राजनांदगांव में इलाज होना मुश्किल, मेकाहारा के कैंसर यूनिट में हो सकता है इलाज
अजय सोनी /राजनांदगांव
संस्कारधानी के मेडिकल कालेज सम्बद्ध जिला अस्पताल के महिला सर्जिकल वार्ड के बिस्तर नंबर 29 में भर्ती स्थानीय बजरंगपुर नवागांव निवासी मधु साहू की कहानी दर्द की पराकाष्ठा को पार कर देने वाली है । पिछले एक वर्ष पूर्व मधु ने लचर चिकित्सा व्यवस्था की वजह से अपना एक हाँथ गँवा दिया और अब एक साल बाद ब्रेस्ट कैंसर की बिमारी से वो जूझ रही है । स्थानीय चिकित्सकों ने अब इलाज करने असमर्थता जाहिर कर दी है और अब मधु को रायपुर के मेकाहारा के कैंसर यूनिट में इलाज करवाना पडेगा लेकिन मुसीबत यह है की मेकाहारा में भी पिछली दफा की तरह उसे इलाज के लिए भर्ती करेंगे की नहीं यह तय नहीं है । वर्तमान में मधु को सांस लेने में तकलीफ है और यहाँ इलाज संभव नहीं है । डाक्टरों ने रायपुर रिफर कर दिया है लेकिन बदकिस्मती से रायपुर के अस्पताल से किसी भी तरह का संवाद स्थानीय चिकित्सकों का नहीं हो पाया है अब ऐसे में यदि मधु को रायपुर भेज दिया गया और वहां भर्ती करने के दौरा हिला हवाला हुआ तो मधु साहू की जान भी जा सकती है और उसके बाद उसकी मौत पर मातम मनाने के अलावा और कुछ नहीं किया जा सकेगा ।
ऐसी है मधु की दर्दभरी दास्तान
तीस वर्षीय मधु साहू के पति असवन साहू जो पेशे से मजदूर हैं वो बताते हैं कि वर्ष 2017 में मधु के दाएं हाँथ में एक घाव हुआ थो जो धीरे धीरे बढऩे लगा। जिसका इलाज राजनाँदगाँव के ही जिला अस्पताल में करवाया गया और डाक्टरों ने गारंटी दी कि घाव अब पूरी तरह से ठीक हो गया है लेकिन ठीक चार माह बाद जून 2018 में मधु को फिर उसी जगह पर घाव हुआ । इलाज के लिए जब मधु के पति ने जिला अस्पताल का दरवाजा खटखटाया तो मधु को भर्ती नहीं किया गया बल्कि इंजेक्शन और दवाइयों से घाव को घर पर ही ठीक कर देने की बात कही गई । असवन साहू रोज मधु को अस्पताल ले जाते रहे और दवाइयां करवाते रहे और धीरे धीरे बढ़ते हुए घाव ने अब तक कैंसर का रूप ले लिया था । लगभग एक वर्ष तक जब मधु का घाव ठीक नहीं हुआ तो राजनाँदगाँव जिला अस्पताल के डाक्टरों ने उसे रायपुर मेकाहारा जाने की सलाह दी और फिर अपनी पत्नी को लेकर वो रायपुर चला गया । मई 2019 में रायपुर जाने के बाद मधु को मेकाहारा में भर्ती करने से मना कर दिया गया और चार दिन तक असवन अपनी पत्नी को लेकर इधर उधर भटकता रहा अंतत: स्थानीय मीडिया की दखलंदाजी के बाद मधु को मेकाहारा में भर्ती कराया गया लेकिन चार माह तक इलाज के बाद भी जब मधु का हाँथ ठीक नहीं हुआ और गलने लगा तो डाक्टरों ने कंधे के निचे से मधु का हाथ काट देने की सलाह दी और मधु का एक हाँथ काट कर अलग कर दिया गया । मधु की दर्द भरी दास्ताँ यहीं ख़त्म नहीं होती । मार्च 2020 में मधु को सांस लेने में तकलीफ की हुई और जब इलाज शुरू कराया गया तो डाक्टरों ने बताया कि उसे ब्रेस्ट कैंसर है । अब कई दिनों के इलाज के बाद भी मधु स्वस्थ नहीं हो सकी है और अब रायपुर के एम्स या मेकाहारा में ही उसका इलाज होना संभव है ।
बिक चुका है खेत , सहायता में मिले 50 हजार का भी गबन
मधु के पति असवन साहू ने पायनियर को बताया पत्नी का इलाज करवाते करवाते उनका खेत भी अब तक बिक चुका है । पूर्व महापौर मधुसूदन यादव की मदद से इलाज के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह की मदद से पचास हजार की सहायता राशि प्रात हुई थी लेकिन स्थानी बैंक मैनेजर की लापरवाही की वजह से वो राशि भी पीडि़त परिवार को नहीं मिली । अब हाँथ खाली हो जाने कि वजह से मधु का इलाज करा पाने में असवन अक्षम है।
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