June 16, 2025

दीपावली मिलन समारोह में जिले के पत्रकार पहुंचे मांझीनगढ़

दूर दूर तक फैली पहाडिय़ों की श्रृंखला और उस पर पसरी हरी भरी वादी को निहारने से मिलता है अद्भुत सुकून

पायनियर संवाददाता कोंडागांव

कोंडागांव जिला के केशकाल वनमण्डल के अंतर्गत आनेवाले वनपरिक्षेत्र बड़े राजपुर के मुख्यालय बिश्रामपुरी से महज 13किलो मीटर की दूरी पर स्थित मांझीनगढ में कोंडागांव जिला के पत्रकारों का दीपावली मिलन समारोह आयोजित किया गया। समुद्र सतह से लगभग 2664 फिट की ऊंचाई पर स्थित और लगभग 1000 हैक्टेयर में फैले माझीनगढ की भौगोलिक विशिष्ठता एवं प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण जंगल में मंगल का आनंद अर्जित करते हुए पत्रकारों ने माना कि थोड़ा सा आवश्यक व्यवस्था कर देने और यंहा की खुबियों का प्रचार प्रसार होने से यह स्थल प्रदेश ही नहीं देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की सूची में आकर्षक स्थान अर्जित कर
सकता है।

मांझीनगढ़ के उत्तर में प्रकृति का विहंगम दृश्य अवलोकन करने के कई प्वाईंट हैं, ज़हां से दूर दूर तक फैली पहाडयि़ों की श्रृंखला और उस पर पसरी हरी भरी वादी को निहारते अद् भूत शुकून मिलता है।

अपनी भौगोलिक विशिष्ठता प्राकृतिक सौंदर्यता नैसर्गिक छटा से सम्मोहित करने वाले मांझीनगढ को लेकर बताई जाने वाली जनश्रुति किंवदंती – कहानी भी बहुत रोचक एवं रहस्य रोमांच से भरपूर है। कभी यंहा बहुत ही बौने कद और बहुत बड़े बड़े कान के उईका लोगों का यंहा गढ था, जो बाहर से आकर यंहा अपना गढ स्थापना कर साम्राज्य स्थापित कर लिया था। उईका लोग तालाब खुदाई करने में माहिर थे, उन लोगों ने बहुत सारे तालाब खोद डाला था।

गुफा नुमा खोह में आज भी पंजा का निशान
भूले भटके भी दूसरी जगह का कोई आदमी यंहा पंहुच जाता था, तो उईका समाज के लोग उसे मारकर खा जाते थे। मारने के बाद उसके खून से यंहा के खोह में पंजा का निशान लगा देते थे। यह बताते हुए लोग वहाँ पर एक गुफा नुमा खोह को दिखाते हैं, जंहा पर आज भी पंजा का निशान दिखाई देता है। यहां पर वर्ष में एक बार भादों मास में जात्रा होता है जिसमें सहभागी बनने दूर दूर से बहुत बड़ी संख्या में ग्रामीण गहरी आस्था एवं विश्वास संजोए पंहुचते हैं। मांझीन देवी की शरंण में आने से दैहिक दैविक आपदा से मुक्ति मिल जाने और देवी देवताओं का आशिर्वाद मिल जाने का पूरा भरोसा लिए हुए भी लोग यंहा पंहुचते रहते हैं।

संयोग की बात है कि मांझीनगढ में पहली बार कोई कार से पंहुच पाया
देश दुनिया के लोगों की निगाह से ओझील रहने और गुमनामी में खोये रहने का भी मुख्य कारण यहाँ की भौगोलिक विशिष्ठता ही है। अत्यधिक ऊंचाई पर होना और वहाँ तक जाना आना बहुत दुष्कर एवं खतरनाक होना हीे सबसे बड़ा अवरोधक बना रहा मांझीनगढ़ के शोहरत एवं विकास में। परन्तु केशकाल वनमंण्डल गठित होने के बाद पहली बार वनमंण्लाधिकारी के पद पर पदस्थ हुए युवा आईएफएस धम्मशील गंणवीर ने ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो दूरदर्शी कदम उठाया उसका यह प्रतिफल रहा की वहाँ तक कार से भी पहुंच पाना संभव हो गया । और यह संयोग की बात है कि मांझीनगढ में पहली बार कोई कार से पंहच पाया और उसका सुखद सौभाग्य पत्रकारों को मिला। कोंडागांव जिला के अधिकांश पत्रकार छोटी कार से दीपावली मिलन में शामिल होने निकले थे, और अपनी उसी कार से ही मांझीनगढ की ऊंची पहाड़ी पर पंहुचने में कामयाब रहे।

पर्यटन विकास एवं प्रसिद्धि अर्जित करने के समस्त संभावनाओं से परिपूर्ण मांझीनगढ को इंतजार है सरकार से आवश्यक संशाधनों के लिए आबंटन का जिससे आगंतुकों को मूलभूत सुविधा सुलभ कराकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके और पर्यटन विकास के सांथ इस पर आधारित रोजगार धंधा को फलने फूलने एवं बेरोजगारों को काम मिल सके।

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