मैनपुर। जिले के मैनपुर क्षेत्र में शासकीय जमीन में पट्टे देने के गड़बड़ी की जांच के नाम पर भेदभाव किए जाने को लेकर भाजपा नेताओं ने सख्त ऐतराज जाहिर करते हुए आरोप लगाया है कि मैनपुर का राजस्व प्रशासन भाजपा नेताओं को जेल भेज रहे हैं, जबकि शासकीय कर्मचारी और कांग्रेस नेताओं को यहां का राजस्व प्रशासन बचाने में लगे हुये हैं ।
यहां दौरे में आए भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मुरलीधर सिन्हा, जिला महामंत्री अनिल चंद्राकर ने आरोप लगाया है कि राजस्व प्रशासन भेदभाव की नीति न अपनाए, इसी तरह के शासकीय पट्टे को लेकर राजस्व प्रशासन ने भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, फिर दोहरे मापदंड से प्रशासन क्यों कार्य कर रहा है, यहां के नायाब तहसीलदार के खिलाफ आरोप लगाया कि शासकीय कर्मचारी और कांग्रेसियों को ऐसे मामले में बचाते हुए क्लीन चिट दे दी है, इससे ऐसा लगता है कि ऐसे लोगों की प्रशासन से सेटिंग हो गई है, राजस्व प्रशासन का रवैया इसी तरह से रहा तो भाजपा सड़क की लड़ाई लड़ेगी।
भाजपा नेताओं ने कहा है कि प्रजातंत्र है, गैर जिम्मेदारी का कार्य प्रशासन ना करें, एक शासकीय कर्मचारी के खिलाफ फर्जी पट्टे बनाए जाने की शिकायत पर राजस्व प्रशासन को एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए थी, लेकिन जानकर ताज्जुब होगा कि राजस्व प्रशासन ने उसे बचा लिया और शिकायत पर कार्यवाही करने के बजाए पट्टा ही निरस्त कर दिया गया, जिस जमीन का पट्टा प्रशासन ने निरस्त किया है वह शासकीय कर्मचारी तो जमीन की बिक्री करने और सीमांकन के लिए आवेदन लगाया था ।
प्रशासन के दोहरे मापदंड को लेकर सिन्हा, चंद्राकर ने कहा कि राजस्व प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करें, यहां का प्रशासन बेलगाम है । इस तरह के मामले में जिला प्रशासन को भी लगातार शिकायत मिलने के बावजूद ऐसे राजस्व अधिकारियों को खुली छूट दे रखी है, जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि आम जनता में रोष व्याप्त है, भाजपा नेताओं ने मांग किया कि मैनपुर क्षेत्र में शासकीय भूमि में कितनी संख्या में पट्टे जारी किए गए हैं राजस्व प्रशासन सार्वजनिक करें, क्योंकि पट्टे के वास्तविक हकदार अभी भी इससे वंचित है और लगातार प्रशासन का चक्कर लगा रहे हैं ।
विदित हो कि मैनपुर तहसील के अंतर्गत भाजपा कार्यकर्ताओं के विरूद्ध गलत तरीका से मुकदमा दर्ज किया गया, जिसके विरूद्ध 11 अक्टूबर 2021 को तहसील मुख्यालय में एक दिवसीय धरना एवं प्रदर्शन करते हुए महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ के नाम ज्ञापन दिया गया था, जिसकी पावती स्थानीय तहसीलदार ने हस्ताक्षर करके दी थी, उक्त ज्ञापन को तत्काल कलेक्टर गरियाबंद भेजना था, किन्तु एसडीएम मैनपुर के यहाँ जिला कलेक्टर गरियाबंद को फर्जी डिस्पेज करके भेजना बताया गया है, जिसे जावक पंजी में देखे जा सकते हैं, जबकि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम से दिए ज्ञापन को 24 घण्टे के अंदर पहुंचना चाहिये, किन्तु तीन माह हो गया, उक्त दिये ज्ञापन कलेक्टर गरियाबंद तक नहीं आया है, तो राज्यपाल तक पहुंचने का सवाल ही नहीं उठता है ? भाजपा नेताओं ने एसडीएम मैनपुर पर राजस्व अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाते कहा कि समय रहते शिकायत पर न्याय नहीं मिला तो एसडीएम और तहसीलदार मैनपुर के विरूद्ध सड़क की लड़ाई भाजपा लड़ेगी, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी ।
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