रायपुर @cgpioneer.in
महिला आयोग के अध्यक्ष किरणमयी नायक के निज सचिव अभिषेक सिंह ने 4 सितंबर को आयोग के दफ्तर में बयान देने पहुंचे डॉक्टर लाहोटी को बलात अपने कक्ष में बंद कर जमकर पिटाई करने के साथ गाली-गलौच कर हेकड़ी निकालने की धमकी दी। डॉ. मनोज लाहोटी नेे न्यायप्रिय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से न्याय की गुहार लगाई है। लाहोटी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर वर्ग से सरोकार रखते है उनके सामने कोई व्यक्ति विशेष नहीं है। इसलिए उनसे न्याय की सबसे अधिक अपेक्षा है। पूरे मामले में स्पष्टीकरण देते हुए डॉ. मनोज लाहोटी ने बताया कि आज से तीन साल पहले लक्ष्मी पांडे नामक महिला का इलाज किया किया था, उसने यह भी स्वीकार किया कि आपके इलाज से मुझे लाभ मिला है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से परेशानी बढ़ गई है। तब डॉक्टर लाहोटी ने कहा कि आप हास्पिटल आ जाइए एक्जामिन कर दवाई लिख देता हूं। जिस दिन महिला आई उस दिन ओपीडी में भीड़ थी, महिला ने फोन से आने की सूचना दी, तो मैंने उन्हें वेट करने की सलाह दी। बताया कि सुबह से बहुत सारे पेसेंट आए हुए है थोड़ा समय लग सकता है। इसके बाद दो घंटे का समय लगा जो महिला को हर्ट कर गई और अनाप-शनाप बोलते हुए धमकी दी। इसके बाद महिला वहां से चली गई और थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, उसके बाद पुलिस ने सूचनार्थ फोन किया कि डा. लाहोटी आपके खिलाफ शिकायत आई है, जवान भेज रहे बयान दर्ज करा दीजिए। डा लाहोटी डाक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ प्रेस कांफेंस में अपनी बात रखी। डॉ. लाहोटी ने बताया कि मैंने अपने सलाहकारों से जानकारी ली कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मरीज को इंतजार कराने पर कोई केस बनता है क्या। तो बताया गया कि डॉक्टरी पेशे में मरीज को इंतजार कराने में कोई केस नहीं बनता, तब महिला ने सुनियोजित तरीके से मेरे खिलाफ महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई । इसके बाद 8-10 दिन पहले महिला आयोग से फोन आया कि मामले में कुछ लेन-देन कर निपट सकते है। इसके बाद 1 सितंबर को फोन आया कि 4 सितंबर को आपका बयान होना है। समय पर आ जाए। मैंने उनसे निवेदन किया कि मैं अपने वकील को भेज देता हूं, इस पर फोन करने वाले ने कहा कि आपको ही आना पड़ेगा। मैंने कहा समय बता दीजिए, समय 2.00 बजे का दिया गया। 4 सिंतबर को मैं अपने ड्राइवर नसीर और मित्र योगेश के साथ महिला आयोग के कार्यालय समय पर पहुंच गया। इस दौरान मैं वहां बैठे कर्मचारी से पूछा कि माननीय अध्यक्ष महोदय नहीं आई है क्या। स्टाफ ने कहा कि आती होगी। थोड़ी देर बाद बताया गया कि आपका बयान अध्यक्ष की निज सचिव अभिषेक सिंह लेंगे। मैं ताज्जुब करने लगा कि ये कैसी व्यवस्था है, बी.काम पास किया हुआ एक युवक जिसके पास कानून संबंधी कोई डिग्री नहीं, वह कैसे एक एमबीबीएस डॉक्टर का बयान ले सकता है। इस दौरान अभिषेक सिंह बॉडी बिल्डर की तरह आया और कहने लगा कि अध्यक्ष महोदय के कक्ष से लगे मेरे कक्ष में चलिए आपका बयान लेना है। मैं निश्चिंत था, कि एक संवैधानिक संस्था में मेरे साथ मारपीट और दुव्र्यवहार नहीं होगा। इस दौरान मेरे साथ आए मेरे मित्र और ड्राइवर को अभिषेक सिंह वहां से जाने को कहा, नहीं तो कोर्ट आफ कंडेंक्ट लग जाएगा। मजबूरन ड्राइवर और मेरे मित्र आयोग दफ्तर से निकल कर बाहर गाड़ी को पास खड़े हो गए। अभिषेक सिंह ने कक्ष में पहुंचते ही कक्ष का दरवाजा लगा दिया पूछा तो कहने लगा कि बयान लेने से पहले गाली-गलौच करने लगा । उसे मैंने बताया कि मैं प्रतिष्ठित डाक्टर हूं, 20 साल से मरीजों की सेवा कर रहा हूं। मेरे