July 1, 2025

मोबाइल यूनिट तैनात, बगैर मास्क मिले तो तत्काल किया कोविड टेस्ट

कलेक्टर ने कहा फिलहाल प्रतिबंध पर नहीं, जागरुकता पर जोर, निगम और यातायात अमला कर रहा चालानी कार्रवाई

पायनियर संवाददाता-राजनांदगांव

प्रतिदिन दो हजार कोविड टेस्ट की क्षमता वाले राजनांदगांव जिले में कोराना संक्रमितों की बढ़ती शिनाख्त खतरे की घंटी बजा रही है। इस बीच शासन-प्रशासन टेस्टिंग तेज करने की तैयारियों में लगा हुआ है। शहर में बगैर मास्क लगाए घुमने वालों के खिलाफ चालानी कार्रवाई व एंटीजन कोविड टेस्ट शुरु कर दिया गया है। सोमवार को नया बस स्टैंड में यातायात पुलिस के साथ ही टेस्टिंग के लिए मोबाईल यूनिट तैयार रही। यहां बगैर मास्क लगाए लोगों के खिलाफ चालानी कार्रवाई करवाते हुए उनका एंटीजन टेस्ट किया गया।
पिछले तीन दिनों से संक्रमितों का आंकड़ा 170 के ऊपर ही बना हुआ है। शहर के अलावा जिले में सबसे संवेदनशील डोंगरगढ़ इलाका है जहां रोजाना दो दर्जन से अधिक संक्रमित पाए जा रहे हैं। खैरागढ़ इलाके के हालात भी ऐसे ही हैं। हालांकि रविवार को ग्रामीण क्षेत्र से अधिक शहर में 87 पॉजिटिव मिले थे। रविवार को 1513 सैंपल कलेक्ट किए गए थे जिनमें से 173 पॉजिटिव सामने निकल कर आए। संक्रमण की दर 6 फीसद से अधिक है।
कलेक्टर टीके वर्मा बढ़ते संक्रमण को लेकर कहते हैं, हमने दिवाली के बाद टेस्टिंग बढ़ाने पर जोर दिया है। रोज 17 सौ से दो हजार के बीच सैंपल कलेक्ट हो रहे हैं। त्यौहार के बाद मास्क न पहनने पर फाईन और ऐसे लोगों की कोरोना जांच का फैसला भी लिया गया है जो कि शुरु भी हो चुका है। इस प्रक्रिया और आगे बढ़ाया जाएगा। कोरोना से बचाव को जरुरी हिदायतों को न अपनाने और लापरवाही करने वालों को लेकर कलेक्टर ने कहा कि,हम लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। सुरक्षा के मापदंड अपनाना जरुरी है। लोग अब भी लापरवाही बरत रहे हैं। दरअसल, हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे यहां कोविड से डेथ रेशियो एक फीसद से भी कम है और 100 में 99 लोग ठीक होकर घर लौट रहे हैं। इसे ही लेकर कुछ लोगों की मानसिकता बन चुकी है कि कोविड कोई बड़ी बीमारी नहीं है लेकिन इसकी असलियत वही बता सकते हैं जिन्होंने इस महामारी में अपनों को खोया है।
सुरक्षा उपायों पर जोर, प्रतिबंध नहीं : कलेक्टर ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि, फिलहाल लोगों को जागरुक करना ही हमारा उद्देश्य है। सुरक्षा मापदंड अपनाना ही सबसे आवश्यक पहलू है। उन्होंने कहा कि फिलहाल किसी तरह के प्रतिबंध को लेकर कोई तैयारियां नहीं है। आगे की स्थिति को देखते हुए भविष्य में निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि, लक्षण दिखने पर या किसी संक्रमित के संपर्क में आने जैसी स्थिति पर लोगों को टेस्ट जरुर करवाना चाहिए। यह न सिर्फ उनके लिए जरुरी है बल्कि अपने परिवार और समाज को लेकर भी यह उनकी जिम्मेदारी है।
क्या कहते हैं यूनिसेफ के विशेषज्ञ : पिछले दिनों यूनीसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ श्रीधर ने बताया था कि नोवेल कोरोना वाइरस का संक्रमण अत्यंत घातक हो सकता है यदि लक्षण दिखने के 24 घंटे के अंदर जांच नही कराई जाए और इलाज नही शुरू किया जाए। डॉ श्रीधर ने बताया कि कोई व्यक्ति जब कोविड पाजिटिव मरीज के संपर्क में आता है तब अगले 5 दिन के अंदर उसमें सर्दी,बुखार ,सुंघने की क्षमता कम होना आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं। लक्षण दिखने के दो दिन पहले व्यक्ति में वाइरस लोड अधिकतम रहता है। लक्षण नही आने पर उसे पता ही नही चलता और उसके संपर्क में आए व्यक्ति भी संक्रमित हो जाते हैं। इसीलिए बाहर जाते समय मास्क पहनना और सुरक्षित दूरी रखना अत्यंत जरूरी होता है।

7 दिनों के बाद शुरु होता है फेफड़ों में संक्रमण

डॉ श्रीधर ने बताया कि जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनमे लक्षण जल्दी दिख जाते हैं अन्यथा 5 से 7 दिन में दिन फेफड़ों़े में असर होना शुरू होता है, सांस फूलने लगती है,आक्सीजन स्तर कम होता है,बुखार आता है। बुखार या अन्य लक्षणों को विकसित करने के 5 से 7 दिनों के बाद फेफड़ों की क्षति शुरू हो जाती है। एक बार फेफड़े खराब हो जाने पर मरीजों को सांस फूलने लगती है। रोगी को सांस फूलने से पहले ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। यदि इस बिंदु पर सही उपचार शुरू किया जाता है, तो कई रोगियों की जान बचाई जा सकती है। जब मरीज को अगले 24 से 48 घंटे के भीतर सांस फूलने लगती है, तो यह गंभीर हो जाता है, जिसके बाद सबसे अच्छे इलाज के साथ भी रोगी को बचाना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए, बुखार या अन्य लक्षणों के विकास के 24 घंटों के भीतर के लिए परीक्षण और नियमित रूप से ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करने से फेफड़ों की क्षति का बहुत पहले पता चल जाएगा और बचाव के लिए सही समय पर इलाज किया जा सकता है। डेथ आडिट में यह बात सामने आई कि अधिकांश मामलों में यदि मरीज 24 घंटे के अंदर जांच करा लेता और अस्पताल में भर्ती हो जाता तो उसकी जान बच जाती।

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