October 14, 2025

बस्तर में योजनाओं का बुरा हाल, दिव्यांग बच्ची खुले में शौच को मजबूर, पीएम आवास का बाट जोह रहा रामभुवन

उधार की निर्माण सामग्री से बनाया शौचालय, आहरण के बावजूद नहीं मिले संजय को पैसे
घरोंदे के मलबे में दबने का इंतेजार कर रहे जिम्मेदार लोग

अनुज कुमार कोण्डागांव

विश्व शौचालय दिवस पर एक और जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री सिंहदेव जिले को पुरस्कारो से नवाज रहे थे, वहीं दूसरी ओर दिव्यांग बच्ची यशोमति अपनी माँ बिना बाई सेन के हांथो का सहारा ले खुले में शौच को जाते रास्ते मे नजर आ रही थी, तो वहीं रामभुवन अपने ढह रहे घरौंदे में उज्वला योजना के लाभ से महरूम मिट्टी के चूल्हे में मक्के के ठूंठ से खाना पकाने की कोशिश कर रहा था।

पायनियर राष्ट्रीय अखबार की टीम जब कोण्डागाँव जिले के विश्रामपुरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत बांसकोट पहुंची तो वहाँ वास्तविक तस्वीर कुछ और ही नजर आ रही थी। जहाँ आज भी कागजो में सजे शौचालयों की पोल खोलती तस्वीरें व वास्तविक हितग्राही पीएम आवास के लिए भटकते नजर आये। विडंबना यह है कि जिन जनप्रतिनिधियों व पंचायत सचिवो के भरोसें योजनाएं संचालित होती हैं, उन्होंने ही हितग्राहियो के हितों पर कुंडली मार रखा हैं। कहीं हितग्राहियों को आहरित हुए पैसे नही दिए गए हैं तो कहीं वास्तवित हितग्राहियों को उनके हक से ही महरूम किया गया है। जिसके चलते ओडीएफ ग्राम पंचायत बॉसकोट की दिव्यांग खुले में शौच को मजबूर है तो रामभुवन पटेल अपने टूटे घरोंदे में रहने को मजबूर।

घर की जर्जर अवस्था के बाबजूद रहने को मजबूर

पायनियर राष्ट्रीय अखबार की टीम को अपनी व्यथा सुनाते हुए रामभुवन ने कहा कि उसका घर कभी भी ढह सकता है, लेकिन वह मजबूर है अपने भाई के साथ वहां रहने को। उक्त मकान में निवास से डर नही लगता के जवाब में, उसने कहा कि कहाँ जाए दूसरा कोई आसरा भी तो नहीं है, ब मुश्किल दोनों भाई दुसरो के घर कामकाज कर रोजी रोटी जुगाड़ पाते हैं, वहीं ग्राम पंचायत कार्यालय के जिम्मेदार पदाधिकारी शायद उस गरीब मजदूर की उसके ही घरोंदे के मलबे में दबने का इंतेजार कर रहे हैं। वहीं ओडीएफ का तमगा हासिल कर चुके ग्राम पंचायत के 70 प्रतिशत घरों के शौचालय आज भी अधूरे हैं, ग्राम के ही संजय सार्दुल ने बताया कि उसे केवल 3 बोरी सीमेंट व 1 दरवाजा ग्राम पंचायत की ओर से उपलब्ध करवाया गया, उसने अपने शौचालय को उधार का सामान लेकर पूर्ण करवाया लेकिन उसके नाम की राशि ग्राम पंचायत से आहरित होने के बावजूद भी आज तक उसके पैसे उसे नही दिए गए हैं।

वहीं ओडीएफ के नाम से हितग्राहियों को आहरित राशि मे किसी को 2 हजार तो किसी को कुछ सामग्री उपलब्ध करवा पैसों का बंदर बाँट कर लिया गया है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी कागजों में चल रहे विकास का आईना दिखा वाहवाही लूट रहे हैं।

Spread the love