खिलाफ कोई केस नहीं है। इस पर अभिषेक सिंह ने बहुत मुंह चलाते हो करके लात-घूसा से मारपीट शुरु कर दिया। अंदर से आवाज आने पर भी कक्ष के बाहर लोग तमाशा देखते रहे। किसी ने चिल्लाने के बाद बचाने की कोशिश नहीं की। लगातार आधा घंटे तक अभिषेक सिंह जूता लात-घूसे से मेरे शरीर को मारते रहा। हाथ-पैर- कुल्हा, पीठ, सिर, कान, आंख में चोट पहुंचाता रहा। ऐसी मार मैं जीवन में कभी नहीं खाया । मेरे कान से खून आने लगा, आंखों से दिखना बंद हो गया। बेहोशी जैसी स्थिति के बाद अभिषेक छोड़कर कक्ष से बाहर निकला। कमरा खुला होने पर कोई पुराना मरीज जो किसी काम से महिला आयोग आया था, ने मुझे पहचान लिया और पानी पिलाया। मैंने उससे निवेदन किया कि भैया बाहर मेरा मित्र और ड्राइवर है बुलाकर ला दो जल्दी से हॉस्पिटल लेकर चलो मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। तब मुझे हॉस्पिटालाइज किया गया। इस घटना की सूचना डॉक्टर एसोसिएशन को दी गई। उसके बाद लगातार इस मामले की जांच की मांग की जा रही है। आरोपी अभिषेक सिंह तो गिरफ्तार हो चुका है, मगर ऐसी संवैधानिक संस्था में इस तरह के दुव्र्यवहार और मारपीट होने से यहां आने से लोगों में भय व्याप्त है। डॉ. लाहोटी ने कहा कि महिला ने दुव्र्यवहार के साथ यौन शोषण का आरोप भी लगाया है, अभिषेक सिंह के पीछे कौन है इसकी जांच होनी चाहिए और असली आरोपी को सजा मिलनी चाहिए । महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने उस तारीख को हास्पिटल में लगे सीसीटीवी की जांच करने के साथ नर्सिंग स्टाफ और कर्मचारियों से पूछताछ करने के साथ बयान भी लिए जिसमें इस तरह की कोई घटना सामने नहीं आई जिसके कारण थाने से केस खारिज हो जाने के बाद महिला ने महिला आयोग में देख लेने की धमकी दी और नतीजा सबके सामने है।
डॉ. मनोज लोहाटी से मिलने रामकृष्ण केयर अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मंगलवार सुबह 11 बजे रामकृष्ण केयर अस्पताल पहुंचे। वहां उन्होंने सुयश अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. मनोज लोहाटी से भेंटकर उनका हाल जाना। विगत दिनों महिला आयोग के कार्यालय में डॉ मनोज लोहाटी के साथ मारपीट की घटना हुई थी, जिसके बाद वह रामकृष्ण केयर अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने उनसे भेंटकर घटनाक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त की एवं इस घटना के निंदा की। शनिवार चार सितंबर को महिला आयोग के दफ्तर में दोपहर लगभग तीन बजे राज्य महिला आयोग के परिसर में अपना पक्ष रखने पहुंचे डॉक्टर की बंद कमरे में पिटाई की गई थी। सुयश हास्पिटल के संचालक डा. मनोज लोहाटी से मारपीट की घटना की शिकायत पर सिविल लाइन थाना पुलिस ने मारपीट करने वाले आयोग के कर्मचारी अभिषेक सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था। सिविल लाइन थाना पुलिस ने बताया था कि डा. मनोज लोहाटी के खिलाफ महिला आयोग में एक महिला ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए डाक्टर को आयोग बुलाया गया था। मगर, उस वक्त महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक वहां मौजूद नहीं थीं। लिहाजा, पीडि़त पक्ष और डाक्टर मनोज उनका इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान दोनों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी होने लगी और बात बिगड़ते-बिगड़ते मारपीट की नौबत आ गई। घटना के बाद सभी डाक्टर लामबंद हो गए। मारपीट के विरोध में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि आरोपितों के खिलाफ उचित करवाई नही हुई, तो सोमवार से वे हड़ताल पर जाने के लिए विवश होंगे।
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