July 1, 2025

कोंडागांव में सात सौ एकड़ पर होगी काले चावल वाले धान की खेती

इससे दूर होगी बस्तर तथा प्रदेश की कुपोषण की समस्या

पायनियर संवाददाता रायपुर

कोंडागांव तथा जगदलपुर जिले में इसकी खेती का प्रयोग सफल रहा है, सोनू राम धु्रव तथा मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के अन्य किसानों ने जैविक पद्धति से की है इसकी सफल खेती कई औषधीय गुणों तथा बेहद महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्वों, विटामिनों से भरपूर है, यह काला चावल आज चपका व बेलगांव के प्रगतिशील कृषक समूह अपने दल प्रमुख सोनू राम धु्रव तथा वन अधिकारी कश्यप जी के नेतृत्व में मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर कोंडागांव निरीक्षण भ्रमण हेतु पहुंचा। उल्लेखनीय है कि सोनू राम जी पहले से ही मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के साथ मिलकर अपने खेतों में काली मिर्च तथा ऑस्ट्रेलियन की सफलता पूर्वक खेती कर रहे हैं।

इस वर्ष औषधीय गुणों से भरपूर काला चावल वाले धान का रोपण भी किया है। इस काले चावल वाले धान की भी जैविक पद्धति से कृषि करने तथा इससे प्राप्त जैविक उत्पादन के उचित विपणन हेतु उन्होंने मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के साथ जुडऩे की इच्छा व्यक्त की। काले चावल वाले धान के महत्व व गुणों को देखते हुए मां दंतेश्वरी हर्बल समूह ने भी इसकी खेती प्रारंभ की है वर्तमान में इसकी खेती जगदलपुर जिले में स्थित खेतों में की जा रही है। आगामी खरीफ खेती में काले चावल वाले धान को श्री पद्धति से कोंडागांव जिले में भी बड़े पैमाने पर लगाया जाएगा।

श्री पद्धति से 1 एक एकड़ में केवल 5 से 6 किलो धान के बीज की आवश्यकता पड़ती है जबकि उत्पादन सामान्य रोपाई की तुलना में ज्यादा आता है। आगामी वर्ष में लगभग 700 एकड़ में काले धान को लगाने की योजना है। आवश्यकतानुसार इस खेती का जैविक प्रमाणीकरण भी करवाया जायेगा।

इस धान की खेती करने वाले किसानों के लिए मां दंतेश्वरी हर्बल समूह शत-प्रतिशत पुनर्खरीद की व्यवस्था भी करने जा रहा है। ध्यान देने योग्य बात है कि इस औषधीय काले चावल में कई तरह के विटामिन तथा पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे मनुष्य को डायबिटीज तथा अन्य बीमारियों से लडऩे में मदद मिलती है या बेहद ही पौष्टिक तथा गुणकारी है । बस्तर तथा छत्तीसगढ़ का मुख्य भोजन चावल ही है। इससे बस्तर तथा प्रदेश की कुपोषण की समस्या को दूर करने में भी मदद मिलेगी।

Spread the love