नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन का जिम्मा शीर्ष नेतृत्व पर फोड़ते हुए करारा हमला किया है। उन्होंने यह भी कहने में गुरेज नहीं की कि शायद हर चुनाव में हार को ही कांग्रेस ने अपनी नियति मान ली है। सिब्बल से पहले यही सुर बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर का भी था। उन्होंने कहा कि राज्य में पार्टी के हार को लेकर मंथन आवश्यक है। वहीं राजद के भी वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने इशारों-इशारों में कहा था कि देशभर में अपने गठबंधन सहयोगियों पर कांग्रेस बोझ बनती जा रही है और यही वजह है कि हर जगह गठबंधन का खेल खराब हो रहा है।
‘पार्टी को लगता है सब सामान्य घटना’
एक साक्षात्कार में सिब्बल ने कहा, ‘बिहार चुनाव व उपचुनावों में हार को लेकर कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कोई राय सामने नहीं आया है। शायद उन्हें लगता हो कि सब ठीक है और इसे सामान्य घटना ही माना जाना चाहिए।’ सिब्बल से सवाल था कि क्या आपको लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व एक और हार को सामान्य घटना मान रही है? उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता। मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं। मैंने शीर्ष नेतृत्व की ओर से कुछ नहीं सुना, इसलिए मुझे नहीं पता। मुझ तक सिर्फ नेतृत्व के आस-पास के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।’ इस इंटरव्यू को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर भी किया है।
सिब्बल से सवाल किया गया कि जब समाधान से अवगत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इसे अपनाने से क्यों हिचक रहा? इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सीडब्ल्यूसी के सदस्य नॉमिनेटेड हैं। सीडब्ल्यूसी को कांग्रेस पार्टी के संविधान के अनुसार, लोकतांत्रिक बनाना होगा। आप नामित सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर कांग्रेस पार्टी चुनाव दर चुनाव कमजोर क्यों होती जा रही है।
जनता को कांग्रेस में नहीं दिख रहा विकल्प
इससे पहले उन्होंने कहा था कि बिहार ही नहीं बल्कि उपचुनावों के रिजल्ट से भी यही प्रतीत हो रहा है कि अब कांग्रेस पार्टी को देश की जनता प्रभावी विकल्प नहीं मान रही है। उन्होंने कहा, ‘बिहार में विकल्प तो राजद ही है। गुजरात उपचुनाव में हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को दो फीसद से भी कम वोट हासिल हुए। वहीं गुजरात में तो हमारे तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।’
अब कैसी उम्मीद?
उन्होंने पार्टी के भीतर आत्ममंथन का जिक्र करते हुए निराशा जताई और कहा, ‘यदि छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब कैसी उम्मीद? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता है और यह भी पता है सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है। मेरा मानना है कि कि इसका समाधान भी सबको पता है लेकिन कांग्रेस पार्टी इन समाधान को अपनाने से कतराती है। यदि ऐसा चलता रहा तो ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा। यह कांग्रेस की दुर्दशा की स्थिति है जिससे हम सब चिंतित हैं।’
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