July 1, 2025

बाघों की गणना के लिए फेस फॉर मॉनिटरिंग अब तक शुरू नहीं

अचानकमार तथा इंद्रावती में बाघों के साथ अन्य वन्य जीवों के बारे में जानकारी नहीं भेजते अधिकारी

पायनियर संवाददाता-रायपुर

बाघों की दूसरे चरण की गणना के लिए फेस फॉर मॉनिटरिंग का कार्य नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में भी शुरू नहीं हो पाया है, जबकि गणना अक्टूबर से शुरू हो जाती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने की योजना पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। फेस फॉर मॉनिटरिंग का कार्य अब तक शुरू नहीं होने की वजह अफसर नहीं बता पा रहे हैं। फेस फॉर मॉनिटरिंग के माध्यम से बाघों के साथ जंगल में विचरण करने वाले अन्य वन्यजीवों की जानकारी विभाग को मिलती है। एनटीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक देश के हर राज्य को अक्टूबर के प्रथम, द्वितीय सप्ताह से बाघों की वैज्ञानिक तरीके से गणना करने के निर्देश हैं। इसके तहत बाघों के साथ अन्य वन्यजीवों की गणना करने टाइगर रिजर्व में ट्रैप कैमरे लगाए जाने हैं। साथ ही बाघों के साथ अन्य प्रजाति के वन्यजीवों के स्कैट कलेक्शन करने के बाद इस बात की पुष्टि करनी है कि किस टाइगर रिजर्व में किस प्रजाति के वन्यजीव ज्यादा हैं। उस लिहाज से वन्यजीवों की सुरक्षा के उपाय करने के साथ वन्यजीवों की नियमित मॉनिटरिंग करना है। एयरपोर्ट आने वालों की कोरोना जांच की तैयारी 19 बाघ का दावा, लोकेशन की जानकारी नहीं वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में 19 बाघ होने का दावा किया गया है, लेकिन वर्तमान में राज्य के किस टाइगर रिजर्व में कितने बाघ हैं या किसी दूसरी जगह पलायन कर गए हैं। इस बात से वन अफसर भी अनजान हैं। इसकी वजह राज्य में बाघों की नियमित मॉनिटरिंग नहीं होना बताया जा रहा है। एनटीसीए को नहीं भेज पाए जानकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के तीन टाइगर रिजर्व उदंती-सीतानदी, अचानकमार तथा इंद्रावती में बाघों के साथ अन्य वन्यजीवों की गणना के बारे में वन अफसरों द्वारा अब तक जानकारी नहीं भेजने की बात सामने आई है। इंद्रावती टाइगर रिजर्व को नक्सल प्रभावित कहकर उस क्षेत्र में बाघों की गणना के लिए ट्रैप कैमरे लगाने में परेशानी होने की बात वन अफसर कहते हैं। बावजूद इसके उस क्षेत्र में बाघों के स्कैट कलेक्शन कर एनटीसीए को अनिवार्य रूप से भेजा जाना है।
जंगल में ट्रैप कैमरे के माध्यम से वन्यजीवों की गणना करने से विलुप्त प्रजाति के वन्यजीवों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। साथ ही ऐसे वन्यजीवों की संरक्षण, संवर्धन करने में मदद मिलती है। तीन से चार वर्ष पूर्व उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में ट्रैप कैमरे की मदद से मूसक हिरण के विचरण करने की जानकारी मिली थी। इसी तरह उदंती-सीतानदी में ही काला तेंदुआ के साथ ऊदबिलाव के होने के बारे में जानकारी ट्रैप कैमरे की मदद से ही मिली थी। वर्तमान में ये वन्यजीव किस हाल में हैं तथा किस क्षेत्र में है, इस बात की जानकारी वन अफसरों को भी नहीं है।

  • गाइडलाइन नहीं आई बाघों की गणना के लिए एनटीसीए की गाइडलाइन नहीं आई है। इस वजह से बाघों की गणना का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
    – पीवी नरसिंग राव,
    पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ छत्तीसगढ़
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