July 1, 2025

भाजपा में कार्यकर्ताओं की कमी, कांग्रेस में नेताओं की, संस्कारधानी में सरकारी मशीनरी में लगा जंग

पायनियर संवाददाता .राजनांदगांव

शहर की बातों को खबरों के माध्यम से सामने नहीं रख पाने की वजह से शुरू किये गए इस कालम की आज बारहवीं कड़ी है। हम बार बार हजार बार चाहते हैं कि शहर की बातें , शहर की परेशानियां खत्म हो जाएँ और शहरनामा लिखने की जरुरत ना पड़े लेकिन सामाजिक , राजनीतिक और मानवीय मुद्दे न तो खत्म होने का नाम ले रहे और ना ही शहरनामा की कडिय़ाँ रुक रहीं। संस्कारधानी कहे जाने वाले इस शहर में लगातार संस्कारों में कमियां देखने को मिल रही हैं जो मन को विचलित करती हैं । नियम मानने के लिए लोगों पर दबाव डालना पड़ रहा है , कलेक्टर साहब की कोई सुनने को तैयार नहीं है, ट्रेफिक विभाग के आला अधिकारी गजेंद्र सिंह अपने वातानुकूलित चेंबर में आराम फरमाते हुए ही सब कुछ तय करने में जुटे रहते हैं , मेडिकल कालेज कोविड अस्पताल में लापरवाही से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है और तमाम सरकारी मशीनरी एक दूसरे को बचाने की जुगत में लग जाती है , स्वास्थ्य मंत्री जी का बयान आता है कि दोषियों पर कार्यवाही होगी लेकिन दोषी अपना दोष और किसी पर मड़ देते हैं। अब ऐसे में भला कैसे संस्कारधानी को संस्कारधानी कहा जाए?
ये कैसा कन्टेनमेंट जोन? नियमों पर भारी मैडम की दमदारी।
दिवाली के बाद शहर में लगातार बढ़ रहे संक्रमण के बाद अब हांलाकि कहीं लॉकडाउन करने की संभावना तो नहीं है लेकिन कुछ क्षेत्रों को कन्टेनमेंट जोन किया गया है । पिछले दिनों जिलाधीश महोदय के जारी आदेश में शहर के सदर बाजार को भी कन्टेनमेंट जोन घोषित किया गया लेकिन इस क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी अल्पना लूनिया का रूतबा शायद कलेक्टर महोदय से ज्यादा है । कन्टेनमेंट किये इस जोन में गाडिय़ों की आवागमन जारी है, लोग भीड़ लगाकर कोरोना पर चर्चा कर रहे हैं, जिस डाक्टर की पत्नी पॉसिटिव पाई गई हैं वो खुद लोगों का इलाज कर रहे हैं, दुकानें सुचारु रूप से चालू हैं, किसी तरह का कोई रोकटोक नहीं है लेकिन फिर भी स्वास्थ्य अधिकारी , जिलाधीश और पुलिस प्रशासन आँख मूंदे बैठा है । खैर हमको क्या सदर बाजार के रहवासी जानें और कलेक्टर महोदय जानें ?
सत्तावापसी के बाद केवल काम में ध्यान, जनता से कोई सरोकार नहीं
पन्दरह साल के वनवास के बाद कांग्रेस की सत्ता वापसी के दो साल पूरे होने को हैं लेकिन आज दो साल बाद भी शहर की जनता को ऐसा कोई नेता नहीं मिला है जो सीधे तौर पर आम जनता की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण कर सके । पिछले दिनों कांग्रेस के एक युवा नेता से मुलाकात हुई । बातों बातों में उसने बताया कि सभी बड़े कामों पर वरिष्ठों ने कब्जा जमा रखा है और छोटे कार्यकर्ता जिंदाबाद मुर्दाबाद में ही लगे हुए हैं अब तक। जनता की समस्याओं को सुनने की बात पर युवा नेता का कहना है कि जब हमारे बड़े लोग ही जनता की नहीं सुन रहे तो हम लोग तो अभी शुरूआती दौर में हैं। कांग्रेसी अक्सर भाजपा पर आरोप लगाते हैं स्थाई विधायक व् सांसद के शहर में गैरमौजूदगी का लेकिन वास्तविकता में कांग्रेस के बड़े लीडर भी शहर में अब तक उस तरह का जनता दरबार नहीं लगा पाए हैं जिसमे जाकर आम जनता अपनी समस्याओं को रख सके । दरअसल पंद्रह वर्षों तक सिर्फ विरोध के बाद अब कांग्रेसियों को लगने लगा है कि शायद दोबारा सत्ता प्राप्ति ना हो इसीलिए इन पांच सालों में जितना समेटना है उसे समेत लिया जाए । जनता की समस्याएं तो कल भी थीं और आगे भी रहेंगी ही ।
भाजपा में कार्यकर्ताओं की कमी
और प्रदेशाध्यक्ष का आगमन।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अमित शाहू का कल संस्कारधानी आगमन होने को है । भाजयुमो के नौजवान कार्यकर्ता बड़े जोरशोर से अपने अध्यक्ष के स्वागत की तैयारी में लगे हैं । और फिर लगें भी क्यों ना ? आखिर आने वाले दिनों में इन्हीं नौजवानों में से किसी एक को जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी जो मिलने वाली है । हांलाकि उम्र की समय सीमा ने अधिकतर दावेदारों के तोते उड़ा रखे हैं लेकिन जहाँ चाह वहां राह की तर्ज पर युवा नेता लगे हुए हैं । जहाँ एक और नौजवान युवा नेताओं और दावेदारों की भीड़ नजर आती है वहीँ भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का शायद अकाल पड़ चुका है । तभी तो आज एक साल बीत जाने के बाद भी जिलाध्यक्ष मधुसूदन यादव ने अपनी कार्यकारिणी की घोषणा नहीं की है । सत्ता जाने के बाद शायद विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए जिले के वरिष्ठ नेता तैयार नहीं हो रहे या फिर आपसी खींचतान के चलते लिस्ट पर मुहर नहीं लग पा रही । भाजयुमो के मौजूदा जिलाध्यक्ष कैलाश शर्मा बहुत जोरशोर से प्रदेशाध्यक्ष के स्वागत की तैयारी में लगे हैं । जानकारी के अनुसार प्रदेश की टीम में महामंत्री बनने के जुगाड़ में लगे हैं । वैसे तो अपने कार्यकाल में बमुश्किल कुछ दफाओं ही उन्होंने संस्कारधानी का रुख किया होगा लेकिन अब प्रदेश की टीम में शामिल होने के लिए अमित शाहू को प्रसन्न रखना उनकी मजबूरी भी है । कुछ सूत्र तो बताते हैं कि भले ही लाख मेहनत कर ली जाए युवाओं द्वारा लेकिन अमित साहू राजनाँदगाँव में अपनी पसंद से एक कार्यकारिणी सदस्य भी नहीं बना पाएंगे फिर जिलाध्यक्ष तो बहुत दूर की कौड़ी है ।

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