February 8, 2025

गजानन के भक्ति में डूबी राजधानी : बप्पा के जयकारे के साथ घरों और पंडालों में विराजे विघ्नहर्ता

सत्तीबाजार, गोलबाजार, शास्त्री बाजार, आमापारा में उमड़े श्रद्धालु, प्रतिमाएं खरीदने के लिए परिवार समेत पहुंचे लोग

रायपुर@thethinkmedia.com

शुक्रवार को राजधानी के मुख्यबाजार सहित आसपास के कालोनियों में लगने वाले बाजारों में सिर्फ गणेश ही गणेश जनर आए। कोरोना काल के बाद पहली बार दो साल में ऐसा श्रद्धा भक्ति का सैलाब देखने को मिला। चारों तरफ बप्पा के जयकारे के साथ धुमाल ने लोगों का उत्साह बढ़ाया। गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के साथ सुबह से गणेश प्रतिमाओं को घर ले जाने का दौर शुरू हो गया है। सत्तीबाजार, गोलबाजार, शास्त्री बाजार, आमापारा समेत अनेक इलाकों में प्रतिमाएं महंगी होने के बावजूद लोगों की आस्था छलक रही है। प्रतिमाएं खरीदने के लिए लोग परिवार समेत पहुंच रहे हैं। प्रशासन के नियमों के चलते बिना गाजे-बाजे, ढोल, धमाल के साथ प्रतिमाओं को सादगी से जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु अपने घर ले गए। विधिवत गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं। शाम को पंडालों में प्रतिमा विराजित करने धूम मचेगी।
सत्ती बाजार में स्थानीय कलाकारों के अलावा महाराष्ट्र से भी अनेक व्यापारी प्रतिमाएं बेचने आए हैं। सत्ती बजार से लेकर शदाणी चौक तक 500 से अधिक पाटों पर प्रतिमाएं बेची जा रही है। इसी तरह आमापारा में गुरु घासीदास काम्पलेक्स के सामने भी छोटी-बड़ी 300 से ज्यादा दुकानों पर प्रतिमाएं सजी हैं। गोलबाजार, शास्त्री बाजार, पुरानी बस्ती, गुढिय़ारी समेत विविध मुख्य बाजारों में भी गणेश प्रतिमाएं खरीदने हुजूम उमड़ रहा है।
50 हजार से अधिक प्रतिमाएं विराजे घरों में : अश्विनी नगर, भीम नगर शिव चौक के मूर्तिकार रमेश प्रजापति नरेश प्रजापति, सुरेश प्रजापति, अवधलाल प्रजापति आदि मूर्तिकारों ने बताया कि प्राय: प्रत्येक मूर्तिकार ने 200 से 300 मूर्तियों का निर्माण किया है। उनके जैसे 200 से अधिक मूर्तिकारों की रोजीरोटी, प्रतिमाओं का निर्माण करने से चलती है। एक अनुमान के अनुसार राजधानी में ही 50 हजार से अधिक प्रतिमाएं घरों में स्थापित हुई हैं। छत्तीसगढ़ से बाहर महाराष्ट्र के व्यापारी भी हजारों प्रतिमाएं बिक्री के लिए लेकर आए।
600 से अधिक बड़ी प्रतिमाएं : इस साल कोरोना महामारी के नियमों के चलते मूर्तिकारों ने चार फीट तक की प्रतिमाएं बनाई है। लगभग 600 पंडाल समितियों में बड़ी प्रतिमाएं विराजित की जा रहीं हैं। इसके अलावा एक से दो फीट तक की प्रतिमाएं घर-घर में विराजित की गई।

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