July 1, 2025

डीएमएफ की बंदरबांट स्वच्छता में बड़ा घोटाला

मो. तनवीर कुरैशी .जशपुरनगर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अबतक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत निश्चित तौर पर लोगों के खासकर ग्रामीण इलाकों में एक बड़ा बदलाव लाया है। लेकिन इस योजना को अमलीजामा पहनाने के नाम पर भ्रष्टाचार भी कम नहीं हो रहे हैं। कहीं डस्टबीन खरीदी के नाम पर घोटाला तो कहीं कचरा प्रबंधन के नाम पर घोटाला किया जा रहा है। जशपुर जिले में भी स्वच्छता के नाम ई-रिक्शा घोटाला किया गया है। प्रदेश की खनिज न्यास संस्थान के अधिकृत वेबसाइट से जशपुर जिले के संबंध में मिली जानकारी से इस बात का खुलासा हुआ है। और इसकी पुष्टि जिला मुख्यालय में दरबारी टोली में बनाए गए एसएलआरएम सेंटर का मुआयना करने से हुई है। मार्च २०२० में जशपुर नगर पालिका के लिए १०, बगीचा और पत्थगांव के लिए क्रमश: ५-५ ई-रिक्शा खरीदने के लिए ५० लाख रुपए की स्वीकृति जिला खनिज न्यास संस्थान से दी गई। मार्च महीने में ही पहला किस्त तीनों नगरीय निकाय को ५० प्रतिशत यानि २५ लाख रुपए जारी किया गया। सप्लायर से तीनों स्थान पर ई-रिक्शा की सप्लाई कर दी पर उपयोग नहीं होने की वजह से वह अब कबाड़ में तब्दील होता जा रहा है।
न टेंडर न कोटेशन
५० लाख रुपए को ई-रिक्शा की खरीदी के लिए न कोई टेंडर लगाया गया और न ही कोई कोटेशन मंगाया गया।
१ रिक्शा की कीमत २.५ लाख रुपए
खनिज न्यास संस्थान की अधिकृत वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक जशपुर नगर पालिका को १० ई-रिक्शा की स्वीकृति दी गई जिसके लिए उसे २५ लाख रुपए की स्वीकृति दी गई। यानि एक रिक्शा की कीमत २.५ ढाई लाख रुपए है। पहली किस्त में ५० प्रतिशत १२.५० लाख रुपए जारी किया गया। वहीं बगीचा और पत्थलगांव को प्रथम किस्त में ६.२५ लाख-६.२५ लाख रुपए जारी किया गया। ५० लाख रुपए का ई-रिक्शा अब कबाड़ बनने की ओर अग्रसर है।
घटिया किस्म का है ई-रिक्शा
नगरीय निकाय जशपुर के दरबारी टोली में एफसीआई के चावल गोदाम के पास स्थित एसएलआरएम सेंटर में ई-रिक्शा को रखा गया है। इस संबंध में गीला-और सूखा कचरा घर-घर से कलेक्ट करने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि ई-रिक्शा से अच्छा हाथ से खींचने वाला सामान्य रिक्शा है। सामान्य रिक्शा में जगह भी अधिक है और चलाना आसान है। वहीं ई-रिक्शा में जगह कम है और चलाना कठिन है। उसे चार्ज करने की सुविधा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसका उपयोग एक दिन भी नहीं किया है। यह पूरी तरह से अनुपयोगी साबित हो रही है।

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