते हुए अंतत: जांच अधिकारी बैंक के आंतरिक लेखा परीक्षक विजय ध्रुव ने जांच में 25 लाख की गड़बड़ी पकड़ते हुए पाया कि पूरी राशि कथित तौर पर फर्जी बिल के आड़ में गलत तरीके से आहरण किया गया है। जिसके लिए प्रबन्धक और प्रभारी एम डी एम एल श्रीवास को दोषी मानकर पूरी राशि की वसूली की अनुशंसा किया जिस पर प्रधान कार्यालय से उक्ताशय का नोटिस जारी किया गया।जांच उपरांत तत्कालीन शाखा प्रबंधक नारायण जंघेल को निलंबित भी किया जा चुका है। निलंबित अवधि में ही सेवानिवृत्त के पश्चात शेष भुगतान रोकने की खबर है। इसके बाद भी अब तक पूरी राशि वसूली नही होना बताया जा रहा है परंतु पूर्व के जांच अधिकारी आंतरिक परीक्षक विजय लाल ध्रुव के द्वारा किए गए जांच पर कार्यवाही के बजाय पुन: उसी मामले की अब तक जांच लम्बित बताकर मामले को लटकाए जाने से तरह तरह की चर्चाएं चल रही है।

जांच अधिकारी ने मामले को पाया था सही

मामले में हल्ला मचने के बाद तत्कालीन जांच अधिकारी विजय लाल ध्रुव ने पूरे प्रकरण की जांच कर उक्त गड़बड़ी को सही पाया और राशि बैंक में जमा होना नहीं पाया तथा उक्त राशि का किसी प्रकार समायोजन भी नहीं हो पाया जिसके चलते ब्रांच मैनेजर एवं समिति के प्रबंध संचालक को दोषी ठहराते हुए उक्त राशि की तत्काल वसूली के लिए पत्र जारी किया गया गौरतलब है कि वर्ष 2017 से अब तक उक्त राशि की वसूली नहीं हो पाई है तथा केवल शाखा प्रबंधक को निलंबित किया गया है। और उस समय प्रबंध संचालक के पद पर एम एल श्रीवास पदस्थ थे कृषक सेवा सहकारी समिति घुमका ने इस तरह की गड़बड़ी कोई नई बात नहीं है इसके पूर्व तीन बार सिलक(रोकड़ पंजी) गवन का मामला भी फूटा था परंतु उस मामले को दबा दिया गया 25 लाख गड़बड़ी जैसे बड़े मामले को दबाने की भी काफी कोशिशें की गई परंतु मामला पूरी तरह खुल चुका है।

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